असम के शिक्षक और छात्र संगठनों ने सरकारी फैसले को वापस लेने की मांग की है. (प्रतीकात्मक फोटो)
गुवाहाटी. असम (Assam) के शीर्ष शिक्षक और छात्र संगठनों ने सोमवार को राज्य सरकार (State government) से अपने उस हालिया आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की, जिसके तहत वर्नाक्युलर माध्यम के स्कूलों में कक्षा तीन से विज्ञान और गणित जैसे विषयों की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में कराने का निर्देश दिया गया है. गौरतलब है कि वर्नाक्युलर माध्यम के स्कूलों में स्थानीय या मातृ भाषा शिक्षा का माध्यम होती है.
शिक्षक और छात्र संगठनों ने शिक्षा क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा लिए गए अन्य फैसलों पर भी आपत्ति जताई, जिनमें सरकारी स्कूलों में दोहरे माध्यम से पढ़ाई की व्यवस्था लागू करना, शैक्षणिक संस्थानों के प्रांतीयकरण को रोकना और राज्य बोर्ड के तहत आने वाले स्कूलों को सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) के अधीन स्थानांतरित करना शामिल है. असम साहित्य सभा (एएसएस), बोडो साहित्य सभा (बीएसएस), अखिल असम छात्र संघ (एएएसयू) और अखिल बोडो छात्र संघ (एबीएसयू) के नेतृत्व ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में लिए गए हालिया फैसलों को वापस लेने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को जल्द एक संयुक्त ज्ञापन सौंपा जाएगा.
सरकार इन फैसलों पर पुनर्विचार करे: भट्टाचार्य
शिक्षक एवं छात्र संगठनों के बीच हुई चर्चा के बाद एएएसयू के प्रमुख सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम सरकार के हालिया फैसलों के खिलाफ कड़ा एतराज जताते हैं. हम चाहते हैं कि सरकार इन फैसलों पर पुनर्विचार करे और इन्हें तत्काल वापस ले.’ भट्टाचार्य ने आरोप लगाया, ‘हमें लगता है कि ये आदेश मातृ भाषा में पढ़ाई कराने वाले स्कूलों और अंतत: असमी, बोडो व राज्य की अन्य भाषाओं के लिए मौत का फरमान साबित होंगे. लिहाजा हम इन फैसलों को रद्द करने की अपनी मांग को लेकर एक संयुक्त ज्ञापन सौंपेंगे.’
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