भारत और चीन के बीच सीमा (India China Border) को लेकर कभी मतैक्य नहीं रहा. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. दुनिया के सबसे उंचे बैटलफील्ड सियाचिन में भारतीय सेना के जवान 1984 से तैनात है. विषम परिस्थितियां वहां पर तैनाती को न सिर्फ चुनौतीपूर्ण बना देती हैं बल्कि खर्च को भी बढ़ा देता है. 16 हज़ार से 22 हज़ार फ़िट की उंचाई की चोटियाँ है जहां भारतीय सेना तैनात है. सूत्रों की मानें तो हर दिन की खर्च करोड़ों रुपये में होता है. लेकिन पिछले दो साल में लद्दाख के हाई ऑलटेट्यूड एरिया में चीन के साथ हुए विवाद के बाद से थलसेना ने अपने 50 हज़ार से ज्यादा सैनिक तैनात हैं और भारतीय सेना की ऑपरेशनल कमिटमेंट के बढ़ने से खर्च को भी बढ़ गया है. इस साल का रक्षा बजट 5.93 लाख करोड़ रुपये है जिसमें रेवेन्यू बजट है 4.2 लाख करोड़. इसका मतलब है कि फौज की रोज़मर्रा की ज़रूरतों में होने वाला खर्च जिसमें तनख्वाह से लेकर हथियारों, उपकरणों का रखरखाव, उनका अपग्रेडेशन, एम्यूनेशन, स्पेयर्स पार्ट, सैनिकों के रहने का इंतजाम के लिए होने वाले खर्च शामिल हैं.
अगर हम तनख्वाह को हटाकर रेवेन्यू बजट को देखें तो साल 2022-23 में ये 62 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा था. जो इस बार बजट अनुमान में बढ़कर 90 हज़ार करोड़ रुपये हो गया है. यानी कि पिछले साल के मुक़ाबले ये तकरीबन 44 फ़ीसदी बढ़ा है. बढ़े हुए अतिरिक्त खर्च की बात करें तो लद्दाख के अलावा पूरी LAC पर भारतीय सेना की इतनी बड़ी तैनाती के लिए इंफ़्रास्ट्रक्चर भी ज़रूरी था.
दो साल में खर्च किए गए 13 हजार करोड़
थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने भी इस बात की जानकारी दी थी कि पिछले 2 साल में 13000 करोड़ रुपये खर्च किए गए. मसलन लद्दाख में सेना के रहने के लिये नए शेल्टर बनाए गए, 400 से ज़्यादा तोप, 500 से ज़्यादा इंफ्रेंट्री व्हीकल और टैंक के लिए बडे़ शेल्टर, सेना ने K-9 वज्र को तनाव के दौरान वही तैनात किया था जो कि गर्म इलाक़े में ऑपरेट करने के लिये ख़रीदे गए थे लेकिन जब उन्हें ठंडे इलाक़ों में तैनात किया गया तो उसमें विंटर किट लगाई गई. वो भी इसी खर्च के दायरे में आता है.
इसके अलावा भी और कई खर्च है जो कि बढ़े है यानी कि जो भी हथियार भारतीय सेना में शामिल किए जा चुके के उनकी रनिंग कॉस्ट इसी रेवेन्यू बजट का हिस्सा होता है और जो नई ख़रीद के लिए पैसा सरकार के लिए रक्षा बजट में दिया जाता है वो कैपिटल एक्सपेंडिचर कहा जाता है जिसमें 10 हज़ार करोड़ रुपये का इज़ाफ़ा करते हुए इस साल 1.71 लाख करोड़ कर दिया गया. बहरहाल LAC पर सेना की तैनाती मानो उसी तरह से हो गई है जैसे की एलओसी पर और आने वाले दिन में सेना के इस खर्च में एसे ही बढ़ोतरी होगी
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