क्या वाकई वानर सेना ने बनाया था राम सेतु? सभी रहस्य आएंगे बाहर, पानी के नीचे चलेगी रिसर्च

राम सेतु पर होगी रिसर्च. (File pic)
Ram Setu Research: इस प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रिसर्च से राम सेतु की आयु और रामायण काल का पता लगाने में मदद मिलेगी.
- News18Hindi
- Last Updated: January 14, 2021, 1:13 PM IST
नई दिल्ली. भारत और श्रीलंका (Sri lanka) के बीच समुद्र में मौजूद राम सेतु (Ram Setu) को कब और कैसे बनाया गया था, इन सवालों के जवाब जानने के लिए अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने खास रिसर्च शुरू की है. इसके तहत इस साल समुद्र के पानी के नीचे एक प्रोजेक्ट चलाया जाना है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह रामायण काल के बारे में जानकारी जुटाने में भी मदद कर सकता है. एएसआई के सेंट्रल एडवायजरी बोर्ड ने सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी (NIO) के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है. ऐसे में अब इस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक राम सेतु को लेकर रिसर्च कर पाएंगे.
इस प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रिसर्च से राम सेतु की आयु और रामायण काल का पता लगाने में मदद मिलेगी. इस रिसर्च के लिए एनआईओ की ओर से सिंधु संकल्प या सिंधु साधना नाम के जहाजों का इस्तेमाल किया जाना प्रस्तावित है. इन समुद्री जहाजों की खास बात यह है कि ये पानी की सतह के 35-40 मीटर नीचे से आसानी से नमूने एकत्र कर सकते हैं. इस शोध में यह भी पता लगाने पर ध्यान केंद्रित होगा कि क्या राम सेतु के आसपास कोई बस्ती भी थी.
जानकारी के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में रिसर्च रिसर्च के दौरान रेडियोमेट्रिक और थर्मोल्यूमिनेसेंस (TL) डेटिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा. शैवालों की भी जांच की जाएगी. दरअसल शैवाल या कोरल में मौजूद कैल्शियम कार्बोनेट राम सेतु की उम्र बताने में मदद कर सकते हैं.
यह प्रोजेक्ट धार्मिक और राजनीतिक महत्व भी रखता है. 'रामायण' में कहा गया है कि वानर सेना ने भगवान श्री राम को लंका पार कराने और माता सीता को बचाने के लिए मदद करने में समुद्र पर एक पुल बनाया था. यह पुल करीब 48 किमी लंबा है. अब समुद्र में मौजूद राम सेतु को इसी धार्मिक और पौराणिक नजर से देखा जाता है. 2007 में एएसआई का कहना था कि इसका कोई सबूत नहीं मिला है. बाद में एएसआई ने सुप्रीम कोर्ट से हलफनामा वापस ले लिया था.
इस प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रिसर्च से राम सेतु की आयु और रामायण काल का पता लगाने में मदद मिलेगी. इस रिसर्च के लिए एनआईओ की ओर से सिंधु संकल्प या सिंधु साधना नाम के जहाजों का इस्तेमाल किया जाना प्रस्तावित है. इन समुद्री जहाजों की खास बात यह है कि ये पानी की सतह के 35-40 मीटर नीचे से आसानी से नमूने एकत्र कर सकते हैं. इस शोध में यह भी पता लगाने पर ध्यान केंद्रित होगा कि क्या राम सेतु के आसपास कोई बस्ती भी थी.
जानकारी के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में रिसर्च रिसर्च के दौरान रेडियोमेट्रिक और थर्मोल्यूमिनेसेंस (TL) डेटिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा. शैवालों की भी जांच की जाएगी. दरअसल शैवाल या कोरल में मौजूद कैल्शियम कार्बोनेट राम सेतु की उम्र बताने में मदद कर सकते हैं.