असम में इनकम टैक्स का टॉप ठेकेदारों के यहां छापा, पकड़ा 100 करोड़ रुपये का कालाधन

आयकर विभाग की कार्रवाई के दौरान 100 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला. (सांकेतिक तस्वीर)
आयकर विभाग (Income Tax Department) ने 22 दिसंबर से ये छापे मारने शुरू किए थे और पूर्वोत्तर के टॉप ठेकेदारों के यहां ये छापे मारे गए हैं. इन छापों में नकदी के साथ कैश भी जब्त किया गया है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 26, 2020, 7:03 PM IST
नई दिल्ली. आयकर विभाग (Income Tax Department) ने असम में तीन प्रमुख ठेकेदारों के यहां हफ्ते की शुरुआत में छापे मारकर करीब 100 करोड़ रुपये का कालाधन पकड़ा है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने शनिवार को इसकी जानकारी दी. बयान के मुताबिक आयकर विभाग ने असम के गुवाहाटी, सिलापाथर और पाठशाला एवं दिल्ली में 14 जगहों पर 22 दिसंबर को छापा मारने की अपनी कार्रवाई शुरू की. इस दौरान 2.95 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गयी. छापा कार्रवाई के दौरान लगभग 100 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला.
बयान में कहा गया है कि नकदी के अलावा 9.79 लाख रुपये के आभूषण भी जब्त किए गए हैं. जबकि दो करोड़ रुपये के अन्य गहनों की पुष्टि की जा रही है. ये छापे पूर्वोत्तर भारत के शीर्ष ठेकेदारों के यहां मारे गए. इनमें से एक इकाई आतिथ्य क्षेत्र में भी कारोबार करते हैं. सीबीडीटी, आयकर विभाग के लिए नीतियां बनाने वाली शीर्ष इकाई है. आरोप है कि इन इकाइयों ने कोलकाता की कुछ खोखा कंपनियों से प्रतिभूतियों पर प्रीमियम हासिल किया और अपने बही खातों में कर्जों की फर्जी प्रविष्टियां दिखायीं.
सीबीडीटी ने अपने बयान में कहा, "तीनों समूहों ने पूरे साल अपने कुल लाभ को छुपाया और अघोषित आय के जरिए बिजनेस में वापसी की. इन लोगों ने गुवाहाटी और कोलकाता से एंट्री ऑपरेटर्स की मदद ली है." बयान के मुताबिक चीजें स्थापित हो गई है और जिन शेल कंपनियों से लोन या प्रीमियम लिया गया है, उनका अस्तित्व सिर्फ कागजों पर है. कोई वास्तविक बिजनेस नहीं है."
इनकम टैक्स विभाग शेल कंपनियों के एंट्री ऑपरेटर्स से भी इस मामले में पूछताछ कर रहा है, जिन्होंने स्वीकार किया है कि कंपनियों को दिए गए लोन और शेयर प्रीमियम भ्रामक और फर्जी हैं.
बयान में कहा गया है कि नकदी के अलावा 9.79 लाख रुपये के आभूषण भी जब्त किए गए हैं. जबकि दो करोड़ रुपये के अन्य गहनों की पुष्टि की जा रही है. ये छापे पूर्वोत्तर भारत के शीर्ष ठेकेदारों के यहां मारे गए. इनमें से एक इकाई आतिथ्य क्षेत्र में भी कारोबार करते हैं. सीबीडीटी, आयकर विभाग के लिए नीतियां बनाने वाली शीर्ष इकाई है. आरोप है कि इन इकाइयों ने कोलकाता की कुछ खोखा कंपनियों से प्रतिभूतियों पर प्रीमियम हासिल किया और अपने बही खातों में कर्जों की फर्जी प्रविष्टियां दिखायीं.
सीबीडीटी ने अपने बयान में कहा, "तीनों समूहों ने पूरे साल अपने कुल लाभ को छुपाया और अघोषित आय के जरिए बिजनेस में वापसी की. इन लोगों ने गुवाहाटी और कोलकाता से एंट्री ऑपरेटर्स की मदद ली है." बयान के मुताबिक चीजें स्थापित हो गई है और जिन शेल कंपनियों से लोन या प्रीमियम लिया गया है, उनका अस्तित्व सिर्फ कागजों पर है. कोई वास्तविक बिजनेस नहीं है."