नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत (Delhi court) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) के दौरान आतंकवादी गतिविधियों (Terror Incident) में संलिप्तता के आरोप से एक पाकिस्तानी नागरिक सहित आतंकवादी संगठन लश्कर- ए- तैयबा (Lashkar-E-Taiba) के कथित पांच सदस्यों को सोमवार को बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि अपराध में संलिप्तता को लेकर उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और अभियोजन पक्ष अभियोग को साबित करने में असफल रहा. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा की अदालत ने मामले में आरोपी मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद राशिद, असबुद्दीन अब्दुल सुभान और पाकिस्तानी नागरिक अरशद खान को राहत दी. पांचों आरोपियों के खिलाफ सख्त गैर कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज था.
न्यायाधीश ने कहा, ‘इस मामले में अभियोजन अपने आरोपों को साबित करने में बुरी तरह से असफल हुआ है, और आरोपी बरी किए जाने लायक हैं.’ न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि आरोपी आतंकवादी संगठन के सदस्य हैं. न्यायाधीश ने कहा, ‘मैं संतुष्ट हूं कि अभियोजन रिकॉर्ड पर यह साबित करने में बुरी तरह से असफल रहा कि आरोपी प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य हैं. इसलिए वे यूएपीएस की धारा-20 के तहत दंडनीय अपराध से बरी होने के योग्य हैं.’
‘अपराध में संलिप्तता के कोई सबूत नहीं’
अदालत ने आगे कहा कि आरोपियों के खिलाफ अपराध में संलिप्तता के कोई सबूत नहीं हैं. अदालत ने कहा कि यह भी सबूत नहीं है कि उन्होंने आतंकवादी गतिविधियों के लिए अन्य की भर्ती की. अदालत ने कहा, ‘यह साबित करने के लिए सबूतों का अभाव है कि आरोपियों ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए भर्ती की या किसी व्यक्ति को भर्ती किया जाना है. इसलिए यह नहीं माना जा सकता कि आरोपी यूपीएपीए की धारा 18 बी के तहत दोषी हैं.’
क्या था आरोप
वहीं, अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने फिरौती के लिए अमीर व्यक्ति का अपहरण करने की योजना बनाई थी. अभियोजन ने कहा कि इससे मिले धन का इस्तेमाल ‘जिहाद’, आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्तपोषण और अन्य लोगों की भर्ती में किया जाना था. अभियोजन ने दावा किया कि फिरौती की रकम हवाला के जरिये दुबई में प्राप्त की जानी थी.
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