पटना. राजनीति में प्रतीकों का बड़ा महत्व होता है. प्रतीकों के जरिये सियासत में कई संकेत दिए जाते हैं. यही संकेत इन दिनों बिहार की सियासत में देखने को मिल रही है. आरजेडी प्रदेश कार्यालय का दूसरा दरवाजा सालों के बाद एक बार फिर खोल दिया गया है. आरजेडी कार्यालय का दूसरा दरवाजा खोलने के बाद बिहार के राजनीति में चर्चाओं का बाजार गर्म है. आरजेडी कार्यालय में दो दरवाजे है गेट नंबर 1 और गेट नंबर 2, दोनों गेट हमेशा बंद रहता है. कोविड काल में गेट नंबर 2 से प्रवेश के लिए छोटा दरवाजा बनाया गया. अक्सर लोग और तमाम नेता उसी गेट से आते हैं. तेजस्वी, राबडी और तेजप्रताप के लिए गेट नंबर 2 खोला जाता रहा है, पर गेट नंबर 1 तभी खोला गया जब राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पार्टी कार्यालय पहुंचे हों.
बिहार की सियासत में जब 2015 में जब नीतीश कुमार गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़े और सरकार बनी उस समय भी दोनों दरवाजे खोले गए थे. इन दिनों बिहार की सियासत में आरजेडी और जेडीयू की नजदीकियों को लेकर सियासत चरम पर है. जातीय जनगणना को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की नीतीश कुमार से मुलाकात और उसके बाद शुरू हुई सियासी सरगर्मी ने बिहार के सियासत में बदलाव के संकेत मिलने शुरू हो गये हैं. हालांकि, जेडीयू के नेताओं ने अब तक खुलकर कुछ भी नहीं कहा है.
आरजेडी ने कहा स्वागत के लिए खुला दरवाजा
बिहार में चल रही सियासी बयानबाजी और आरजेडी के खुले दरवाजे ने कई संकेत दिए हैं. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने खुलकर कहा कि आरजेडी का दिल और दिमाग दोनों पूरी तरह खुला हुआ है. यह दरवाजा आरजेडी में आने वालों के लिए खोला गया है. जातीय जनगणना और अन्य मुद्दों पर जो भी आरजेडी के साथ आना चाहता है उसका स्वागत है.
बदलाव की राजनीति के हैं कई सियासी पेंच भी
भले ही बिहार की सियासत में आरजेडी दरवाजा खोलकर सियासी संकेत दे रही हो, पर बदलाव की इस सियासत में पेंच भी कई हैं. जेडीयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ट नारायण सिंह ने खुलकर बयान दिया है कि जेडीयू और बीजेपी के बीच सालों से गठबंधन है, जो मजबूत है. आने वाले दिनों में भी दोनों एकसाथ ही रहेंगे. कहीं कोई दिक्कत नहीं है.
ललन सिंह के बयान के क्या हैं सियासी मायने
वहीं, दूसरी तरफ जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि 2025 तक के लिए मेंडेट मिला है और और बिहार सरकार पूरे समय तक चलेगी. अगर किसी मुद्दे पर दल एकसाथ खड़े दिखते हैं तो इसमें दिक्कत वाली कोई बात नहीं. हालांकि, जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि क्या 2025 तक एनडीए की ही सरकार रहेगी तो उन्होंने कहा कि अभी तक तो है. जाहिर है इस बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. बहरहाल, बिहार की सियासत में भले ही चर्चाएं कई हैं पर आने वाले दिनों में देखना बेहद दिलचस्प होगा कि सियासी संकेत के क्या नतीजे निकलते हैं.
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