नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Corona Virus) से देश को बचाने के लिए रखे गए लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) की तकलीफें तो सभी ने देखी हैं. अब एक ताजा सर्वे (New Survey) में सामने आया है कि देश के 11 राज्यों के करीब 45 फीसदी लोगों को लॉकडाउन के दौरान भोजन के लिए कर्ज लेना पड़ा.
अपनी तरह के इस पहले सर्वे में खुलासा हुआ है कि लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर मुस्लिम और दलित आबादी पर पड़ा. इस रिपोर्ट में केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को लेकर भी कहा गया है कि इससे पूरी खरीद प्रक्रिया पर असर पड़ेगा. इससे देश में भूख के हालात और बदतर होंगे.
हंगर वॉच ने किया है ये सर्वे, कई हजार लोगों से पूछे सवाल
हंगर वॉच संस्था द्वारा किए गए इस सर्वे में सामने आया है कि हर चार में एक दलित-मुस्लिम ने लॉकडाउन के बाद से खाने को लेकर पक्षपात का सामना किया. वहीं सामान्य वर्ग के हर दस में से एक व्यक्ति को भोजन तक पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
सर्वे में यह भी सामने आया कि देश के 11 राज्यों में 45 प्रतिशत लोगों के सामने लॉकडाउन के समय ऐसी आर्थिक दिक्कतें आईं कि उन्हें भोजन तक के लिए कर्ज लेना पड़ा. हंगर वॉच ने यह भी पाया है कि दलित आबादी के अनाज की कुल खपत 74 प्रतिशत तक कम हो गई. इसे सीधा आर्थिक कारणों से जोड़कर देखा जा रहा है
.
बिना खाना खाए ही रात को सोना पड़ा
सितंबर-अक्टूबर महीने में किए इस सर्वे में हर सात में से एक आदमी ने कहा कि कई बार उन्हें रात को बिना खाना खाए ही सोना पड़ा. यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली, तेलंगाना, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के तकरीबन 4000 लोगों से बातचीत के आधार पर बनाई गई है.
(सुहास मुंशी की इस स्टोरी को यहां क्लिक कर पूरा पढ़ा जा सकता है.)undefined
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: COVID 19, Hunger, Hunger death, Lockdown
FIRST PUBLISHED : December 09, 2020, 17:10 IST