भगोड़ा अमृतपाल सिंह ने सरबत खालसा बुलाने की मांग की है. (फाइल फोटो)
एस. सिंह/चंडीगढ़. अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने 7 अप्रैल को बठिंडा स्थित तख्त दमदमा साहिब में एक विशेष सभा बुलाने का आह्वान किया है, जिसमें सिख और पंजाबी पत्रकारिता की भूमिका, सिख मीडिया के योगदान और पंजाब की स्थिति के संदर्भ में आगे की चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी. यह सभा तख्त दमदमा साहिब में 7 अप्रैल को सुबह 11 बजे आयोजित की जाएगी. यह निर्णय ऐसा समय में लिया गया है जब भगोड़े खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह ने दो वीडियो जारी कर “सरबत खालसा” बुलाने की मांग की है.
हालांकि अकाल तख्त सचिवालय द्वारा जारी संदेश में कहा गया है कि 7 अप्रैल की सभा में समान विचारधारा वाले लोगों को भाग लेना चाहिए. संदेश में कहा गया है कि पिछले कुछ दिनों में पंजाब सरकार ने सिख समुदाय को निशाना बनाने की कोशिश की है लेकिन पंजाब स्थित मीडिया ने असली तस्वीर सामने लाने की कोशिश की है. इसमें कहा गया है कि सरकार ने पत्रकारों की आवाज दबाने की भी कोशिश की है.
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तारी पर जताई चिंता
इस सभा को पंथ, पंजाब और पंजाबियत से जुड़े पत्रकार संबोधित करेंगे. जत्थेदार ने अपने संदेश में कहा गया है कि सम्पूर्ण सिख और पंजाबी पत्रकारिता से जुड़े भाई-बहन इस सभा में हिस्सा लें. इस बीच एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा, ‘सरबत खालसा’ को बुलाना या न बुलाना अकाल तख्त जत्थेदार का एकमात्र विशेषाधिकार है, जो किसी और के पास नहीं है. ग्रेवाल ने कहा कि चूंकि जत्थेदार सिख समुदाय का नेतृत्व कर रहा है, इसलिए वह प्रत्येक निर्णय गहन विचार के साथ लेता है और सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों की राय लेता है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि जत्थेदार देखेंगे कि मौजूदा परिस्थितियों के आलोक में क्या किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमृतपाल के करीबी कई सिखों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है जो कि गंभीर चिंता का विषय है.
कैसे बुलाया जाता है सरबत खालसा
सिख विद्वान बलजिंदर सिंह ने कहा कि किसी व्यक्ति की इच्छा पर सरबत खालसा नहीं बुलाया जा सकता है. हालांकि उन्होंने कहा कि अगर जत्थेदार को “सरबत खालसा” बुलाना है, तो उन्हें सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों के साथ बैठकों की एक श्रृंखला के बाद ऐसा करना होगा और देखना होगा कि इसकी आवश्यकता है या नहीं. उल्लेखनीय है कि आखिरी सरबत खालसा 16 फरवरी 1986 को हुआ था जब ज्ञानी कृपाल सिंह अकाल तख्त के जत्थेदार थे. उससे पहले एसजीपीसी की कार्यकारी समिति ने 28 जनवरी 1986 को अपनी बैठक में इसकी मांग उठाई थी. 1986 और 2015 में अपने स्वयंभू जत्थेदारों के माध्यम से कट्टरपंथी सिखों द्वारा दो बार “सरबत खालसा” बुलाया गया था.
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