पहले इस पैराग्राफ में लिखा गया था "फरवरी-मार्च 2002 में बड़े स्तर पर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा हुई" अब लिखा गया है "फरवरी-मार्च 2002 में गुजरात में बड़े स्तर पर हिंसा हुई."
एनसीईआरटी की बारहवीं क्लास की किताब के पिछले एडिशन में 2002 के गुजरात दंगों के लिए "मुस्लिम विरोधी" शब्द प्रयोग किया जाता था. हालांकि अब उसकी जगह पर अब सिर्फ "गुजरात दंगों" के रूप में पढ़ा जाएगा. 'भारतीय राजनीति के हालिया घटनाक्रम' शीर्षक वाली पाठ्यपुस्तक का संशोधित संस्करण में अगले हफ्ते बाज़ार में आ जाएगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एनसीआरटी ने "स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति" (पृष्ठ 187) अध्याय में बदलाव किया है, जबकि उसी अध्याय के उसी पैराग्राफ में 1984 के दंगों को 'एंटी सिक्ख' लिखा गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पैराग्राफ के पहले वाक्य से "एंटी-मुस्लिम" शब्द को हटा दिया गया है. पहले इस पैराग्राफ में लिखा गया था "फरवरी-मार्च 2002 में बड़े स्तर पर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा हुई" अब लिखा गया है "फरवरी-मार्च 2002 में गुजरात में बड़े स्तर पर हिंसा हुई." यह परिवर्तन यूपीए के कार्यकाल के समय 2007 में पब्लिश हुई किताब में किया गया.
एनसीआरटी के अधिकारियों ने बताया कि किताबों को छापने के लिए जो स्वीकृत पाठ्यक्रम है, उसमें 'एंटी-मुस्लिम' शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है. पाठ्यक्रम में सीधे तौर पर 'गुजरात दंगे' शब्द का प्रयोग किया गया है. जब हमने किताब को अपडेट करने की शुरुआत की तो इसके बारे में हमें बताया गया इसलिए हमने इसको बदलकर गुजरात दंगे कर दिया. कहा जा रहा है कि यह फैसला सीबीएसई व एनसीआरटी के प्रतिनिधियों की कोर्स रिव्यू कमिटी के दौरान लिया गया.
वहीं इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ये बदलाव एनसीआरटी द्वारा टेक्स्ट बुक रिव्यू के दौरान लिए गए. एनसीआरटी एक स्वायत्त संस्था है जो कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय सुझाव देती है. ये सुझाव पिछले साल सीबीएसई द्वारा भी दिया गया था.
संसद में गुजरात दंगों से संबंधित सरकार द्वारा जो जवाब दिया गया था, उसमें कहा गया था कि दंगों में 790 मुसलमान और 254 हिंदू मारे गए थे. 223 गायब हो गए थे और करीब 2500 लोग घायल हो गए थे.
इसके पहले एनसीआरटी की सातवीं कक्षा की किताब में महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में अध्याय जोड़ा गया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले शिवसेना व हिंदू जनजागृति समिति जैसी संस्थाएं इस बात का विरोध करती रही हैं कि किताबों में मुगल शासकों की प्रशंसा की जाती है और हिंदू शासकों को उपेक्षित किया जाता है.
इसके अलावा इस किताब में स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ और डिजिटल इंडिया कैंपेन और नोटबंदी से जुडे अध्याय को शामिल किया गया है. महाराष्ट्र बोर्ड के संशोधित संस्करण में मध्यकालीन भारतीय इतिहास में शिवाजी को खासतौर पर फोकस किया गया है. इस संशोधित संस्करण में मराठा और शिवाजी के बीच हुए 27 सालों के संघर्ष को काफी विस्तार से बताया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जब उसने एनसीईआरटी के निदेशक ऋषिकेश सेनापति से संपर्क किया, तो उन्होंने कॉल या एसएमएस का जवाब नहीं दिया.
इससे पहले भी, महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड ने मुगल बादशाह के शासनकाल को पिछले साल स्कूल पाठ्यपुस्तकों में सिर्फ तीन लाइनों तक ही सीमित कर दिया था.
संशोधित महाराष्ट्र बोर्ड पाठ्यपुस्तक शिवाजी को मध्ययुगीन भारतीय इतिहास का केंद्र बिन्दु कहते हैं. उनकी भूमिका, और उनके परिवार और मराठा जनरलों का विस्तार किया गया है. संशोधित पुस्तक ने औरंगजेब के खिलाफ मराठों के 27 वर्षीय संघर्ष पर अध्याय अध्यायों का विस्तार किया है.
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