नई दिल्ली. 2002 के गुजरात दंगों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अपने पहले इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अदालत ने भी स्पष्ट कर दिया है कि (गोधरा में) ट्रेन जलाने के बाद हुए दंगे पूर्व नियोजित नहीं थे, बल्कि स्व-प्रेरित थे. समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में अमित शाह ने दावा किया कि कोर्ट ने एक पुलिस अफसर, एक एनजीओ और कुछ पॉलिटिकल एलिमेंट्स का नाम लेते हुए कहा है कि इन्होंने सनसनी खड़ी करने के लिए झूठी बातों को फैलाया. कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार ने दंगा रोकने के लिए भरसक प्रयास किए थे.
गुजरात दंगों के बाद जांच के लिए एसआईटी बनाए जाने से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इंटरव्यू में कहा, “एसआईटी का ऑर्डर कोर्ट का नहीं था. एक एनजीओ ने एसआईटी की मांग की थी. कोर्ट ने हमारे वकील से सिर्फ पूछा ही था. वकील ने कहा कि मुझे इंस्ट्रक्शंस लेने पड़ेंगे. लंच के बाद कोर्ट फिर बैठी. हमारी सरकार ने कह दिया कि जब हमें कुछ छिपाना ही नहीं है तो एसआईटी बने, इसमें हमें क्या आपत्ति है. ये कन्सेंटेड डिसीजन था, यानी गुजरात सरकार के रिकॉर्ड पर कन्सेंट (सहमति) थी. कोर्ट ने अपने जजमेंट में भी लिखा है कि एनजीओ की मांग थी, गुजरात सरकार ने सहमति दी है.” अमित शाह ने कहा कि एसआईटी की जरूरत पर हम कोर्ट में बहस कर सकते थे, लेकिन क्यों करें. जब हमें कुछ छिपाना ही नहीं था, तो क्यों विरोध करते.
#WATCH कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रेन में आग लगने के बाद की घटनाएं पूर्व नियोजित नहीं बल्कि स्वप्रेरित थी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह pic.twitter.com/33oWXnUwPF
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 25, 2022
एएनआई के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि आज जब सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट आया है, तब सब कुछ साफ हो गया है. इंटरव्यू में अमित शाह कहा, “कोर्ट ने एक पुलिस अफसर का नाम लिया है, एक एनजीओ का नाम लिया है और कुछ पॉलिटिकल एलिमेंट्स का नाम लिया है. जजमेंट में साफ है कि इन तीनों ने मिलकर सनसनी खड़ी करने के लिए झूठी बातों को फैलाया. झूठी बातों को आगे बढ़ाया गया, और झूठे सबूत गढ़े गए.”
अमित शाह ने इंटरव्यू में कहा कि एसआईटी को जब जवाब लिखवाया जा रहा था, तब भी उनको मालूम था कि ये झूठा जवाब है. एसआईटी ने इसको बाद में कोर्ट के सामने भी रखा कि ये झूठे जवाब थे और वो जानते थे कि झूठ है. गृह मंत्री शाह ने कहा, “आज कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि सरकार ने दंगा रोकने के लिए भरसक प्रयास किए थे. कोर्ट ने ये तय कर दिया कि मुख्यमंत्री ने बार-बार शांति की अपील की थी. कोर्ट ने ये भी तय किया कि ट्रेन जलाने की घटना के बाद जो दंगे हुए, वो सुनियोजित नहीं थे, स्वप्रेरित थे.”
बता दें कि 2002 के गुजरात दंगों के मामले में जकिया जाफरी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गत 24 जून को खारिज कर दिया है. इसमें उन्होंने तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को एसआईटी की ओर से दी गई क्लीन चिट को चुनौती दी थी. एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ जकिया जाफरी की याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा है.
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Tags: Amit shah, Gujarat Riots, Supreme Court
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