दिल्ली-मुंबई उड़ान का समय 30 मिनट कम, एयरलाइंस की बड़ी बचत, सबके लिए फायदेमंद लचीला एयरस्पेस

इस बीच सेरेना ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें वह फैंस को अपनी लवस्टोरी के बारे में बताते हुए दिखाई दीं. दोनों कार में बैठै हैं और घर के पास ड्राइव कर रहे हैं. सेरेना ने साल 2016 में सेरेना और ओहेनियन की 2016 में सगाई हुई थी और सितंबर 2017 में उन्हें बेटी हुई थी.
हवाई क्षेत्र के लचीले उपयोग (flexible use of airspace) के नतीजे के तौर पर एयरलाइंस को ज्यादा सीधे (पढ़ें: छोटे) हवाई मार्ग (Air Route) मिलेंगे जिसके नतीजे के तौर पर कम ईंधन जलेगा और कम कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emission) होगा.
- News18Hindi
- Last Updated: May 17, 2020, 4:47 PM IST
सत्येंद्र पांडेय
नई दिल्ली. 2019 में, भारत में 26 लाख कॉमर्शियल हवाई यातायात (commercial air traffic movements) हुआ. यानी, लगभग 7,000 उड़ानें रोज भारतीय आसमान में भरी गईं. फिर भी अधिकांश मामलों में कई वजहों से उड़ानों ने सबसे सीधा रास्ता नहीं लिया (जो एक सीधी रेखा होता है). इनमें नेविगेशन में मिलने वाली मदद, रडार कवरेज और सभी से ऊपर हवाई क्षेत्र प्रतिबंध (airspace restrictions) भी शामिल हैं.
विमानन क्षेत्र में सुधारों (aviation sector reforms) में से एक के तौर पर शनिवार को प्रोत्साहन पैकेज (stimulus package) के एक भाग की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री (Finance Minister) ने कहा है कि हवाई क्षेत्र पर इन प्रतिबंधों को कम किया जाएगा. नतीजतन एयरलाइनों को ज्यादा सीधे (पढ़ें: छोटे) हवाई मार्ग मिलेंगे जिसके नतीजे के तौर पर कम ईंधन जलेगा और कम कार्बन उत्सर्जन होगा.
भारत का हवाई क्षेत्र आगे चलकर और व्यस्त होगाभारत का हवाई क्षेत्र 28 लाख वर्ग नॉटिकल मील का है, जिसमें महाद्वीपीय हवाई क्षेत्र का 10.4 लाख वर्ग नॉटिकल मील और इसके अलावा 17.4 लाख वर्ग नॉटिकल मील का समुद्री क्षेत्र (बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर) शामिल हैं. इस हवाई क्षेत्र का 65 प्रतिशत सेना नियंत्रित करती है, जबकि शेष भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) नियंत्रित करता है. जिस तरह हवाई-यातायात ने दोहरे अंकों में विस्तार किया है, और अधिक विमान आसमान पहुंचे हैं. वर्तमान में इन विमानों का रूट निर्धारण करने, वायु-यातायात का प्रबंधन और सिस्टम के कामों को अच्छे से चलाने की चुनौती जटिल हो गई है.
2010 से 2019 तक, भारतीय आसमान में वायु-यातायात गतिविधियों की संख्या 13.6 लाख से बढ़कर 26.0 लाख हो गई है. और जैसे-जैसे ईंधन और उत्सर्जन कॉम्पटीशन के महत्वपूर्ण बिंदु बने वैसे-वैसे प्रौद्योगिकी में तेजी से वृद्धि हुई. हवाई क्षेत्र के उपयोग को आशावादी नजरों से देखने की ओर कई स्टेकहोल्डर्स की तरफ से जोर दिया गया.
इसी योजना के तहत एफयूए (flexible use of airspace- FUA) के साथ शहर के प्रमुख जोड़े बनाए गये हैं जो अब "अधिक सीधे मार्ग" प्राप्त करेंगे. इनमें भारी यात्रा वाले दिल्ली-मुंबई भी शामिल हैं, जिससे यात्रा में औसतन 15-30 मिनट कमी को देखने को मिलेगी.
