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अरुण गवली: कभी बिश्‍नोई गैंग से ज्‍यादा था खौफ, दाऊद से दोस्‍ती, विधायक भी बना, कैसे खत्‍म हुआ साम्राज्य?

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Arun Gawli History: अरुण गवली जब विधायक बना तब और खूंखार हो गया. उसने शिवसेना के एक कॉरपोरेटर की हत्या करवा दी. इसी मामले में वो उम्रकैद की सजा काट रहा है. एक समय में वो दाऊद इब्राहिम का अच्‍छा दोस्‍त था. लॉरेंस बिश्‍नोई गैंग से ज्‍यादा खूंखार हुआ करता था गवली.

गवली: बिश्‍नोई से ज्‍यादा खौफनाक दाऊद के दोस्‍त का कैसे खत्‍म हुआ साम्राज्य?अरुण गवली इस वक्‍त सलाखों के पीछे हैं. (File Photo)
नई दिल्‍ली. बाबा सिद्दीकी की हत्‍या के बाद एक बार फिर महाराष्ट्र में गैंगवार का वो काला इतिहास ताजा हो गया है, जो पहले भी यहां की धरती को कई बार लाल कर चुका है. सिद्दीकी हत्‍याकांड में लॉरेंस बिश्‍नोई गैंग का नाम सामने आ रहा है. क्‍या आप दाऊद इब्राहिम और छोटा शकील के दोस्‍त अरुण गवली को जानते हैं. महाराष्‍ट्र की जेल में बंद 69 साल का ये बुजुर्ग गैंगस्‍टर वहीं शख्‍स है जिसने महाराष्‍ट्र में राजनैतिक हत्‍याओं की शुरुआत की थी. मुंबई में शिवसेना के नेता को मौत के घाट उतार चुका गवली विधायक भी बना और इस वक्‍त उम्र कैद की सजा काट रहा है. चलिए आज हम आपको महाराष्‍ट्र के इस खूंखार डॉन के बारे में बताते हैं.

आपने और हमने अंडरवर्ल्‍ड डॉन दाऊद इब्राहिम और छोटा शकील का नाम तो खूब सुना होगा. अरुण गवली ऐसा शख्‍स है जिसनें 20-22 साल की उम्र से ही दाऊद और शकील के साथ मुंबई में छोटे मोटे क्राइम करने से लेकर बड़े-बड़े अपराधों को अंजाम दिया. वो दाऊद के कंसाइनमेंट को एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक पहुंचाने का काम करता था. धीरे-धीरे गवली की दाऊद-शकील से आपसी तनातनी बढ़ गई और उसने अपना अलग गैंग बना लिया. उसका पूरा नाम अरुण गुलाब गवली है. मध्य प्रदेश के खंडवा से उनके पिता बेहद कम उम्र में काम की तलाश में महाराष्ट्र के अहमदनगर में आ गए थे. इसी शहर में अरुण गवली का भी जन्म हुआ था.

कैसे गवली को मिला डेडी नाम?
पिता की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण उसने स्‍कूल के साथ-साथ छोटी उम्र में ही दूध बेचना शुरू कर दिया था. स्‍कूल के दिनों में ही वो कुछ छुटभैये गैंगस्‍टर्स के संपर्क में था. जल्‍दी पैसा कमाने के चक्‍कर में बाद में वो इन्‍ही गुटों का हिस्‍सा बन गया. अरुण गवली ने अपने क्राइम करियर की शुरुआत फिरौती और तस्‍करी जैसी घटनाओं से की. साल 1986 तक माया नगरी मुंबई में दाऊद काफी फेमस हो चुका था. लगातार पुलिस की बढ़ती दबिश के कारण 1988 में दाऊद यहां से दुबई भाग गया. तब गवली का दोस्त रामा नाइक एक गैंगवार में मारा गया था. गवली ने दोस्त की मौत से बदला लेने के लिए दाऊद से अलग गैंग बनाया था. यहीं से दाऊद- गवली में दुश्मनी पनपने लगी. दाऊद भारत से जा चुका था और गवली लगातार यहां वारदातों को अंजाम दे रहा था. धीरे-धीरे चाहने वाले अरुण गवली को डैडी के नाम से पहचानने लगे.
क्राइम से नेतागिरी तक का सफर?
1993 में शिवसेना नेता की हत्‍या का आरोप व अन्‍य मामलों में कानून के शिकंजे को बढ़ता देख गवली ने नई सदी की शुरुआत में नेतागिरी में भी हाथ आजमाया. साल 2004 में उसने अखिल भारतीय सेना नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनाई. उसने चिंचपोकली से चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की. विधायक बनने के बाद साल 2008 में गवली पर शिवसेना के कॉरपोरेटर की हत्या करवाई. इस मामले में गवली को कोर्ट ने दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. गवली को जेल हुई तो मुंबई के लोगों ने चैन की सांस ली.

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Sandeep Gupta
पत्रकारिता में करीब 13 साल से सक्रिय. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण, पंजाब केसरी और जी समूह की वेबसाइट क्रिकेट कंट्री/ इंडिया डॉट कॉम में काम किया. इस दौ...और पढ़ें
पत्रकारिता में करीब 13 साल से सक्रिय. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण, पंजाब केसरी और जी समूह की वेबसाइट क्रिकेट कंट्री/ इंडिया डॉट कॉम में काम किया. इस दौ... और पढ़ें
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