मुझे अपनी कहानी सुनाओ और पाओ मुझसे 10 रूपए

राज लोगों की कहानियां सुनकर उन्हें 10 रुपए भी देते हैं.
महाराष्ट्र स्थित पुणे में रह रहे इंजीनियरिंग के छात्र राज डगवार आम लोगों तक पहुँच कर उनके जीवन की कहानी सुनने का प्रयास करते हैं और इसके बदले में उन्हें 10 रूपए भी देते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: December 15, 2020, 2:56 PM IST
स्वाति लोखंडे
पुणे. पुणे में रह रहे इंजीनियरिंग के छात्र राज डगवार आम लोगों तक पहुँच कर उनके जीवन की कहानी सुनने का प्रयास करते हैं और इसके बदले में उन्हें 10 रूपए भी देते हैं. राज को कई पुणे निवासियों ने देखा जिनमें एक आदित्य भी हैं जिन्होंने राज के द्वारा किये जा रहे इस नेक कार्य की सराहना सोशल मीडिया पर की.
जब न्यूज़ 18 राज डगवार तक पहुंचा तो यह पाया कि इस पहल की शुरुआत उन्होंने इसी 6 दिसंबर से की है और उनकी इस इंसानियत से लबरेज़ पहल का एक ही मक़सद है कि वह वर्तमान में चल रहे संकट के दौर में लोगों के संघर्ष और दुखों को बाँट सकें. फ़र्गुसन कॉलेज रोड पर बनी खाने पीने की दुकानों के सामने यह छात्र प्लेकार्ड लेकर खड़ा है जिसपर लिखा है, " मुझे अपनी कहानी सुनाओ और मैं तुम्हें दस रूपए दूंगा. " डगवार हर रोज अजनबियों की कहानियां सुनकर उनके मन के बोझ को थोड़ा हल्का करने के लिए कम से कम पांच घंटे फुटपाथ पर बिताते हैं.
बुजुर्ग व्यक्ति ने उन्हें अनेकों धन्यवाद दिएडगवार से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि, "जरा देखिये कि लोग कैसे आजकल एक दूसरे से बात करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जब हम अपने घरों के अंदर हैं और दीवारों ने हमें एक दूसरे से दूर कर दिया है. लगभग 100 के करीब लोगों ने अपनी कहानियां मेरे साथ साझा की हैं और उन्हें सुनना एक आश्चर्यजनक अनुभव था. "
राज को उन सभी लोगों के नाम और उनकी कहानियां याद हैं जिन्होंने उनके साथ अपने किस्से साझा किये थे. " मैं एक अच्छा श्रोता हूँ और कुछ लोगों को मेरा साथ बहुत पसंद आया था जब वह अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे. " सभी के साथ छोटी बड़ी समस्याएं होती ही हैं लेकिन उनके बारे में बात करना आसान नहीं होता. लॉकडाउन की वजह से अनेकों लोग अकेले रहने के लिए बाध्य हो गए और अकेलेपन की वजह से उन्होंने अपनी भावनाओं को भी अपने अंदर कैद लिया. इसके चलते कई लोग अवसाद के शिकार हो गए. " राज कहते हैं जो अभी अभी एक बुजुर्ग व्यक्ति की बातें सुनीं हैं जिसने उन्हें अनेकों धन्यवाद दिए.

