छात्र संघ (Students Union) ने कहा कि जिस निजी अस्पताल (Private Hospital) में सूर्या को पहले भर्ती कराया गया था, अगर उसने इलाज करने की थोड़ी भी जिम्मेदारी ली होती तो मौत को टाला जा सकता था. छात्र संघ की ओर से आरोप लगाया गया कि सूर्या के इलाज में अस्पताल की गैरजिम्मेदारी और लापरवाही (irresponsibility and negligence) ने उसकी जान ले ली.
हैदराबाद. हैदराबाद विश्वविद्यालय (Hyderabad University) के एक शोध विद्यार्थी (Research Student) की मौत से नल्लागंदला के एक निजी अस्पताल (Private Hospital) पर लापरवाही के आरोप लगे हैं. इसी अस्पताल में रिसर्च स्टूडेंट को सबसे पहले भर्ती कराया गया था. छात्र संघ (Students Union) ने आरोप लगाया कि अस्पताल की ओर से की गई लापरवाही और एक गलत इलाज के कारण सूर्य प्रताप भारती की मृत्यु हो गई और उन्होंने उसके लिए न्याय (justice) की मांग की है.
अंग्रेजी विभाग के 30 वर्षीय पीएचडी स्टूडेंट की शुक्रवार को ब्रेन हैमरेज (Brain Haemorrhage) होने के बाद इससे उपजी समस्याओं के चलते एक अस्पताल में मौत हो गई थी. सूर्या को 17 अगस्त को परिसर में एक तेज इस्किमिक स्ट्रोक (acute ischemic stroke) आया था और उसे नल्लागंदला के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्हें कोविड-19 (Covid-19) के रैपिड एंटीजन टेस्ट (rapid antigen test) में निगेटिव पाया गया. हालांकि, अगले दिन, उन्हें आरटी-पीसीआर परीक्षण (RT-PCR test) में पॉजिटिव पाया गया. तीन दिनों के बाद, उन्हें गच्ची बाउली के एक निजी अस्पताल (private hospital) में शिफ्ट कर दिया गया, जहां शुक्रवार को उनकी मृत्यु हो गई.
पुलिस ने दर्ज किया मामला, शुरू की जांच
छात्र संघ ने कहा कि जिस अस्पताल में सूर्या को पहले भर्ती कराया गया था, अगर उसने इलाज करने की थोड़ी भी जिम्मेदारी ली होती तो मौत को टाला जा सकता था. आरोप लगाया गया कि सूर्या के इलाज में अस्पताल की गैरजिम्मेदारी और लापरवाही ने उसकी जान ले ली.
कुछ छात्रों ने अस्पताल के खिलाफ चंदननगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने कहा कि उन्होंने मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है.
छात्र संघ ने कहा- DSW सहित विश्वविद्यालय प्रशासन को जाता है दोष
हालांकि पुलिस ने शव परीक्षण की मांग को खारिज कर दिया और अधिकारी शव को वाराणसी भेजने की व्यवस्था कर रहे हैं.
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छात्र संघ ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन, जिसमें डीन और सामाजिक कल्याण और चिकित्सा अधिकारी शामिल हैं, को दोष दिया जाना चाहिये. उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से किनारा कर लिया और उपचार या मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया और सूर्या के लिए चिंता का इनमें अभाव दिखा.
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