नई दिल्ली. भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध (india pakistan war) के शहीदों की याद में अमर जवान ज्योति जलाने का फैसला हुआ था. इसके बाद इंडिया गेट के नीचे एक काले रंग का स्मारक बनाया गया, जिस पर अमर जवान लिखा है. इस पर एक सेल्फ लोडिंग राइफल और उस पर एक सैनिक हेलमेट भी लगाया गया है. इस स्मारक का उद्घाटन 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था. स्मारक में एक ज्योति भी जल रही है. इस ज्योति को अमर जवान ज्योति कहा जाता रहा है.
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत और पाकिस्तान के बीच 3 से 16 दिसंबर 1971 को युद्ध हुआ था. इसमें भारतीय सेना के 3,843 जवान शहीद हुए थे. पाकिस्तान की बुरी हार हुई थी. इस युद्ध के शहीदों के सम्मान में अमर जवान ज्योति स्थापित की गई थी. इस ज्योति को जलाने के लिए एलपीजी का इस्तेमाल होता था, लेकिन बाद में सीएनजी का इस्तेमाल होने लगा. अब यह ज्योति, नेशनल वॉर मेमोरियल में जलाई जाएगी. नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट से 400 मीटर की दूरी पर बना है. यहां भी ज्योति जल रही है. ये मेमोरियल 40 एकड़ में बना है. इसकी दीवारों पर शहीद जवानों के नाम लिखे हैं.
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खबरों के मुताबिक 21 जनवरी को दोपहर बाद 3.54 बजे चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (CIDS या CISC) एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण द्वारा ‘अमर जवान ज्योति’ को ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ में जल रही ज्योति में विलीन कर दिया गया. पहले यह काम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) को करना था. लेकिन बीते दिनों एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) का निधन होने के बाद से यह पद अब तक खाली है. इसलिए उनके डिप्टी सीआईडीएस (CIDS) एयर मार्शल बीआर कृष्ण यह जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ (National War Memorial) 25 फरवरी 2019 को अस्तित्व में आया. यह आजाद भारत में देश के लिए लड़ते हुए शहीद होने वाले भारतीय सैनिकों को याद में बनाया गया है. फिर चाहे वह युद्ध पाकिस्तान (Pakistan) से हुआ हो या चीन (China) से. वे गोवा की आजादी के लिए लड़े हों या फिर करगिल (Kargil) जैसी अन्य लड़ाइयों में.
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