राज ने अभी तक एक दिन में पचास से ज्यादा कहानियां सुनीं हैं और कभी कभी एक व्यक्ति की बातें सुनने में एक घंटे से भी ज्यादा का वक़्त लग जाता है. वह छह बजे से रात ग्यारह बजे तक अपनी शामें एफसी रोड पर ही बिताते हैं.
मानसिक स्वास्थ्य से जुडी समाज की इस सोच को बदलना है
राज भी 2019 में अवसादग्रस्त रह चुके हैं. उन्हें लगता था कि वह अपने जीवन में अपना बेहतरीन नहीं कर पा रहे हैं और अपने पिता जोकि इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और दुबई में रहते हैं, उनके जैसा बनने के प्रयासों में निरंतर असफल हो रहे हैं. एक ऐसा भी समय था जब राज अपने मातापिता से भी नहीं खुल पाते थे और अपने छोटे भाई के साथ चल रहे झगड़ों के बारे नहीं बता पाते थे. तब उन्होंने डॉक्टर की मदद ली और अपने डिप्रेशन से बाहर आये.
यह सब इतना आसान नहीं था, जैसे कि फुटपाथ पर खड़े रहना जिसे देखकर लोग घूरने लगते हैं, कुछ आलोचना भी करते हैं तो कुछ उत्सुकता भी प्रकट करते हैं, "मैं केवल मास्क के पीछे से मुस्कुराता हूँ और धीरे से पूछता हूँ "मुझे अपनी कहानी बताइये " यदि मैं उन लोगों की परेशानी बाँट कर उनका दुःख थोड़ा कम करता हूँ तो मुझे लगता है कि मैंने अच्छा काम किया. "राज कहते हैं.
मानसिक स्वास्थ्य और इससे जुड़ा परामर्श अक्सर एक मानसिक बीमारी या बदनुमा दाग़ के तौर पर देखा जाता है. लेकिन राज लोगों से उनकी समस्याओं के बारे में खुलने का अनुरोध करते हैं और इस प्रकार मानसिक स्वास्थ्य से जुडी समाज की इस सोच को बदलना चाहते हैं.
पुणे. पुणे में रह रहे इंजीनियरिंग के छात्र राज डगवार आम लोगों तक पहुँच कर उनके जीवन की कहानी सुनने का प्रयास करते हैं और इसके बदले में उन्हें 10 रूपए भी देते हैं. राज को कई पुणे निवासियों ने देखा जिनमें एक आदित्य भी हैं जिन्होंने राज के द्वारा किये जा रहे इस नेक कार्य की सराहना सोशल मीडिया पर की.
जब न्यूज़ 18 राज डगवार तक पहुंचा तो यह पाया कि इस पहल की शुरुआत उन्होंने इसी 6 दिसंबर से की है और उनकी इस इंसानियत से लबरेज़ पहल का एक ही मक़सद है कि वह वर्तमान में चल रहे संकट के दौर में लोगों के संघर्ष और दुखों को बाँट सकें. फ़र्गुसन कॉलेज रोड पर बनी खाने पीने की दुकानों के सामने यह छात्र प्लेकार्ड लेकर खड़ा है जिसपर लिखा है, " मुझे अपनी कहानी सुनाओ और मैं तुम्हें दस रूपए दूंगा. " डगवार हर रोज अजनबियों की कहानियां सुनकर उनके मन के बोझ को थोड़ा हल्का करने के लिए कम से कम पांच घंटे फुटपाथ पर बिताते हैं.
बुजुर्ग व्यक्ति ने उन्हें अनेकों धन्यवाद दिएडगवार से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि, "जरा देखिये कि लोग कैसे आजकल एक दूसरे से बात करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जब हम अपने घरों के अंदर हैं और दीवारों ने हमें एक दूसरे से दूर कर दिया है. लगभग 100 के करीब लोगों ने अपनी कहानियां मेरे साथ साझा की हैं और उन्हें सुनना एक आश्चर्यजनक अनुभव था. "
राज को उन सभी लोगों के नाम और उनकी कहानियां याद हैं जिन्होंने उनके साथ अपने किस्से साझा किये थे. " मैं एक अच्छा श्रोता हूँ और कुछ लोगों को मेरा साथ बहुत पसंद आया था जब वह अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे. " सभी के साथ छोटी बड़ी समस्याएं होती ही हैं लेकिन उनके बारे में बात करना आसान नहीं होता. लॉकडाउन की वजह से अनेकों लोग अकेले रहने के लिए बाध्य हो गए और अकेलेपन की वजह से उन्होंने अपनी भावनाओं को भी अपने अंदर कैद लिया. इसके चलते कई लोग अवसाद के शिकार हो गए. " राज कहते हैं जो अभी अभी एक बुजुर्ग व्यक्ति की बातें सुनीं हैं जिसने उन्हें अनेकों धन्यवाद दिए.

राज ने अभी तक एक दिन में पचास से ज्यादा कहानियां सुनीं हैं और कभी कभी एक व्यक्ति की बातें सुनने में एक घंटे से भी ज्यादा का वक़्त लग जाता है. वह छह बजे से रात ग्यारह बजे तक अपनी शामें एफसी रोड पर ही बिताते हैं.
मानसिक स्वास्थ्य से जुडी समाज की इस सोच को बदलना है
राज भी 2019 में अवसादग्रस्त रह चुके हैं. उन्हें लगता था कि वह अपने जीवन में अपना बेहतरीन नहीं कर पा रहे हैं और अपने पिता जोकि इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और दुबई में रहते हैं, उनके जैसा बनने के प्रयासों में निरंतर असफल हो रहे हैं. एक ऐसा भी समय था जब राज अपने मातापिता से भी नहीं खुल पाते थे और अपने छोटे भाई के साथ चल रहे झगड़ों के बारे नहीं बता पाते थे. तब उन्होंने डॉक्टर की मदद ली और अपने डिप्रेशन से बाहर आये.
यह सब इतना आसान नहीं था, जैसे कि फुटपाथ पर खड़े रहना जिसे देखकर लोग घूरने लगते हैं, कुछ आलोचना भी करते हैं तो कुछ उत्सुकता भी प्रकट करते हैं, "मैं केवल मास्क के पीछे से मुस्कुराता हूँ और धीरे से पूछता हूँ "मुझे अपनी कहानी बताइये " यदि मैं उन लोगों की परेशानी बाँट कर उनका दुःख थोड़ा कम करता हूँ तो मुझे लगता है कि मैंने अच्छा काम किया. "राज कहते हैं.
मानसिक स्वास्थ्य और इससे जुड़ा परामर्श अक्सर एक मानसिक बीमारी या बदनुमा दाग़ के तौर पर देखा जाता है. लेकिन राज लोगों से उनकी समस्याओं के बारे में खुलने का अनुरोध करते हैं और इस प्रकार मानसिक स्वास्थ्य से जुडी समाज की इस सोच को बदलना चाहते हैं.