पंजाब की फसलों को लेकर की गई स्टडी से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण 2050 तक फसलों की उत्पादकता में भारी कमी आएगी. (सांकेतिक फोटो)
नई दिल्ली. जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण दुनियाभर में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इसके कारण अब भारत के किसानों (Farmers) को लेकर भी चिंता बढ़ गई है. जलवायु परिवर्तन के कारण औसत तापमान बढ़ने से 2050 तक पंजाब (Punjab) में सभी प्रमुख फसलों की पैदावार कम होने की भविष्यवाणी की गई है, जिसमें मक्का (Maize) के लिए सबसे अधिक 13%, इसके बाद कपास (Cotton) के लिए 11%, गेहूं (Wheat) और आलू (Potato) में 5% और धान (Paddy) की पैदावार में 1% कमी होने का अनुमान है. भारत मौसम विज्ञान विभाग की पत्रिका ‘मौसम’ के नवीनतम संस्करण में प्रकाशित एक अध्ययन से मौजूदा स्तरों की तुलना के बाद यह भविष्यवाणी की गई है.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के कृषि अर्थशास्त्रियों और वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन में पिछले 35 वर्षों (1986-2020) के वर्षा और तापमान के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया, ताकि पंजाब में पांच प्रमुख फसलों की उपज पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अनुमान लगाया जा सके. पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं सनी कुमार, बलजिंदर कौर सिदाना और स्माइली ठाकुर द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि ‘अधिकांश फसलों में औसत तापमान में वृद्धि के साथ उनकी उत्पादकता घट जाती है.’
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2080 तक और घट जाएगी उत्पादकता
TOI के मुताबिक कृषि उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का प्रतिकूल प्रभाव किसानों के लिए खाद्य सुरक्षा के खतरे का संकेत देता है. अध्ययन में बताया गया है कि इन फसलों (Crops) की बढ़ती अवधि के दौरान सर्दियों में रबी की फसलों के लिए औसत तापमान में 0.22℃ और गर्मियों में खरीफ की फसलों के लिए 0.73℃ की वृद्धि के तथ्य से पता चलता है कि 2080 तक नुकसान बहुत अधिक होगा. उदाहरण के लिए मक्का की उत्पादकता में कमी 13% से बढ़कर 24%, कपास के लिए 11% से 24% और धान (Paddy) के लिए 1% से 3% तक बढ़ जाएगी.
क्या कहते हैं 35 साल के आंकड़े
35 साल के आंकड़ों से पता चलता है कि धान (Paddy) के सीजन (जून-सितंबर) के दौरान कुल वर्षा में 107 मिमी और मक्का (मई-अक्टूबर) के दौरान 257 मिमी की गिरावट दिखी है. जो राज्य में भूजल संसाधनों के अति-दोहन के कारण हुआ है. तापमान और वर्षा का जलवायु डाटा लुधियाना, पटियाला, फरीदकोट, बठिंडा और एसबीएस नगर में पीएयू की पांच मौसम वेधशालाओं से एकत्र किया गया, जिसके बाद तापमान और वर्षा के दैनिक डाटा को फसल अवधि के लिए विभिन्न महीनों को शामिल करते हुए मासिक डाटा में परिवर्तित किया गया.
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