ओडिशा में अचानक नदी से निकल आया भगवान विष्णु का 500 साल पुराना मंदिर

नयागढ़ स्थित पद्मावती नदी में मिला 500 साल पुराना मंदिर. फोटो साभार- @Soumyadipta
500 साल पुराने भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के मंदिर की बनावट को देखने के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह 15वीं या 16वीं सदी का होगा. मंदिर (Temple) करीब 60 फीट ऊंचा है.
- News18Hindi
- Last Updated: June 13, 2020, 9:45 AM IST
नयागढ़. ओडिशा (Odisha) के नयागढ़ स्थित पद्मावती नदी में आसपास रहने वाले लोग उस समय आश्चर्यचकित रह गए जब उन्होंने नदी के अंदर से 500 साल पुराने भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के मंदिर को निकलते देखा. इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) की पुरातत्वविदों की टीम ने बताया कि इस मंदिर को उन्होंने ही खोजा है और इस मंदिर की बनावट को देखने के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह 15वीं या 16वीं सदी का होगा. इस मंदिर में गोपीनाथ (भगवान विष्णु) की प्रतिमा विराजमान थी, जिसे गांव के लोग अपने साथ ले गए थे.
इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज की पुरातत्वविदों की टीम ने बताया कि ओडिशा के नयागढ़ स्थित बैद्येश्वर के पास महानदी की शाखा पद्मावती नदी के बीच मंदिर का मस्तक साफ दिखाई दे रहा है. आर्कियोलॉजिस्ट दीपक कुमार नायक ने बताया कि उनकी टीम को इसकी जानकारी मिली थी कि जिस जगह पर अब पद्मावती नदी है वहां पर पहले गांव था और काफी मंदिर थे. उन्होंने बताया कि नदी से जिस मंदिर का मस्तक दिखाई दे रहा है, वह करीब 60 फीट ऊंचा है. मंदिर की बनावट को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये मंदिर 15वीं या 16वीं सदी का है.
बताया जाता है कि जिस स्थान पर ये मंदिर मिला है उस इलाके को सतपताना कहते हैं. यहां पर एक साथ सात गांव हुआ करते थे. सातों गांवों के लोग इसी मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा किया करते थे. करीब 150 साल पहले नदी का रुख बदला और तेज बाढ़ ने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया. सात के सातों गांव नदी में समा गए और मंदिर भी पूरी तरह से पानी में डूब गया. दीपक कुमार ने बताया कि यह घटना 19वीं सदी के आसपास की होगी. पानी का बहाव देख गांव के लोगों ने मंदिर से भगवान विष्णु की मूर्ति निकाली और ऊंचे स्थान पर चले गए.
पद्मावती गांव के आसपास 22 मंदिर थे
स्थानीय लोग बताते हैं कि पद्मावती गांव के आसपास 22 मंदिर थे. जब ये यहां पर नदी का रुख बदला है जब से सभी मंदिर पानी के अंदर डूबे हुए हैं. करीब 150 सालों के बाद अब एक बार फिर भगवान गोपीनाथ देव के मंदिर का मस्तक बाहर की तरफ दिखाई दिया है. नदी में डूबे मंदिर का मस्तक दिखाई देने के बाद अब पुरातत्वविदों की टीम ने नदी के आसपास के ऐतिहासिक धरोहरों के कागजात जुटाने शुरू कर दिए हैं. INTACH के प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर अनिल धीर ने बताया कि इस कामयाबी के बाद अब हम मंदिर के चारों तरफ पांच किलोमीटर के दायरे में और मंदिरों और धरोहरों की खोज कर रहे हैं.
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इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज की पुरातत्वविदों की टीम ने बताया कि ओडिशा के नयागढ़ स्थित बैद्येश्वर के पास महानदी की शाखा पद्मावती नदी के बीच मंदिर का मस्तक साफ दिखाई दे रहा है. आर्कियोलॉजिस्ट दीपक कुमार नायक ने बताया कि उनकी टीम को इसकी जानकारी मिली थी कि जिस जगह पर अब पद्मावती नदी है वहां पर पहले गांव था और काफी मंदिर थे. उन्होंने बताया कि नदी से जिस मंदिर का मस्तक दिखाई दे रहा है, वह करीब 60 फीट ऊंचा है. मंदिर की बनावट को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये मंदिर 15वीं या 16वीं सदी का है.
An archaeological survey team from the Indian National Trust for Art and Cultural Heritage (INTACH) has claimed that they have discovered an ancient submerged temple in the Mahanadi upstream at Cuttack in Odisha. The temple dates back to the 15th Century. Here are a few pictures. pic.twitter.com/Y2jpD6teDq
— Soumyadipta (@Soumyadipta) June 12, 2020
बताया जाता है कि जिस स्थान पर ये मंदिर मिला है उस इलाके को सतपताना कहते हैं. यहां पर एक साथ सात गांव हुआ करते थे. सातों गांवों के लोग इसी मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा किया करते थे. करीब 150 साल पहले नदी का रुख बदला और तेज बाढ़ ने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया. सात के सातों गांव नदी में समा गए और मंदिर भी पूरी तरह से पानी में डूब गया. दीपक कुमार ने बताया कि यह घटना 19वीं सदी के आसपास की होगी. पानी का बहाव देख गांव के लोगों ने मंदिर से भगवान विष्णु की मूर्ति निकाली और ऊंचे स्थान पर चले गए.
पद्मावती गांव के आसपास 22 मंदिर थे
स्थानीय लोग बताते हैं कि पद्मावती गांव के आसपास 22 मंदिर थे. जब ये यहां पर नदी का रुख बदला है जब से सभी मंदिर पानी के अंदर डूबे हुए हैं. करीब 150 सालों के बाद अब एक बार फिर भगवान गोपीनाथ देव के मंदिर का मस्तक बाहर की तरफ दिखाई दिया है. नदी में डूबे मंदिर का मस्तक दिखाई देने के बाद अब पुरातत्वविदों की टीम ने नदी के आसपास के ऐतिहासिक धरोहरों के कागजात जुटाने शुरू कर दिए हैं. INTACH के प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर अनिल धीर ने बताया कि इस कामयाबी के बाद अब हम मंदिर के चारों तरफ पांच किलोमीटर के दायरे में और मंदिरों और धरोहरों की खोज कर रहे हैं.
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