होम /न्यूज /राष्ट्र /जानिए क्‍या है अविश्‍वास मत और कैसे करता है काम

जानिए क्‍या है अविश्‍वास मत और कैसे करता है काम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  (File Photo)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (File Photo)

अविश्‍वास प्रस्‍ताव स्‍वीकार होने के 10 दिन के भीतर इस पर बहस करनी होती है. ऐसा नहीं होने पर प्रस्‍ताव फेल हो जाता है औ ...अधिक पढ़ें

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली केंद्र सरकार आज अविश्‍वास प्रस्‍ताव का सामना करने जा रही है. वर्तमान में लोक सभा में 535 सदस्‍य हें और बहुमत के लिए 268 सांसदों के समर्थन की जरूरत है. लोक सभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन ने बुधवार को विपक्ष दलों की ओर से मोदी सरकार के खिलाफ पेश किए गए अविश्‍वास प्रस्‍ताव को मंजूर कर लिया. इस पर शुक्रवार को बहस होनी है. आइए जानते हैं विश्‍वासमत क्‍या होता है और सदन में इस बारे में क्‍या कार्रवाई होती है.

    अविश्‍वास प्रस्‍ताव क्‍या होता है?
    किसी भी सरकार को सत्‍ता में बने रहने के लिए लोक सभा में बहुमत और विश्‍वासमत की जरूरत होती है. विपक्षी दल अविश्‍वास प्रस्‍ताव यह बताने के लिए लाते हैं कि सत्‍ताधारी दल के पास सदन में बहुमत नहीं है. अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने वाले सांसदों को इस‍के लिए कोई वजह‍ बताने की आवश्‍यकता नहीं होती है. लोक सभा स्‍पीकर के इस प्रस्‍ताव को स्‍वीकार करने के बाद सरकार को सदन में बहुमत साबित करना होता है.

    ये भी पढ़ें: अविश्वास प्रस्ताव पर कितनी बार गिरी हैं सरकारें

    अविश्‍वास प्रस्‍ताव कैसे काम करता है?
    सदन को कोई भी सदस्‍य अविश्‍वास प्रस्‍ताव ला सकता है. यह केवल लोक सभा में ही लाया जा सकता है. इसे राज्‍य सभा में पेश नहीं लाया जाता. लोक सभा की प्रक्रिया और संचालन से जुड़े नियमों की नियम संख्‍या 198 अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने की प्रक्रिया के बारे में बताता है. अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने के लिए सांसद को इसे सुबह 10 बजे से पहले लिखित रूप में पेश करना होता है. इसके बाद स्‍पीकर इसे सदन में पढ़ता है. कम से कम 50 सांसदों को इस प्रस्‍ताव का समर्थन करना आवश्‍यक होता है. ऐसा होने पर स्‍पीकर अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर चर्चा के लिए तारीख का ऐलान करता है. अविश्‍वास प्रस्‍ताव स्‍वीकार होने के 10 दिन के भीतर इस पर बहस करनी होती है. ऐसा नहीं होने पर प्रस्‍ताव फेल हो जाता है और अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने वाले सांसद को इस बारे में जानकारी दे दी जाती है. यदि सरकार सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाती है तो उसे इस्‍तीफा देना पड़ता है.

    ये भी पढ़ें: अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार को खतरा नहीं, फिर भी जीत के दावे कर रही TDP, आखिर क्यों?

    तो विश्‍वासमत क्‍या होता है?
    विश्‍वास प्रस्‍ताव या विश्‍वासमत के जरिए सरकार लोकसभा सांसदों के बहुमत को साबित करती है. विश्‍वासमत विपक्ष के अविश्‍वास प्रस्‍ताव या सरकार की ओर से विश्‍वास मत लाने के बाद सामने आता है जब प्रधानमंत्री प्रस्‍ताव को आगे बढ़ाते हैं और देखते हैं कि सरकार के पास लोक सभा में बहुमत है या नहीं.

    यह अविश्‍वास प्रस्‍ताव से कैसे अलग है?
    सदन में सरकार को हराने के लिए लोक सभा में यह प्रस्‍ताव विपक्ष लाता है. यदि सरकार विश्‍वास मत हार जाती है तो आमतौर पर दो स्थितियां बनती हैं: सरकार इस्‍तीफा देती है और दूसरी पार्टी या गठबंधन सरकार बनाने का दावा करती है. इसके अलावा लोक सभा भंग कर चुनाव भी कराए जा सकते हैं.

    ये भी पढ़ें: शिवसेना ने जारी किया व्हिप, कहा- सरकार के पक्ष में वोट करें सांसद

    व्हिप क्‍या होता है?
    व्हिप एक तरह का आदेश होता है जिसमें राजनीतिक दल अपने सांसदों को सदन में मौजूद रहने और वोट देने के लिए जारी होता है. यदि कोई सांसद व्हिप को नहीं मानता है तो पार्टी उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है और उसे पार्टी से निकाला भी जा सकता है.

    Tags: Lok sabha, Narendra modi, Parliament

    टॉप स्टोरीज
    अधिक पढ़ें