खादी ग्रामोद्योग आयोग भारत के गांवों में गाय के गोबर से पेंट बनाने की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट खोलने जा रहा है. सांकेतिक तस्वीर
श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर में इस बार लोग बकरीद ( Eid-ul-Adha 2021) के मौके पर गाय और ऊंट की कुर्बानी नहीं दे सकेंगे. राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर गायों, बछड़ों और ऊंटों की कुर्बानी पर प्रतिबंध लगा दिया है. दिल्ली समेत देश भर में ईद उल अज़हा का त्योहार 21 जुलाई को मनाया जाएगा. बता दें कि इस खास मौके पर मुसलमानों के लिए भेड़, गाय और ऊंट की कुर्बानी देना एक महत्वपूर्ण रस्म है.
जम्मू-कश्मीर के पशु और मत्स्य पालन विभाग के योजना निदेशक की तरफ से इस प्रतिबंध के बारे में सभी विभागों को आदेश भेज दिया गया है. इस आदेश को लागू करवाने के लिए जम्मू और कश्मीर के आयुक्त और आईजीपी को भी सूचना दी गई है.
क्या कहा गया है आदेश में
भारत के पशु कल्याण बोर्ड, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने भारत सरकार के एक आधिकारिक पत्र का हवाला देते हुए इस आदेश में लिखा है, ‘इस संबंध में, जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में जानवरों के बलि की संभावना है. भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने पशु कल्याण के मद्देनजर कानूनों को सख्ती से लागू करने के लिए सभी एहतियाती उपायों को लागू करने का अनुरोध किया है.’
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मिलेगी सज़ा
बता दें कि जम्मू और कश्मीर में, ईद-उल-अज़हा पर ज्यादातर भेड़ों की बलि दी जाती है. हालांकि, कुछ स्थानों पर गायों का भी वध किया जाता है. डोगरा शासन के दौरान जम्मू-कश्मीर में गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. नियम का उल्लंघन करने पर कड़ी सजा दी जाएगी.
क्यों मनाई जाती है बकरीद?
ईद-अल-अज़हा को ‘कुर्बानी का त्योहार’ भी कहा जाता है. इस्लाम धर्म में ये त्योहार इब्राहिम के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाता है. अल्लाह के आदेश को मानते हुए इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे. हालांकि, ऐसा होने से पहले अल्लाह ने कुर्बानी के लिए एक मेमना भेज दिया था. इसी वजह से इस त्योहार को बकरीद के तौर पर जाना जाता है.
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