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Parliament Attack 2001: संसद पर आतंकी हमले की 21वीं बरसी, घिरे थे 100 से ज्यादा सांसद-मंत्री, सुरक्षाबलों ने जान पर खेलकर बचाया

India Parliament Attack 2001: आज से 21 वर्ष पूर्व 13 दिसंबर 2001 को किया गया था संसद भवन में हमला. (File Photo)

India Parliament Attack 2001: आज से 21 वर्ष पूर्व 13 दिसंबर 2001 को किया गया था संसद भवन में हमला. (File Photo)

2001 India Parliament Attack: आज संसद पर हमले की 21वीं बरसी है. आज के ही दिन 2001 में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंद ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

13 दिसंबर 2001 को हुआ था संसद पर आतंकी हमला
उस वक्त संसद में करीब 100 सांसद और मंत्री थे मौजूद
सुरक्षा बलों ने जान पर खेलकर सभी को सुरक्षित निकाला

नई दिल्ली: आज 13 दिसंबर है. 13 दिसंबर यानी संसद पर हमले का काला दिन. 21 साल पहले आज के ही दिन विश्व के सबसे लोकतंत्र के मंदिर में हमले की नापाक साजिश रची गई थी. जिसे भारतीय सेना ने नाकामयाब कर दिया था. पाकिस्तान स्थित दो आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) द्वारा भारतीय संसद पर हमले के आज 21 साल पूरे हो जाएंगे. 2001 में हुए हमले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था. इस हमले ने भारत और पाक के बीच संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया था.

हमले के दिन संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था, इसलिए परिसर में मीडिया के कई लोग मौजूद थे. पूरी गोलीबारी को कवर किया गया और समाचार चैनलों पर इसका सीधा प्रसारण किया गया था.

आतंकियों ने ऐसे दिया था घटना को अंजाम
13 दिसंबर, 2001 की सुबह लगभग 11:40 बजे पांच आतंकवादी एंबेसडर कार में लाल बत्ती और गृह मंत्रालय के जाली स्टीकर के साथ संसद भवन परिसर में घुसे. जैसे ही कार बिल्डिंग के गेट नंबर 12 की ओर बढ़ी, संसद भवन वॉच एंड वार्ड स्टाफ के एक सदस्य को उन पर शक हो गया. इसके बाद कार को पीछे मुड़ने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन इसने तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के वाहन को टक्कर मार दी. इसके बाद एके-47 और ग्रेनेड से लैस आतंकवादी नीचे उतरे और गोलियां चलानी शुरू कर दीं. इतने में ही एक अलार्म बजा और इमारत के सभी गेट बंद कर दिए गए.

करीब 30 मिनट तक हुई गोलीबारी के बाद अंततः सभी आतंकवादियों को संसद भवन के बाहर ढेर कर दिया गया. इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच सुरक्षाकर्मी, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद वॉच एंड वार्ड सेक्शन के दो सुरक्षा सहायक, एक माली और एक फोटो जर्नलिस्ट की जान चली गई थी. हमले में कम से कम 15 अन्य लोग घायल हो गए. सुरक्षा बलों ने अपनी जान पर खेलकर उस समय सद में मौजूद लगभग 100 सांसदों और  मंत्रियों को सुरक्षित बचा लिया था.

पुलिस ने 4 आरोपियों को किया गिरफ्तार
पुलिस ने एक FIR दर्ज की और कुछ दिनों के अंदर ही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने चार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया. जिन्हें आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की गई कार और सेलफोन रिकॉर्ड से जुड़े सुरागों की मदद से ट्रैक किया गया था. ये चार आरोपी थे- जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के पूर्व आतंकवादी मोहम्मद अफजल गुरु, उसके चचेरे भाई शौकत हुसैन गुरु, शौकत की पत्नी अफसान गुरु और दिल्ली विश्वविद्यालय में अरबी के व्याख्याता एसएआर गिलानी.

2013 में दी गई अफजल गुरु को फांसी
29 दिसंबर को कोर्ट ने अफसान को बरी कर दिया जबकि गिलानी, शौकत और अफजल को मौत की सजा सुनाई. गिलानी को 2003 में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा “सबूतों के अभाव” में बरी कर दिया गया था. 2005 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस निर्णय को बरकरार रखा गया और शौकत को 10 साल की जेल हुई. 11 साल बाद 2013 में अफजल गुरु को फांसी दे दी गई और उसके शव को तिहाड़ जेल में दफना दिया गया.

Tags: Jaish-e-Mohammed, Lashkar-e-taiba, Parliament, Terrorist attack, Terrorist Encounter

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