COVID-19 Vaccination: कर्नाटक में 43 साल के हेल्थ वर्कर की मौत, स्वास्थ्य विभाग बोला- कोरोना वैक्सीन वजह नहीं

देशभर में 16 जनवरी से कोरोना वायरस को हराने के लिए वैक्सीनेशन (Covid-19 Vaccination Drive in India) चल रहा है.
Covid-19 Vaccination Drive in India: हेल्थ वर्कर नागाराजू संडूर जनरल अस्पताल का कर्मचारी था. सोमवार की दोपहर सीने में दर्द और सांस में दिक्कत के बाद उसे इसी अस्पताल में भर्ती किया गया था, इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई. लाश को पोस्टमार्टम के लिए विजयनगर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (VIMS) भेजा गया है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 19, 2021, 5:59 PM IST
बंगलुरु. देशभर में 16 जनवरी से कोरोना वायरस को हराने के लिए वैक्सीनेशन (Covid-19 Vaccination Drive in India) चल रहा है. वैक्सीन लगवाने के बाद कई जगहों से साइड इफेक्ट की खबर भी आई है. इस बीच कर्नाटक के बल्लारी जिले में वैक्सीन लगाने के बाद एक हेल्थ वर्कर की मौत का मामला सामने आया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) के मुताबिक, 43 साल के हेल्थ वर्कर को शनिवार को दोपहर 1 बजे उसे वैक्सीन लगाई गई थी, जिसके बाद वह बिल्कुल ठीक था. उसमें कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखे थे. सोमवार रात को उसकी मौत हुई है. हालांकि, सरकार या राज्य के स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के सुधाकर के मुताबिक, मौत की वजह वैक्सीन नहीं है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हेल्थ वर्कर नागाराजू संडूर जनरल अस्पताल का कर्मचारी था. सोमवार की दोपहर सीने में दर्द और सांस में दिक्कत के बाद उसे इसी अस्पताल में भर्ती किया गया था, इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई. लाश को पोस्टमार्टम के लिए विजयनगर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (VIMS) भेजा गया है. विम्स की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, हेल्थ वर्कर शुगर और हाई ब्लड प्रेशर समेत दूसरी बीमारियां भी थी.
चीन और WHO सक्रियता दिखाते तो कोरोना महामारी नहीं बनताः IPPR
क्या कहते हैं विम्स डायरेक्टर?
इस बारे में विम्स के डायरेक्टर डॉ. बी देवानंद ने बताया, 'पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की वजह साफ होगी. शुरुआती रिपोर्ट में मौत वैक्सीन के कारण नहीं, बल्कि कार्डियोपल्मनरी फेल होने से हुई है. वैक्सीनेशन के बाद की प्रतिकूल परिस्थितियों से जुड़ी कमिटी के मुताबिक हेल्थ वर्कर की मौत की वजह हार्ट अटैक है. फिलहाल हम पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.'
यूपी में भी आया ऐसा मामला
कर्नाटक से पहले उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में ऐसा मामला आया था. मुरादाबाद के जिला अस्पताल के वार्ड ब्वॉय महिपाल वैक्सीन लगाने के बाद मौत हो गई. हालांकि, मुरादाबाद के सीएमओ डॉ एमसी गर्ग ने बताया कि महिपाल की मौत का कोरोना वैक्सीनेशन से कोई लेना-देना नहीं है. उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई थी. बता दें कि कोरोना का टीकाकरण करवाने के अगले दिन मौत के बाद वार्ड ब्वॉय के परिजनों ने आरोप लगाया था कि वैक्सीन की वजह से जान गई है.
अब तक 447 लोगों में दिखे वैक्सीन के साइड इफेक्ट
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि कोरोना टीकाकरण के बाद अब तक कुल 447 लोगों में प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला है. रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक संवाददाता सम्मेलन कर इसकी जानकारी दी. मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना वायरस टीकाकरण दिए जाने के बाद 16 और 17 जनवरी को 447 एइएफ़आई (एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्युनाइजेशन) रिपोर्ट किए गए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर मनोहर अगनानी ने बताया कि अधिकांश मामलों में इसका प्रतिकूल प्रभाव मामूली स्तर का था. अगर टीकाकरण के बाद किसी को अस्पताल में भर्ती करना पड़े तो उसे सीरियस एएफ़आई में दर्ज किया जाता है.
कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मिली है इस्तेमाल की मंजूरी
बता दें कि भारत में वैक्सीनेशन के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगाई जा रही है. यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड और ब्रिटिश-स्वीडिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर कोविशील्ड को विकसित किया है और पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड नाम से इसका विर्निर्माण किया. भारत जैसे देशों के लिए कोविशील्ड बहुत ही अहम वैक्सीन बनकर उभरी है, जहां लागत और लॉजिस्टिक्स काफी मायने रखते हैं.

