कोयला खदानों की धांधली में सरकारी कंपनियों ने काटी चांदी

कोयला मंत्रालय के 155 कोयला खदानों को नीलाम न करने से पब्लिक सेक्टर यूनिट्स जैसे एनटीपीसी समेत कुल 10 कंपनियों को हजारों करोड़ का फायदा पहुंचा।
कोयला मंत्रालय के 155 कोयला खदानों को नीलाम न करने से पब्लिक सेक्टर यूनिट्स जैसे एनटीपीसी समेत कुल 10 कंपनियों को हजारों करोड़ का फायदा पहुंचा।
- News18India
- Last Updated: March 22, 2012, 7:41 AM IST
नई दिल्ली। कोयला मंत्रालय के 155 कोयला खदानों को नीलाम न करने से पब्लिक सेक्टर यूनिट्स जैसे एनटीपीसी समेत कुल 10 कंपनियों को हजारों करोड़ का फायदा पहुंचा।
सीएजी की इस रिपोर्ट के मुताबिक कई पब्लिक सेक्टर कंपनियों ने भी कोयला खदानों की इस धांधली में जमकर फायदा उठाया। रिपोर्ट के मुताबिक इस घोटाले से पब्लिक सेक्टर कंपनी को एनटीपीसी को 35 हजार 24 करोड़, टीएनईबी एंड एमएसएमसीएल को 26 हजार 584 करोड़, एमएमटीसी को 18 हजार 628 करोड़ का, सीएमडीसी को 16 हजार 498 करोड़, जेएसएमडीसीएल को ग्यारह हजार 988 करोड़ का फायदा पहुंचा।
ये तो महज कुछ नाम है जबकि इस घोटाले से फायदा उठाने वाली कंपनियों की फेहरिस्त काफी लंबी है। माना जा रहा है कि संसद में आम बजट के पास होने के बाद सीएजी की इस रिपोर्ट को संसद के सामने रखा जा सकता है।
110 पेज की इस रिपोर्ट में 2004 से लेकर 2009 के बीच तकरीबन 33 हजार 169 मिलियन टन कोयले के अवैध खनन का अनुमान है। जानकारों के मुताबिक ये अवैध खनन इतना है कि इससे से देश में अगले पचास साल तक कोयले की जरूरत को पूरा किया जा सकता है।
सीएजी की इस रिपोर्ट के मुताबिक कई पब्लिक सेक्टर कंपनियों ने भी कोयला खदानों की इस धांधली में जमकर फायदा उठाया। रिपोर्ट के मुताबिक इस घोटाले से पब्लिक सेक्टर कंपनी को एनटीपीसी को 35 हजार 24 करोड़, टीएनईबी एंड एमएसएमसीएल को 26 हजार 584 करोड़, एमएमटीसी को 18 हजार 628 करोड़ का, सीएमडीसी को 16 हजार 498 करोड़, जेएसएमडीसीएल को ग्यारह हजार 988 करोड़ का फायदा पहुंचा।
ये तो महज कुछ नाम है जबकि इस घोटाले से फायदा उठाने वाली कंपनियों की फेहरिस्त काफी लंबी है। माना जा रहा है कि संसद में आम बजट के पास होने के बाद सीएजी की इस रिपोर्ट को संसद के सामने रखा जा सकता है।
110 पेज की इस रिपोर्ट में 2004 से लेकर 2009 के बीच तकरीबन 33 हजार 169 मिलियन टन कोयले के अवैध खनन का अनुमान है। जानकारों के मुताबिक ये अवैध खनन इतना है कि इससे से देश में अगले पचास साल तक कोयले की जरूरत को पूरा किया जा सकता है।