नई दिल्ली. लगातार बढ़ता वायु प्रदूषण दिन पर दिन चिंता की वजह बनता जा रहा है. बीते दिनों खबर आई थी कि दिल्ली भारत ही नहीं दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार है. खास बात यह है कि इस सूची में अब भारत के छोटे शहर भी शामिल हो रहे हैं. अब एक ताजातरीन रिपोर्ट से पता चलता है कि वायु प्रदूषण भारत में सेहत और आर्थिक हालत को खस्ता करने की दूसरी सबसे बड़ी वजह बनता जा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक इससे हर साल करीब 15000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है.
जिसे एक स्विस संस्था IQAir ने जो विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट-2022 तैयार की है, उसमें पाया गया है कि भारत में पीएम 2.5 का स्तर वापस कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन लगने के पहले की स्थिति पर पहुंच गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण भारत में मानव सेहत को बदतर कर रहा है और बीमारियों के मामले में सबसे बड़ा खतरा बन कर उभर रहा है. यही नही इसकी वजह से देश को 15000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान तक झेलना पड़ रहा है. भारत में वायु प्रदूषण की मुख्य वजहों में वाहन से होने वाला उत्सर्जन, उर्जा उत्पादन, औद्यौगिक कचरा, खाना पकाने में लगने वाला ईंधन, निर्माण क्षेत्र और पराली जलाना शामिल है.
2019 में पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत 2024 तक पर्टिकुलेट मैटर को 20 से 30 फीसद तक कम करने का लक्ष्य रखा है. जिसके लिए योजनाबद्ध तरीके से शहरों में जहां वायु प्रदूषण पर निगरानी रखने का तंत्र स्थापित किया जा रहा है, वहीं वायु की गुणवत्ता में सुधार के उपाय भी लागू किए जा रहे हैं. रिपोर्ट कहती है कि लॉक़डाउन, प्रतिबंध, और आर्थिक मंदी के चलते राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के असर के आधार पर वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया है. इसके अलावा राज्यों में विशेष एक्शन प्लान के अलावा किसी दूसरे तरीके पर काम भी नहीं किया गया है. जिसकी वजह से वायु प्रदूषण सेहत के लिए सबसे बड़ा खतरा बन कर उभरा है.
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