देपसांग के लिए भारत की रणनीति तैयार, सेना प्रमुख ने कहा- हमें सावधान रहना होगा

सेना प्रमुख ने इस बात को माना है कि दोनों पक्षों के बीच भरोसे की कमी है. (फाइल फोटो)
India-China Standoff: सेना प्रमुख ने कहा कि हमने इस बात को सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम तैनात कर दिए हैं कि चीन (China) उन जगहों पर दोबारा कब्जा न करे. हम केवल उम्मीद कर सकते हैं कि चीन और पीएलए इस समझौते का पालन करेंगे.
- News18Hindi
- Last Updated: February 25, 2021, 7:55 AM IST
नई दिल्ली. पैंगोंग त्सो (Pangong Tso) पर पूरी हुई डिसइंगेजमेंट (Disengagement) प्रक्रिया के बाद भारत-चीन (India-China) के सामने देपसांग (Depsang) जैसे दूसरे और पुराने मुद्दे तैयार हैं. इन मुद्दों को लेकर बुधवार को सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे (MM Narvane) ने कहा कि इन्हें लेकर रणनीतियां तैयार हैं. इस दौरान उन्होंने बताया कि अभी एक लंबा रास्ता तय किया जाना है. दक्षिण चीन समुद्र में गतिविधियों को लेकर सेना प्रमुख ने पड़ोसी को चेतावनी भी दे दी है.
देपसांग को लेकर सवाल पर नरवणे से सवाल किया गया कि चीन के साथ बातचीत में खासतौर से देपसांग को लेकर भारत को क्या समझौता करना पड़ेगा. इसपर सेना प्रमुख नरवणे ने कहा 'अभी कई मुद्दे बाकी हैं, जैसे देपसांग. यहां पूर्वी लद्दाख और हमारी उत्तरी सीमा के साथ अन्य इलाकों में कुछ मुद्दे अटके हुए हैं. लेकिन इनके लिए हमारे पास रणनीतियां हैं.' उन्होंने कहा है कि चीन फैक्टर ने भारत को रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण में तेजी लाने के लिए विचार करने पर जोर दिया है.
यह भी पढ़ें: India-China Talks: गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स से पीछे हटेंगे भारत-चीन के सैनिक, देपसांग-डेमचोक को लेकर जारी रहेगी बात
चीन को लेकर भारत सतर्क हैडिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के बाद यह खतरा बना हुआ है कि भारत की तरफ से खाली की गई जगहों को चीन हथिया सकता है. इस पर नरवणे ने कहा 'पूरा डिसइंगेजमेंट समझौता या कोई भी समझौता इस तथ्य पर आधारित है कि इसे पत्र और भावना के साथ माना जाएगा.' उन्होंने कहा 'हम भरोसा करेंगे, लेकिन जांच भी करेंगे. हमने इस बात को सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम तैनात कर दिए हैं कि चीन उन जगहों पर दोबारा कब्जा न करे. हम केवल उम्मीद कर सकते हैं कि चीन और पीएलए इस समझौते का पालन करेंगे.'

सेना प्रमुख ने इस बात को माना है कि दोनों पक्षों के बीच भरोसे की कमी है. उन्होंने कहा 'अभी हमें लंबा रास्ता तय करना है. हमे डीएस्केलेशन स्टेज पर जाना होगा. इसके बाद सेना और सेना को अलग करने पर वापस लौटना होगा.' उन्होंने कहा कि हमें सावधान रहना होगा, यहां भरोसे की कमी है. जब तक भरोसे की कमी वाली बात नहीं हट जाती, हमें एकदम सावधान रहना होगा और एलएसी की दोनों तरफ होने वाली गतिविधियों पर नजर बनाए रखनी होगी. उन्होंने कहा 'मुझे लगता है कि हमने काफी कुछ पा लिया है.'
देपसांग को लेकर सवाल पर नरवणे से सवाल किया गया कि चीन के साथ बातचीत में खासतौर से देपसांग को लेकर भारत को क्या समझौता करना पड़ेगा. इसपर सेना प्रमुख नरवणे ने कहा 'अभी कई मुद्दे बाकी हैं, जैसे देपसांग. यहां पूर्वी लद्दाख और हमारी उत्तरी सीमा के साथ अन्य इलाकों में कुछ मुद्दे अटके हुए हैं. लेकिन इनके लिए हमारे पास रणनीतियां हैं.' उन्होंने कहा है कि चीन फैक्टर ने भारत को रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण में तेजी लाने के लिए विचार करने पर जोर दिया है.
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सेना प्रमुख ने इस बात को माना है कि दोनों पक्षों के बीच भरोसे की कमी है. उन्होंने कहा 'अभी हमें लंबा रास्ता तय करना है. हमे डीएस्केलेशन स्टेज पर जाना होगा. इसके बाद सेना और सेना को अलग करने पर वापस लौटना होगा.' उन्होंने कहा कि हमें सावधान रहना होगा, यहां भरोसे की कमी है. जब तक भरोसे की कमी वाली बात नहीं हट जाती, हमें एकदम सावधान रहना होगा और एलएसी की दोनों तरफ होने वाली गतिविधियों पर नजर बनाए रखनी होगी. उन्होंने कहा 'मुझे लगता है कि हमने काफी कुछ पा लिया है.'