मुंबई. महाराष्ट्र के नागपुर जिले से हैरान कर देने वाला एक मामला सामने आया है, जहां थैलेसीमिया से पीड़ित चार बच्चे खून चढ़ाने के बाद एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं. वहीं इनमें से एक बच्चे की मौत हो गई है. राज्य स्वास्थ्य विभाग के सहायक उपनिदेशक डॉ. आरके धाकाटे ने जानकारी दी है कि चार बच्चे एचाईवी पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें से एक की मौत हो गई है. उन्होंने कहा कि जो दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे. जांच के लिए टीम का गठन किया जाएगा.
जानिए क्या है थैलेसीमिया
थैलेसीमिया एक जेनेटिक डिजीज है, जो पेरेंट्स के जरिए बच्चे में आता है. यदि दोनों पेरेंट्स थैलेसीमिया के कैरियर होते हैं, तो बच्चे में थैलेसीमिया बीमारी हो सकती है. यदि माता-पिता में से कोई एक कैरियर होगा, तो बच्चा भी कैरियर होगा, लेकिन उसमें थैलेसीमिया डिजीज नहीं होगी. इस बीमारी में खून ठीक से नहीं बन पाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि हीमोग्लोबिन बनने का जो जेनेटिक कोड होता है, उसमें कुछ समस्या आ जाती है. मुख्य रूप से कोड में डिफेक्ट होता है.
आनुवांशिक होती है ये बीमारी
हर साल 8 मई को दुनियाभर में ‘विश्व थैलेसीमिया दिवस’ मनाया जाता है. थैलेसीमिया एक रक्त संबंधी बीमारी है, जो आनुवांशिक यानी जेनेटिक होती है. यह बीमारी माता-पिता से पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती जाती है. बच्चों में होने वाली इस बीमारी में बच्चों को बार-बार ब्लड बैंक ले जाना होता है. इस बीमारी में मरीज को खून की जरूरत से ज्यादा कमी होने लगती है, जिस कारण उन्हें बाहर से खून चढ़ाना पड़ता है.
हमेशा बीमार महसूस करता है पेशेंट
थैलेसीमिया एक स्थायी रक्त विकार है, जो आनुवांशिक होता है. इसके कारण मरीज के लाल रक्त कण और हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता. थैलेसीमिया होने पर सर्दी-जुकाम बना रहता है और पेशेंट हमेशा बीमार महसूस करता है. ऐसे में सांस लेने में तकलीफ होती है और शरीर में कमजोरी और दर्द रहता है. इसके अलावा, दांतों का बाहर की ओर आ जाना, उम्र के अनुसार शारीरिक विकास न होना, शरीर का पीला पड़ना आदि लक्षण हैं.
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