एम्स-दिल्ली का सर्वर 8वें दिन भी डाउन रहा. (पीटीआई फाइल फोटो)
नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ई-अस्पताल प्रणाली के पूर्ण रूप से बंद होने के बाद अब अनुसंधान परियोजनाओं में डॉक्टरों से जुड़े लगभग 250 कर्मियों को रोगी सेवाओं पर काम करने के लिए भेजा गया है. प्रमुख शिक्षण अस्पताल में पिछले सप्ताह हुए एक बड़े रैंसमवेयर हमले के बाद हैकर्स ने सर्वर को फ्रीज कर दिया है जिससे अस्पताल सेवाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही सर्वर के हैक होने के कारण स्वास्थ्य पहचान संख्या, नए पंजीकरण, प्रयोगशाला रिपोर्ट और बिलिंग की प्रक्रिया अब मैन्युअल ही करनी पड़ रही है.
कभी आउट पेशेंट विभाग (ओपीडी) में हर दिन लगभग 25,000 रोगियों को देखने वाला संस्थान, 23 नवंबर को हुए साइबर हमले के बाद से उस संख्या के लगभग पांचवें हिस्से को परामर्श सेवाएं प्रदान कर रहा है. मंगलवार से, अस्पताल मरीजों के लिए अनुसंधान सहायकों को रोग कक्ष में भेजने के बाद से अधिकांश विभागों में प्रतीक्षारत रोगियों की कतारों को कुछ हद तक कम करने में कामयाब रहा है.
मनी कंट्रोल को नाम न छापने की शर्त पर अस्पताल के एक प्रमुख विभाग के प्रमुख ने बताया कि उनका प्रयास किसी भी मरीज को वापस नहीं लौटाने का है. संस्थान के प्रशासनिक विभाग के सूत्रों ने यह भी कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन से कम से कम चार नए सर्वरों के लिए मदद मांगी गई है, जिनका इस्तेमाल डिजिटल सेवाओं को बहाल करने के लिए किया जा सकता है. इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-in) और नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) के विशेषज्ञों की एक टीम पहले से ही ऑनलाइन सेवाओं को बहाल करने पर काम कर रही है.
शोध कार्य भी प्रभावित
AIIMS दुनिया भर में अपने शिक्षण की गुणवत्ता और यहां किए गए शोध कार्य के लिए भी जाना जाता है. हालांकि सर्वर हैक होने के बाद से अस्पताल की तमाम एडवांस रिसर्च प्रभावित हुई है. ऑफ द रिकॉर्ड बात करने वाले कई डॉक्टरों ने बताया कि वे ई-लाइब्रेरी को पुनः प्राप्त करने या अन्य वेबसाइटों का उपयोग करने में असमर्थ हैं, जिससे शैक्षणिक कार्य बाधित हो रहा है. ऐसे ही न्यूरोसाइंस विभाग के एक वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य ने बताया कि पिछले एक हफ्ते से, फैकल्टी का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है, क्योंकि वे विश्लेषण या छात्रों को पढ़ाने के लिए मरीजों के रिकॉर्ड तक नहीं पहुंच सकते हैं. फैकल्टी को डर है कि अगर नए सर्वर लाए जाते हैं तो केस स्टडी और अध्ययन सहित बड़ी मात्रा में डेटा उपलब्ध नहीं हो पाएगा.
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Tags: AIIMS, Aiims delhi, Cyber Attack
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