खालिस्तान समर्थक और अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह.
नई दिल्ली. भगोड़े खालिस्तानी अलगाववादी अमृतपाल सिंह यूनाइटेड किंगडम की नागरिकता चाहता है. शीर्ष खुफिया सूत्रों ने सीएनएन-न्यूज़18 को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि ‘वारिस पंजाब दे’ के नेता ने फरवरी में ब्रिटिश नागरिकता के लिए आवेदन किया था. अमृतपाल सिंह ने इस आधार पर ब्रिटेन की नागरिकता मांगी थी क्योंकि उनकी पत्नी किरण कौर ब्रिटेन की नागरिक हैं. सूत्रों के मुताबिक, अमृतपाल का आवेदन ब्रिटिश अधिकारियों के पास लंबित है और उन्हें इस मामले पर फैसला लेना अभी बाकी है.
अधिकारियों ने कहा कि दरअसल अलगाववादी नेता स्थानीय अधिकारियों और नागरिक समाज के माध्यम से अपने खिलाफ बनाए जा रहे दबाव और माहौल को समझता है और इसीलिए ब्रिटेन की नागरिकता चाहता था एवं देश छोड़कर निकलने की योजना बना रहा था. खुफिया सूत्रों ने कहा कि सिख समुदाय द्वारा उन्हें बदनाम किया गया था और वह ब्रिटेन के लिए भारत से सुरक्षित बाहर निकलना चाहता है.
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पुलिस ने 18 मार्च को कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह और उसके संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के सदस्यों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई शुरू की थी. हालांकि, खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह पुलिस को चकमा देकर भागने में सफल रहा. पुलिस ने भगोड़े को पकड़ने में लोगों की मदद लेने के लिए सिंह की सात तस्वीरें भी जारी कीं, जिनमें कुछ में उसने पगड़ी नहीं पहनी हुई है. अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया हैं. इस कट्टरपंथी संगठन को अभिनेता और कार्यकर्ता दीप सिद्धू द्वारा शुरू किया गया था. सिद्धू की पिछले साल फरवरी में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी.
पंजाब सरकार ने अमृतसर के पास अजनाला पुलिस थाने पर हुए हमले के बाद अमृतपाल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू की है. पुलिस का कहना है कि अमृतपाल का पता लगाने की कोशिशें की जा रहीं हैं. उसके खिलाफ एक लुकआउट नोटिस और गैर-जमानती वारंट भी जारी किया गया है.
अधिकारियों ने कहा कि मादक पदार्थ तस्कर खालिस्तान समर्थक उपदेशक की कथित रूप से वित्तीय मदद कर रहे थे, जिसमें उसे एक महंगी मर्सिडीज एसयूवी उपहार देना शामिल था. वहीं, आईएसआई हथियार, गोला-बारूद और अन्य रसद के साथ उसकी मदद कर रहा था. अधिकारियों ने कहा कि सिंह ने खुद को एक समाज सुधारक के रूप में पेश करने की कोशिश की और अपने पाले में आने वालों के साथ एक निजी मिलिशिया स्थापित करने के उद्देश्य से नशामुक्ति केंद्र संचालित कर रहा था.
अधिकारियों ने कहा कि नशामुक्ति केंद्रों का कथित रूप से अवैध हथियारों को जमा करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था. उन्होंने कहा कि सिंह और उसके भरोसेमंद साथियों ने नशामुक्ति केंद्रों में उन लोगों के बीच एक कट्टरपंथी, हिंसक तरीके को विकसित करने की कोशिश की. इन केंद्रों में कोई डॉक्टर नहीं था, लेकिन कम गुणवत्ता वाले सस्ते एंटीडोट्स थे, जिससे पीड़ितों को नशीले पदार्थों पर निर्भर रहना पड़ता था.
उन्होंने कहा कि उन केंद्रों पर, अगर लोग अमृतपाल के फरमान का पालन नहीं करते हैं, तो उन्हें पीटा जाता है. अधिकारियों ने कहा कि सिंह धर्म की आड़ में लोगों से वह कराने में सफल रहा है जो वह चाहता था और इससे आईएसआई को पंजाब में अपनी साजिश को अंजाम देने में मदद मिली.
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