मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) में मचे सियासी घमासान के बीच एक नाम की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है. वो नाम है राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजित पवार (Ajit Pawar) का. अजित पवार दिग्गज नेता और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) के भतीजे हैं. उन्होंने पार्टी से बगावत करके भारतीय जनता पार्टी (BJP) को समर्थन दे दिया था. इसी के बाद एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) ने शनिवार अहले सुबह देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. इस घटना ने राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम में भूचाल ला दिया है. अब अजित पवार महाराष्ट्र में मचे राजनीतिक उठापटक के केंद्र बिंदु बन गए हैं.
1982 में हुई थी राजनीतिक जीवन की शुरुआत
शरद पवार के बड़े भाई के बेटे अजित पवार के राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1982 में को-ऑपरेटिव चुनाव से हुई थी. महाराष्ट्र की राजनीति में को-ऑपरेटिव पर वर्चस्व को सीधे सफलता की सीढ़ि से जोड़कर देखा जाता है. साल 1982 के बाद बड़ा मोड़ तब आया है, जब 1991 में अजित पवार ने पुणे डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन चुने गए. फिर अजित पवार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 1991 में ही उन्होंने पवार परिवार का गढ़ माने जाने वाले बारामाती सीट से लोकसभा का चुनाव जीता. हालांकि, कुछ ही समय बाद अपने चाचा शरद पवार के लिए उन्होंने यह सीट छोड़ दी. बाद में हुए उपचुनाव में मिली जीत के बाद शरद पवार पीवी नरसिम्हा राव सरकार में देश के रक्षा मंत्री बने थे.
20 हजार करोड़ के स्कैम का लगा आरोप
बारामाती की सीट छोड़ने के एवज में अजित पवार को विधानसभा चुनाव में मौका दिया गया और राज्य सरकार में मंत्री बन गए. इसके बाद वह लगातार 1995, 99, 2004, 09 और 2014 में विधानसभा चुनाव जीते और राज्य के कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला. इसी बीच दो साल के लिए वह महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री भी बने, लेकिन विवादों से बच नहीं पाए. वर्ष 1999 से 2009 तक सिंचाई मंत्रालय का जिम्मा संभालने वाले अजित पवार पर 20 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगा. इस मामले ने खूब तूल पकड़ा और बड़ा मुद्दा बन गया.

अजित पवार महाराष्ट्र में मचे राजनीतिक उठापटक के केंद्र बिंदु बन गए हैं. (फाइल फोटो)
सितंबर में दिया था विधायकी से इस्तीफा
इस साल हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सितंबर में अजित पवार के लिए खतरे की घंटी उस समय बजी जब उनका और शरद पवार का नाम महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में आया. इसके तुरंत बाद अजित पवार ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया. खबरें यहां तक आईं कि अजित के इस कदम से शरद पवार काफी नाराज हैं, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि आखिर चुनाव से एक महीने पहले इस्तीफा देने का मकसद क्या था?
पार्टी पर वर्चस्व किसका?
शरद पवार ने पार्टी का जिम्मा अजित पवार को सौंप दिया था. वे ही एक तरह से एनसीपी के कर्ताधर्ता बन गए थे. माना यह भी जाता है कि पार्टी में उन्होंने एक ऐसी फौज तैयार कर ली थी जो चाचा शरद पवार के बजाय उनके प्रति ज्यादा वफादार था. हो सकता है कि शरद पवार को इस बात की जानकारी नहीं हो, लेकिन इस बार वे काफी आगे जा चुके हैं. वह बीजेपी को समर्थन देकर राज्य के उपमुख्यमंत्री बन गए हैं. लेकिन, अब असली खेल पार्टी पर वर्चस्व को लेकर है. देखने वाली बात यह होगी कि पार्टी पर असली कंट्रोल अजित पवार का है या चाचा शरद पवार का.
ये भी पढ़ें-
महाराष्ट्र संकट पर SC में आज फिर सुनवाई, NCP में लौटे 2 और 'लापता' विधायक
महाराष्ट्र: BJP का ‘ऑपरेशन लोटस’ शुरू, इन 4 नेताओं पर बहुमत जुटाने का जिम्माब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Ajit Pawar, BJP, Congress, Devendra Fadnavis, Maharashtra, NCP, Sharad pawar, Shiv sena
FIRST PUBLISHED : November 25, 2019, 08:20 IST