Assam Assembly Election 2021: बदरुद्दीन अजमल ने कांग्रेस के 'भूमिपुत्र सीएम' का किया समर्थन

मौलाना बदरुद्दीन अजमल
Assam Assembly Election 2021: बदरुद्दीन अजमल मध्य, दक्षिण और निचले असम में जमकर रैलियां कर रहे हैं. यहां उनकी पार्टी के पास बड़ी संख्या में मुस्लिम वोट्स हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: March 30, 2021, 8:06 AM IST
दिसपुर. असम विधानसभा चुनाव (Assam Assembly Election 2021) में कांग्रेस (Congress) के साथ चुनाव मैदान में उतरे एआईयूडीएफ (AIUDF) सुप्रीमो बदरुद्दीन अजमल ने राज्य में पहले चरण का मतदान होने के बाद ऐलान किया है कि उनकी पार्टी 2 मई को परिणामों के बाद कांग्रेस के मुख्यमंत्री को समर्थन देने को राजी है. एक ट्वीट में अजमल ने कहा, 'मुझे यह सुनकर बड़ी खुशी हुई कि कांग्रेस की अगुवाई वाली महाजोत पहले चरण में कम से कम 30 सीटें जीतेगी. एआईयूडीएफ 2 मई के बाद कांग्रेस के सीएम को समर्थन देगी.'
दूसरी ओर भाजपा नेताओं का मानना था कि मुख्यमंत्री के मुद्दे पर कांग्रेस के सामने एआईयूडीएफ अपनी शर्तें रखेगी. राज्य में भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार हिमंत बिस्व सरमा ने यह तक आरोप लगाया था कि कांग्रेस पर बदरुद्दीन का कंट्रोल है. अपनी कैंपेनिंग के दौरान सरमा ने मतदाताओं के सामने यह बात रखी कि कैसे कांग्रेस के प्रत्याशियों के पीछे बदरुद्दीन का चेहरा है.

भाजपा की अटकलों पर विराम!हालांकि बदरुद्दीन के ट्वीट के बाद भाजपा की अटकलों पर विराम लग गया है. गठबंधन की अगुवा कांग्रेस चाहती है कि सीएम उसकी पार्टी से बने. हालांकि इस मुद्दे को लेकर दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव में एआईयूडीएफ के परिणामों का असर पड़ सकता है.
बदरुद्दीन केंद्रीय, दक्षिण और निचले असम में जमकर रैलियां कर रहे हैं. यहां उनकी पार्टी के पास बड़ी संख्या में मुस्लिम वोट्स हैं. बीजेपी के लिए भी दक्षिण असम के करीमगजं, कछार और हैलकांडी जैसे जिले अहम हैं.इन तीनों में हिन्दू और मुस्लिम मतदाताओं की लगभग बराबर संख्या उम्मीदवारों का भविष्य तय करेगी.वहीं तीसरे चरण के दौरान निचले असम में मतदान होंगे. यहां मुस्लिम मतदाता और एआईयूडीएफ अहम भूमिका निभा सकते हैं.

निस्संदेह, AIUDF महागठबंधन का दूसरा सबसे बड़ा दल है और अपने प्रदर्शन के आधार पर मुख्यमंत्री की पसंद पर अपनी राय रख सकता है. हालांकि, असम के कांग्रेस प्रभारी जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि असम में कांग्रेस का भूमिपुत्र सीएम होगा. सिंह ने कहा था, 'कांग्रेस का मुख्यमंत्री असम का भूमिपुत्र होगा और अजमल ने इसका समर्थन किया है.'
दूसरी ओर भाजपा नेताओं का मानना था कि मुख्यमंत्री के मुद्दे पर कांग्रेस के सामने एआईयूडीएफ अपनी शर्तें रखेगी. राज्य में भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार हिमंत बिस्व सरमा ने यह तक आरोप लगाया था कि कांग्रेस पर बदरुद्दीन का कंट्रोल है. अपनी कैंपेनिंग के दौरान सरमा ने मतदाताओं के सामने यह बात रखी कि कैसे कांग्रेस के प्रत्याशियों के पीछे बदरुद्दीन का चेहरा है.

बदरुद्दीन केंद्रीय, दक्षिण और निचले असम में जमकर रैलियां कर रहे हैं. यहां उनकी पार्टी के पास बड़ी संख्या में मुस्लिम वोट्स हैं. बीजेपी के लिए भी दक्षिण असम के करीमगजं, कछार और हैलकांडी जैसे जिले अहम हैं.इन तीनों में हिन्दू और मुस्लिम मतदाताओं की लगभग बराबर संख्या उम्मीदवारों का भविष्य तय करेगी.वहीं तीसरे चरण के दौरान निचले असम में मतदान होंगे. यहां मुस्लिम मतदाता और एआईयूडीएफ अहम भूमिका निभा सकते हैं.
निस्संदेह, AIUDF महागठबंधन का दूसरा सबसे बड़ा दल है और अपने प्रदर्शन के आधार पर मुख्यमंत्री की पसंद पर अपनी राय रख सकता है. हालांकि, असम के कांग्रेस प्रभारी जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि असम में कांग्रेस का भूमिपुत्र सीएम होगा. सिंह ने कहा था, 'कांग्रेस का मुख्यमंत्री असम का भूमिपुत्र होगा और अजमल ने इसका समर्थन किया है.'