शरद पवार की सरकार को चेतावनी- शांति से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने दूसरा रास्ता अपना लिया तो...

शरद पवार ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर केंद्र सरकार को आगाह किया है (फाइल फोटो)
Farmer Protest: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. पवार ने कहा कि अगर किसान शांति का रास्ता छोड़ दूसरी ओर चले जाते हैं तो इसकी जिम्मेदारी भाजपा सरकार की होगी.
- News18Hindi
- Last Updated: February 4, 2021, 11:32 PM IST
नई दिल्ली. कृषि कानूनों (Farm Laws) का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन कर चुके एनसीपी प्रमुख शरद पवार (NCP Chief Sharad Pawar) ने कहा है कि सत्ता में बैठे लोग असंवेदनशील है. इतना ही नहीं पवार का कहना है कि अगर किसान शांति का रास्ता छोड़कर दूसरी तरफ बढ़ते हैं तो इससे देश को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने गुरुवार को कहा कि "दिल्ली की सीमा पर किसान शांतिपूर्वक बैठे हैं. अगर वह किसी और रास्ते के लिए शांति का रास्ता छोड़कर दूसरे रास्ते की तरफ बढ़ गए तो, देश को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है और तब बीजेपी सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी. ऐसे कई मुद्दे हैं. जो लोग सत्ता में हैं वह असंवेदनशील हैं."
लगातार किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे और सरकार से किसानों की बात सुनने को कह रहे पवार ने इससे पहले कहा था कि सरकार के नए कृषि कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की खरीद पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे और `मंडी 'प्रणाली को कमजोर करेंगे. पवार ने कहा, "नए कृषि कानून निजी उपज से लेवी और फीस के संग्रह, विवाद समाधान, कृषि-व्यापार लाइसेंसिंग और ई-ट्रेडिंग के विनियमन के संबंध में कृषि उपज मंडी समितियों (एपीएमसी या मंडियों) की शक्तियों को कम करते हैं." हालांकि तब पवार की इस बात को खारिज करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि एनसीपी प्रमुख की बातें अज्ञानता और गलत सूचनाओं का मिश्रण हैं.
ये भी पढ़ें- कई राज्यों में बोर्ड परीक्षा की तारीखों का ऐलान, जानिए कब कहां हैं बोर्ड परीक्षाएं
सरकार से की थी अड़ियल रवैया छोड़ने की अपीलइससे पहले गणतंत्र दिवस पर हुई किसानों की ट्रैक्टर रैली की हिंसा पर भी शरद पवार ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में जो कुछ हुआ, उसका समर्थन नहीं किया जा सकता लेकिन उन कारणों को भी नरअंदाज नहीं किया जा सकता जिनकी वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई. उन्होंने किसानों पर बल प्रयोग को लेकर सरकार को आगाह भी किया.
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने केंद्र सरकार से कहा कि वह नए कृषि कानूनों को रद्द करने के मुद्दे पर किसानों से वार्ता करे और मुद्दे पर अपना ‘‘अड़ियल रवैया’’ छोड़े. पवार ने कहा कि यदि केंद्र ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किया तो पंजाब में अशांति उत्पन्न हो सकती है, इसलिए मोदी सरकार को यह ‘पाप’ नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली तो केंद्र और कानून व्यवस्था से जुड़े लोगों से उम्मीद थी कि वे उनसे संवेदनशील तरीके से निपटें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

पवार ने कहा कि दो महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों को आहत किए बिना किसानों की मांगों पर कोई रास्ता निकाला जाना चाहिए था.
लगातार किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे और सरकार से किसानों की बात सुनने को कह रहे पवार ने इससे पहले कहा था कि सरकार के नए कृषि कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की खरीद पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे और `मंडी 'प्रणाली को कमजोर करेंगे. पवार ने कहा, "नए कृषि कानून निजी उपज से लेवी और फीस के संग्रह, विवाद समाधान, कृषि-व्यापार लाइसेंसिंग और ई-ट्रेडिंग के विनियमन के संबंध में कृषि उपज मंडी समितियों (एपीएमसी या मंडियों) की शक्तियों को कम करते हैं." हालांकि तब पवार की इस बात को खारिज करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि एनसीपी प्रमुख की बातें अज्ञानता और गलत सूचनाओं का मिश्रण हैं.
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सरकार से की थी अड़ियल रवैया छोड़ने की अपीलइससे पहले गणतंत्र दिवस पर हुई किसानों की ट्रैक्टर रैली की हिंसा पर भी शरद पवार ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में जो कुछ हुआ, उसका समर्थन नहीं किया जा सकता लेकिन उन कारणों को भी नरअंदाज नहीं किया जा सकता जिनकी वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई. उन्होंने किसानों पर बल प्रयोग को लेकर सरकार को आगाह भी किया.
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने केंद्र सरकार से कहा कि वह नए कृषि कानूनों को रद्द करने के मुद्दे पर किसानों से वार्ता करे और मुद्दे पर अपना ‘‘अड़ियल रवैया’’ छोड़े. पवार ने कहा कि यदि केंद्र ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किया तो पंजाब में अशांति उत्पन्न हो सकती है, इसलिए मोदी सरकार को यह ‘पाप’ नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली तो केंद्र और कानून व्यवस्था से जुड़े लोगों से उम्मीद थी कि वे उनसे संवेदनशील तरीके से निपटें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
पवार ने कहा कि दो महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों को आहत किए बिना किसानों की मांगों पर कोई रास्ता निकाला जाना चाहिए था.