(लेखक एक विमानन पेशेवर है. जिन्होंने गोएयर में रणनीति प्रमुख के रूप में काम किया है और CAPA-सेंटर फॉर एविएशन की सलाहकार और अनुसंधान टीमों का नेतृत्व किया है. व्यक्त किए गए विचार उनके व्यक्तिगत हैं.)
यहां क्लिक करके अंग्रेजी में पढ़ें पूरा लेख
यह भी पढ़ें: हेट स्पीच पर फेसबुक की बड़ी कार्रवाई, AI से 90 लाख से ज्यादा पोस्ट रिमूव किये
नई दिल्ली. 2019 में, भारत में 26 लाख कॉमर्शियल हवाई यातायात (commercial air traffic movements) हुआ. यानी, लगभग 7,000 उड़ानें रोज भारतीय आसमान में भरी गईं. फिर भी अधिकांश मामलों में कई वजहों से उड़ानों ने सबसे सीधा रास्ता नहीं लिया (जो एक सीधी रेखा होता है). इनमें नेविगेशन में मिलने वाली मदद, रडार कवरेज और सभी से ऊपर हवाई क्षेत्र प्रतिबंध (airspace restrictions) भी शामिल हैं.
विमानन क्षेत्र में सुधारों (aviation sector reforms) में से एक के तौर पर शनिवार को प्रोत्साहन पैकेज (stimulus package) के एक भाग की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री (Finance Minister) ने कहा है कि हवाई क्षेत्र पर इन प्रतिबंधों को कम किया जाएगा. नतीजतन एयरलाइनों को ज्यादा सीधे (पढ़ें: छोटे) हवाई मार्ग मिलेंगे जिसके नतीजे के तौर पर कम ईंधन जलेगा और कम कार्बन उत्सर्जन होगा.
भारत का हवाई क्षेत्र आगे चलकर और व्यस्त होगाभारत का हवाई क्षेत्र 28 लाख वर्ग नॉटिकल मील का है, जिसमें महाद्वीपीय हवाई क्षेत्र का 10.4 लाख वर्ग नॉटिकल मील और इसके अलावा 17.4 लाख वर्ग नॉटिकल मील का समुद्री क्षेत्र (बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर) शामिल हैं. इस हवाई क्षेत्र का 65 प्रतिशत सेना नियंत्रित करती है, जबकि शेष भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) नियंत्रित करता है. जिस तरह हवाई-यातायात ने दोहरे अंकों में विस्तार किया है, और अधिक विमान आसमान पहुंचे हैं. वर्तमान में इन विमानों का रूट निर्धारण करने, वायु-यातायात का प्रबंधन और सिस्टम के कामों को अच्छे से चलाने की चुनौती जटिल हो गई है.
2010 से 2019 तक, भारतीय आसमान में वायु-यातायात गतिविधियों की संख्या 13.6 लाख से बढ़कर 26.0 लाख हो गई है. और जैसे-जैसे ईंधन और उत्सर्जन कॉम्पटीशन के महत्वपूर्ण बिंदु बने वैसे-वैसे प्रौद्योगिकी में तेजी से वृद्धि हुई. हवाई क्षेत्र के उपयोग को आशावादी नजरों से देखने की ओर कई स्टेकहोल्डर्स की तरफ से जोर दिया गया.
इसी योजना के तहत एफयूए (flexible use of airspace- FUA) के साथ शहर के प्रमुख जोड़े बनाए गये हैं जो अब "अधिक सीधे मार्ग" प्राप्त करेंगे. इनमें भारी यात्रा वाले दिल्ली-मुंबई भी शामिल हैं, जिससे यात्रा में औसतन 15-30 मिनट कमी को देखने को मिलेगी.
(लेखक एक विमानन पेशेवर है. जिन्होंने गोएयर में रणनीति प्रमुख के रूप में काम किया है और CAPA-सेंटर फॉर एविएशन की सलाहकार और अनुसंधान टीमों का नेतृत्व किया है. व्यक्त किए गए विचार उनके व्यक्तिगत हैं.)
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