नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत (High Court) ने एयरसेल-मैक्सिस मामले (Aircel-Maxis case) में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम (P chidambaram) और उनके पुत्र कार्ति (Karti Chidambaram) के खिलाफ जांच में देरी को लेकर नाराजगी जताई है. अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जांच पूरा करने के लिए दो माह का और समय दिया.
विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहार ने दोनों एजेंसियों की इस मामले में जारी जांच के सिलसिले में ब्रिटेन और सिंगापुर से अनुरोध पत्र (एलआर) पर रिपोर्ट के लिए और समय देने के आग्रह को स्वीकार कर लिया. अदालत ने कहा, 'इस मामले में अनावश्यक रूप से देरी हो रही है. इस मामले की अगली सुनवाई अब एक फरवरी को होगी.'
यह मामला एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है.
क्या है एयरसेल मैक्सिस केस?
यह केस फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) से जुड़ा है. 2006 में एयरसेल-मैक्सिस डील को पी चिदंबरम ने बतौर वित्त मंत्री ने मंजूरी दी थी. पी चिदंबरम पर आरोप है कि उनके पास 600 करोड़ रुपये तक के प्रोजेक्ट प्रपोजल्स को ही मंजूरी देने का अधिकार था. इससे बड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के लिए उन्हें आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति से मंजूरी लेनी जरूरी थी. एयरसेल-मैक्सिस डील केस 3500 करोड़ की एफडीआई की मंजूरी का था. इसके बावजूद एयरसेल-मैक्सिस एफडीआई मामले में चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स की मंजूरी के बिना मंजूरी दी गई.
सुब्रमण्यम स्वामी ने किया था मामले का खुलासा
साल 2015 में सुब्रमण्यन स्वामी ने कार्ति चिदंबरम की विभिन्न कंपनियों के बीच वित्तीय लेनदेन का खुलासा किया था. स्वामी ने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए पी. चिदंबरम ने अपने बेटे कार्ति की एयरसेल-मैक्सिस डील से लाभ उठाने में मदद की. इसके लिए उन्होंने दस्तावेजों को जानबूझकर रोका और अधिग्रहण प्रक्रिया को नियंत्रित किया ताकि कार्ति को अपनी कंपनियों के शेयर की कीमत बढ़ाने का वक्त मिल जाए.
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FIRST PUBLISHED : December 02, 2020, 13:46 IST