पति के मरने के बाद सौतेले बेटे पर मुकदमा चलाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार

पिता के मरने के बाद सौतेले बेटे पर मुकदमा चलाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बेटे पर मुकदमा चलाने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा, सर्वशक्तिमान ने जो किया उसके बाद ये मामला यही पर खत्म हो जाता है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 10, 2021, 4:02 PM IST
नई दिल्ली. पति-पत्नी के बीच पिछले 28 साल से चल रहा मुकदमा बिना किसी फैसले के इसलिए खत्म हो गया क्योंकि पति की मौत हो गई थी. इस बात से नाराज महिला ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसका मुकदमा अब उसके बेटे पर चलाया जाए क्योंकि उसे अभी तक न्याय नहीं मिला है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बेटे पर मुकदमा चलाने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा, सर्वशक्तिमान ने जो किया उसके बाद ये मामला यही पर खत्म हो जाता है.
न्यायमूर्ति संजय कौल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, पति-पत्नी के बीच पिछले 28 साल से चल रहे मुकदमे को आगे नहीं चलाया जा सकता क्योंकि 25 फरवरी 2020 को पति की मौत हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के मर जाने के बाद दंडात्मक आरोपों के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. पीठ ने इस मामले मे खेद व्यक्त किया कि महिला के पति की मौत हो गई लेकिन उसने ये भी कहा कि इसका मतलब ये नहीं कि महिला के सौतेले बेटे पर उसका मुकदमा चलाया जाए. बता दें कि महिला चाहती थी कि पति की मौत के बाद सौतेले बेटे पर आपराधिक आरोपों के तहत मुकदमा चलाया जाए क्योंकि उसे अभी तक न्याय नहीं मिला है.

जस्टिस दिनेश महेश्वरी और हृषिकेश रॉय ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा जिस समय पति पत्नी के बीच मुकदमा शुरू हुआ था तब सौतेला बेटा चौथी कक्षा में था. पीठ ने कहा युगल ने 1984 में अलग रहना शुरू कर दिया, जबकि उनका सौतेला बेटा 1985 से 1990 तक महाराष्ट्र के पंजगनी में एक बोर्डिंग स्कूल में था.इसे भी पढ़ें :- मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी लाने को रवाना हुई पुलिस की टीम, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई
स्कूली शिक्षा के बाद, उसे उच्च शिक्षा के लिए पुणे भेज दिया गया. पुणे में अपना कॉलेज पूरा करने के बाद ही वह सौतेला बेटा अपने पिता के साथ रहने के लिए वापस दिल्ली आ गया, जो लंबे समय से शिकायतकर्ता से अलग था.
न्यायमूर्ति संजय कौल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, पति-पत्नी के बीच पिछले 28 साल से चल रहे मुकदमे को आगे नहीं चलाया जा सकता क्योंकि 25 फरवरी 2020 को पति की मौत हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के मर जाने के बाद दंडात्मक आरोपों के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. पीठ ने इस मामले मे खेद व्यक्त किया कि महिला के पति की मौत हो गई लेकिन उसने ये भी कहा कि इसका मतलब ये नहीं कि महिला के सौतेले बेटे पर उसका मुकदमा चलाया जाए. बता दें कि महिला चाहती थी कि पति की मौत के बाद सौतेले बेटे पर आपराधिक आरोपों के तहत मुकदमा चलाया जाए क्योंकि उसे अभी तक न्याय नहीं मिला है.
जस्टिस दिनेश महेश्वरी और हृषिकेश रॉय ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा जिस समय पति पत्नी के बीच मुकदमा शुरू हुआ था तब सौतेला बेटा चौथी कक्षा में था. पीठ ने कहा युगल ने 1984 में अलग रहना शुरू कर दिया, जबकि उनका सौतेला बेटा 1985 से 1990 तक महाराष्ट्र के पंजगनी में एक बोर्डिंग स्कूल में था.इसे भी पढ़ें :- मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी लाने को रवाना हुई पुलिस की टीम, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई
स्कूली शिक्षा के बाद, उसे उच्च शिक्षा के लिए पुणे भेज दिया गया. पुणे में अपना कॉलेज पूरा करने के बाद ही वह सौतेला बेटा अपने पिता के साथ रहने के लिए वापस दिल्ली आ गया, जो लंबे समय से शिकायतकर्ता से अलग था.