नई दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि अगले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में 50,000 करोड़ रुपये का निवेश आएगा और 12,000 करोड़ रुपये के समझौतों पर पहले ही हस्ताक्षर किए जा चुके हैं. जम्मू कश्मीर में जिला सुशासन सूचकांक (डीजीजीआई) का शुभारंभ करते हुए उन्होंने कहा कि सभी निवेश एक साथ मिलकर पांच लाख युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लिए अब तक की सबसे अच्छी औद्योगिक नीति बनाई है, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर में करीब 50,000 करोड़ रुपये का निवेश आने वाला है और इससे पांच लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा.”
‘जम्मू-कश्मीर को देश का सबसे विकसित क्षेत्र बनने से कोई नहीं रोक सकता’
गृह मंत्री ने कहा कि एक ओर पिछले 70 साल में 12,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, जबकि पिछले एक वर्ष में 12,000 करोड़ रुपये के निवेश के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और 2,000 करोड़ रुपये के भूमि पूजन समारोह भी हुए हैं. उन्होंने कहा, “आज मैं एक बार फिर अपने युवा मित्रों, खासकर घाटी के युवा मित्रों से कहना चाहता हूं कि आप मोदी के बताए विकास के पथ पर चलें.” उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को देश का सबसे विकसित क्षेत्र बनने से कोई नहीं रोक सकता.
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गृह मंत्री ने घाटी के युवाओं से केंद्र शासित प्रदेश में शुरू की गई विकास पहलों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया और कहा कि उन्हें विकास प्रक्रिया, राजनीतिक प्रक्रिया और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए और अपना भविष्य उज्ज्वल बनाना चाहिए.
‘सुशासन सूचकांक से जम्मू-कश्मीर की आम जनता को मिलेगा फायदा’
डीजीजीआई के परिणामों का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की उपलब्धियां हर राज्य तक पहुंचेंगी और इससे देश के हर जिले में सुशासन की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा, “जिला एक महत्वपूर्ण इकाई है अगर सही मायने में सुशासन को जमीनी स्तर पर ले जाना है और जब तक जिला स्तर पर सुशासन नहीं होगा, तब तक इसका कोई मतलब नहीं है.” उन्होंने कहा कि सुशासन सूचकांक के माध्यम से जिलों के बीच प्रतिस्पर्धा से जम्मू-कश्मीर की आम जनता को काफी फायदा होगा.
जम्मू और कश्मीर के जिला सुशासन सूचकांक में 116 आंकड़ा सामग्री के साथ शासन के 10 क्षेत्रों और 58 सूचकांकों को शामिल किया गया है, जिसमें कृषि, सेवाएं, वाणिज्य और उद्योग, मानव संसाधन, पर्यावरण, न्याय और सार्वजनिक सुरक्षा, सामाजिक कल्याण और विकास शामिल हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हर क्षेत्र में, जम्मू-कश्मीर ने दो साल में लाभार्थियों को सीधा लाभ देने का प्रयास किया है और यह स्वाभाविक है कि बिचौलिए नाराज होंगे, लेकिन हम उनकी नाराजगी से डरते नहीं हैं.’’
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