पणजी. गोवा (Goa) का भंडारी समुदाय (Bhandari Community) इन दिनों काफी सुर्खियों में है. खास तौर पर जब आम आदमी पार्टी (AAP) ने अमित पालेकर (Amit Palekar) को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार (CM Candidate) घोषित किया, तब से. क्योंकि पेशे से वकील और समाजसेवी अमित पालेकर (Amit Palekar) इसी भंडारी समुदाय (Bhandari Community) से ताल्लुक रखते हैं. जानते हैं इस समुदाय और इसकी चुनावी अहमियत के बारे में.
कौन हैं भंडारी और क्या करते हैं?
भंडारी समुदाय (Bhandari Community) गोवा (Goa) के मूल निवासियों में शुमार है. पूरे गोवा (Goa) के अलावा महाराष्ट्र में कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरि और सिंधुदुर्ग जैसे इलाकों में इस समुदाय की अधिकांश आबादी निवास करती है. ताड़ी निकालना और उसका शोधन करना इस समुदाय का पुराना परंपरागत पेशा है. खेत-बाड़ी और बागबानी का काम भी इस समुदाय के लोग करते हैं. गोवा (Goa) में यह समुदाय अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) में गिना जाता है.
कितनी आबादी है गोवा में भंडारियों की?
गोमांतक भंडारी समाज के अध्यक्ष अशोक नाईक ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत के दौरान कहते हैं, ‘गोवा में भंडारियों की आबादी 30% या उससे कुछ अधिक ही होनी चाहिए. इसका कोई सर्वे तो हुआ नहीं है. पर राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग की रिपोर्ट की मानें तो गोवा (Goa) की 14.59 लाख आबादी में से भंडारी समुदाय (Bhandari Community) करीब 2 लाख है. लेकिन हमारा अनुमान है कि सरकारी आंकड़ा सही नहीं है. यहां भंडारी समाज के करीब 5.29 लाख लोग रह रहे हैं.’ यही नहीं, नाईक की मानें तो गोवा में 66.08% हिंदू हैं, जिनमें भंडारी समुदाय की हिस्सेदारी ही सबसे अधिक है. राज्य के अन्य पिछड़ा वर्गों (OBC) में तो लगभग 61.10% भंडारी हैं.
क्या गोवा में भंडारियों की राजनीतिक तौर पर अनदेखी हुई?
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (AAP Chief Aravind Kejriwal) ने अमित पालेकर (Amit Palekar) को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करते हुए खास तौर पर जोर दिया था. उन्होंने कहा था, ‘राज्य में भंडारी समुदाय (Bhandari Community) के साथ अब तक न्याय नहीं हुआ. उसकी अनदेखी की गई. इतने सालों में सिर्फ एक मुख्यमंत्री (रवि नाईक, जो पहले कांग्रेस में थे, अब भाजपा में हैं) इस समुदाय से बने हैं.’ इस मामले में अशोक नाईक कहते हैं, ‘यह काफी हद तक सही है. निवर्तमान विधानसभा में भी 40 में से सिर्फ 4 सदस्य भंडारी समुदाय (Bhandari Community) से हैं. जो एक मुख्यमंत्री हुए, वे भी महज 2.5 साल के करीब ही पद पर रह सके. इसीलिए हम कहते हैं कि जो हमें अधिक प्रतिनिधित्व देगा, हम इस बार उसका समर्थन करेंगे.’
क्या आप के साथ जाएगा भंडारी समुदाय?
अशोक नाईक की मानें तो भंडारी समुदाय (Bhandari Community) आप (AAP) के साथ जा सकता है. वे कहते हैं, ‘पहली बार, बीते 60 साल में कोई पार्टी (AAP) हमाारे पास इस समानुभूति (Empathy) के साथ आई है. उसने हमारे समुदाय से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी (CM Candidate Amit Palekar) की घोषणा की है. वे सरकार बनाते हैं या नहीं, यह बाद की होगी. इस वक्त तो हम कह सकते हैं कि हमारे समाज में अमित पालेकर और आप के लिए समर्थन बढ़ सकता है.’
जानकार क्या कहते हैं, इस मामले में?
हालांकि जानकारों की राय अलग है. संदेश प्रभुदेसाई गोवा (Goa) के वरिष्ठ पत्रकार हैं. उन्होंने एक किताब भी लिखी है, ‘अजब गोवा की गजब पॉलिटिक्स’. वे कहते हैं, ‘गोवा में जाति की राजनीति काम नहीं करती. यहां 1972 में एक बार जाति के आधार पर गोवा (Goa) के लोगों को लुभाने की कोशिश की गई थी. उस वक्त राज्य की साक्षरता दर 30% के करीब थी. तब भी यहां की राजनीति में जाति का कार्ड चला नहीं. अब तो यहां साक्षरता दर 80% के आसपास है. लगभग 83.3% और 76.4% महिलाएं पढ़ी-लिखी हैं. समझा जा सकता है कि जाति-आधारित राजनीति (Cast Politics) पर उनकी प्रतिक्रिया कैसी होगी.’ संदेश जैसे जानकार भंडारी समुदाय (Bhandari Community) के लिहाज से एक अन्य पहलू की ओर भी ध्यान दिलाते हैं. वह ये कि भंडारी समुदाय परंपरागत (Bhandari Community) रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़ा रहा है.
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