देशभर में अक्टूबर से शुरू हुई गेहूं की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है. (फाइल फोटो)
Agriculture News: किसान (Farmer) देश की रीढ़ होते हैं. देश की अर्थव्यवस्था (Economy) में उनका बड़ा योगदान होता है. ऐसे में किसानों की आय (Income Of Farmers) और उनकी खुशहाली बहुत महत्वपूर्ण है. इसके लिए जरूरी है कि किसान (Fromers) खेती (Farming) को लेकर जागरूक रहे. उसे फसल (Crops) को लेकर पूरी जानकारी और मॉर्डन तकनीक (Modern Technique) पता रहे. देश में रबी (Rabi) की बुआई शुरू हो चुकी है. इस सीजन की सबसे महत्वपूर्ण फसल गेहूं (Wheat) होती है. देशभर में अक्टूबर से शुरू हुई गेहूं की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है. ऐसे में किसानों को गेहूं के फसल की सुरक्षा की जानकारी होना बहुत जरूरी है. आज हम आपको गेहूं (Wheat) की फसल में किए जाने वाले जरूरी कार्यों के बारे में जानकारी देंगे.
देशभर में गेहूं की फसल अभी शुरुआती अवस्था में है. फसल अभी छोटी- छोटी हैं. अब ये बड़ी होना शुरू कर रही हैं. फसल सही तरीके से बड़ी हो इसके लिए फसल में सही समय पर खरपतवार नियंत्रण, सिंचाई, पोषक तत्वों की पूर्ति और फसल सुरक्षा करना बेहद आवश्यक होता है. फसल के किए ये जरूरी कम कब और कैसे करें इसको लेकर हमने बात की है विषय विशेषज्ञ सोनाली तंवर से. सोनाली ने फसल के सही उत्पादन को लेकर कई महत्वपूर्ण बात बताई.
खरपतवार नियंत्रण
सोनाली तंवर ने बताया कि गेहूं का सही तरीके से उत्पादन हो इसके लिए जरूरी है उसके बढ़ने में कोई रोड़ा न बने इसलिए जरूरी है कि खेत से सभी तरह के खरपतवार हटा दिए जाएं. उन्होंने बताया कि गेहूं के अलावा खेत मे लगा हर पौधा उसके लिए खरपतवार ही है, फिर चाहे वो चना या कोई अन्य खाद्यान फसल ही क्यों न हो. इसलिए खेत से इन्हें साफ कर देना चाहिए. इसका सही समय पर, सही तरीके से, प्रबंधन जरूरी है.
गेहूं में करीब 30 से 35 दिन बाद चौड़ी पत्ती के खरपतवार दिखने लगते हैं. चौड़ी पत्ती के खरपतवार के रासायनिक नियंत्रण के लिए 2,4 डी दवा की 0.4 से 0.5 किलोग्राम मात्रा को 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से, बुआई के 30 दिन के बाद मृदा में पर्याप्त नमी होने पर इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा गेहूं की फसल में संकरी पत्ती के खरपतवारों के नियंत्रण के लिए आइसोप्रोट्यूरान दवा की 750 ग्राम मात्रा को 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से, बुआई के 20 दिन बाद मृदा में पर्याप्त नमी होने पर इस्तेमाल करें. इसके अलावा फसल की निराई-गुड़ाई अवश्य करें.
पोषक तत्व का प्रबंधन
गेहूं के फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उसमें पोषक तत्वों (Nutrients) की पर्याप्त मात्रा होना बहुत जरूरी है. पोषण तत्त्वों के प्रबंधन को लेकर सोनाली तंवर ने बताया कि यूरिया 110 किलोग्राम प्रति एकड़, 55 किलोग्राम DAP और 20 किलोग्राम पोटास प्रति एकड़ की दर से देना चाहिए. इसके लिए फास्फोरस और पोटास की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा बुवाई से पहले मिला देने चाहिए. उसके बाद नाइट्रोजन की बची हुई मात्रा पहली सिंचाई के बाद शेष आधा मात्रा दूसरी सिंचाई के बाद खड़ी फसल पर छिड़क देने से अच्छी बढ़वार होती है.
सिंचाई का प्रबंधन
गेहूं की फसल में सिंचाई को लेकर सोनाली तंवर ने बताया कि गेहूं की फसलों में 6 बार सिंचाई (Irrigation) करनी चाहिए. हालांकि कई बार फसल की किस्म, मृदा की क्वालिटी और वहां की जलवायु पर सिंचाई निर्भर होती है. उन्होंने बताया कि पहली सिंचाई 20 से 25 दिन पर, दूसरी सिंचाई 40 से 45 दिन पर, तीसरी सिंचाई 60 से 65 दिन पर, चौथी सिंचाई 80 से 85 दिन पर, पांचवीं सिंचाई 90 से 105 दिन पर और छठवीं सिंचाई 105 से 120 पर देनी चाहिए. इससे 100 प्रतिशत पैदावार होती है.
कीटों का प्रबंधन
गेहूं की फसल ( Wheat Crops) को माहू कीट और दीमक द्वारा बहुत नुकसान पहुंचाया जाता है. यह इसके उत्पादन को बहुत कम कर देता है. इसके रासायनिक नियंत्रण के लिए फसल पर इमिडाक्लोप्रिड दवा की 1 मिली लीटर मात्रा को 3 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करने से माहू कीट का नियंत्रण आसानी से हो जाता है. वहीं दीमक के प्रकोप से निपटान के लिए क्लोरपायरीफॉस दवा का इस्तेमाल करना चाहिए.
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