वहीं, भारत की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी भारत बायोटक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा विकसित 'कोवैक्सीन' दूसरी वैक्सीन है, जिसे सरकार की ओर से आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली है.
कोवैवाक्सिन कोरोना वायरस के इनएक्टिवेटेड वायरस (निष्क्रिय वायरस) पर आधारित वैक्सीन है. वैक्सीन निर्माण की यह सबसे पुरानी तकनीकों में से एक है. इसमें निष्क्रिय वायरस का उपयोग किया गया है, जिसे प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा करने के लिए इन्जेक्ट किया जाता है. वायरस को केमिकल या हीट के माध्यम से निष्क्रिय कर वैक्सीन तैयार की गई. इसमें पूरा का पूरा निष्क्रिय वायरस लोगों को वैक्सीन के रूप में दिया जाता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हेल्थ वर्कर नागाराजू संडूर जनरल अस्पताल का कर्मचारी था. सोमवार की दोपहर सीने में दर्द और सांस में दिक्कत के बाद उसे इसी अस्पताल में भर्ती किया गया था, इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई. लाश को पोस्टमार्टम के लिए विजयनगर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (VIMS) भेजा गया है. विम्स की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, हेल्थ वर्कर शुगर और हाई ब्लड प्रेशर समेत दूसरी बीमारियां भी थी.
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क्या कहते हैं विम्स डायरेक्टर?
इस बारे में विम्स के डायरेक्टर डॉ. बी देवानंद ने बताया, 'पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की वजह साफ होगी. शुरुआती रिपोर्ट में मौत वैक्सीन के कारण नहीं, बल्कि कार्डियोपल्मनरी फेल होने से हुई है. वैक्सीनेशन के बाद की प्रतिकूल परिस्थितियों से जुड़ी कमिटी के मुताबिक हेल्थ वर्कर की मौत की वजह हार्ट अटैक है. फिलहाल हम पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.'
यूपी में भी आया ऐसा मामला
कर्नाटक से पहले उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में ऐसा मामला आया था. मुरादाबाद के जिला अस्पताल के वार्ड ब्वॉय महिपाल वैक्सीन लगाने के बाद मौत हो गई. हालांकि, मुरादाबाद के सीएमओ डॉ एमसी गर्ग ने बताया कि महिपाल की मौत का कोरोना वैक्सीनेशन से कोई लेना-देना नहीं है. उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई थी. बता दें कि कोरोना का टीकाकरण करवाने के अगले दिन मौत के बाद वार्ड ब्वॉय के परिजनों ने आरोप लगाया था कि वैक्सीन की वजह से जान गई है.
अब तक 447 लोगों में दिखे वैक्सीन के साइड इफेक्ट
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि कोरोना टीकाकरण के बाद अब तक कुल 447 लोगों में प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला है. रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक संवाददाता सम्मेलन कर इसकी जानकारी दी. मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना वायरस टीकाकरण दिए जाने के बाद 16 और 17 जनवरी को 447 एइएफ़आई (एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्युनाइजेशन) रिपोर्ट किए गए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर मनोहर अगनानी ने बताया कि अधिकांश मामलों में इसका प्रतिकूल प्रभाव मामूली स्तर का था. अगर टीकाकरण के बाद किसी को अस्पताल में भर्ती करना पड़े तो उसे सीरियस एएफ़आई में दर्ज किया जाता है.
कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मिली है इस्तेमाल की मंजूरी
बता दें कि भारत में वैक्सीनेशन के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगाई जा रही है. यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड और ब्रिटिश-स्वीडिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर कोविशील्ड को विकसित किया है और पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड नाम से इसका विर्निर्माण किया. भारत जैसे देशों के लिए कोविशील्ड बहुत ही अहम वैक्सीन बनकर उभरी है, जहां लागत और लॉजिस्टिक्स काफी मायने रखते हैं.
वहीं, भारत की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी भारत बायोटक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा विकसित 'कोवैक्सीन' दूसरी वैक्सीन है, जिसे सरकार की ओर से आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली है.
कोवैवाक्सिन कोरोना वायरस के इनएक्टिवेटेड वायरस (निष्क्रिय वायरस) पर आधारित वैक्सीन है. वैक्सीन निर्माण की यह सबसे पुरानी तकनीकों में से एक है. इसमें निष्क्रिय वायरस का उपयोग किया गया है, जिसे प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा करने के लिए इन्जेक्ट किया जाता है. वायरस को केमिकल या हीट के माध्यम से निष्क्रिय कर वैक्सीन तैयार की गई. इसमें पूरा का पूरा निष्क्रिय वायरस लोगों को वैक्सीन के रूप में दिया जाता है.