अशोक मिश्रा
पटना. 2010 के बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य में प्रचार करने की अनुमति नहीं दी थी. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से साफ कर दिया था कि अगर प्रधानमंत्री मोदी और वरुण गांधी ने चुनाव प्रचार किया तो वह
बिहार में एनडीए के गठबंधन से अलग हो जाएंगे.
जनता दल (यू) के नेता ने तब मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा था, हमारे पास पहले से ही बिहार में मोदी (सुशील मोदी) हैं. दूसरे मोदी (नरेंद्र मोदी) की जरूरत क्यों है?
नीतीश कुमार के कड़े रुख और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के दबाव के आगे भाजपा नेतृत्व को झुकना पड़ा, जो गठबंधन टूटने के पक्ष में नहीं थे.
अब दस साल बाद जब नीतीश कुमार अपने लिए एक और कार्यकाल चाह रहे हैं, तब पहले चरण के चुनाव के बाद वह अप्रत्याशित तरीके से हुए मतदान को देखने के बाद वह थोड़ा डरे हुए दिखाई दे रहे हैं. यही कारण है कि वह अगले दो चरणों के विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अत्यधिक निर्भर हो गए हैं. बता दें कि पहले चरण में बिहार के 16 जिलों में 71 विधानसभा क्षेत्र में चुनाव कराए गए थे.
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आरजेडी से जेडीयू को मिल रही कड़ी टक्कर
तेजस्वी यादव और चिराग पासवान के तीखे हमले के कारण नीतीश कुमार की छवि को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में अब नीतीश कुमार प्रधानमंत्री मोदी के जरिए अपनी छवि मतदाताओं के बीच एक बार फिर बेहतर करने की कोशिश में लगे हुए हैं. नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इसलिए भी ज्यादा निर्भर दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि नीतीश कुमार को लगता है कि पहले चरण के मतदान में राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवारों ने उनके प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दी है.
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विकास के रास्ते चुनाव में नीतीश को जीत की दरकार
नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) में अभी तक बिहार चुनाव में अपनी बड़ी भूमिका निभाई है, लेकिन इस बार के चुनाव में नीतीश कुमार की स्थिति कमजोर होने के बाद जनता दल यूनाइटेड एक बार फिर बीजेपी के सहारे इस चुनाव में जीत दर्ज करना चाहती है. नीतीश के रुख में यह बदलाव प्रधानमंत्री द्वारा संबोधित हालिया चुनावी रैलियों में देखा गया. जहां उन्होंने बिहार के लिए अपने विकास के एजेंडे में प्रधानमंत्री मोदी के विकास कार्यों की बड़े पैमाने पर चर्चा की है. पीएम के लिए आदरणीय जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए नीतीश ने कहा, अगर एनडीए सत्ता में वापस आ गई तो नरेंद्र मोदी बिहार को एक विकसित राज्य बना देंगे.
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पीएम नीतीश को बोल चुके हैं भावी मुख्यमंत्री
वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश को भावी मुख्यमंत्री घोषित करते हुए बिहार के आर्थिक बदलाव का श्रेय दिया है. प्रधानमंत्री ने राजद के खिलाफ लोगों को आगाह भी किया और बिहार के आर्थिक विकास करने का वादा भी किया. नीतीश कुमार जिन्होंने साल 2010 और 2015 में अपने दम पर चुनाव में जीत हासिल की थी वह अब मोदी फैक्टर के आगे झुकने को मजबूर हैं. नीतीश कुमार जिस पद के राजनेता हैं वह बिहार में बदले समीकरण के बाद प्रधानमंत्री मोदी पर ही निर्भर हो गए हैं.
यह लेख अंग्रेजी से अनुवाद किया गया है. मूल लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2020, 09:57 IST