केंद्र ने बीबीसी की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. (पीटीआई फाइल फोटो)
नई दिल्ली. बीबीसी की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री को एक नया मोड़ देते हुए भाजपा सांसद और अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने मंगलवार को ब्रिटेन के ब्रॉडकास्टर द्वारा पीएम मोदी और गुजरात दंगों पर बनी सीरीज को चीन से जुड़े हुआवेई से जोड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री, जिसमें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनके नेतृत्व पर सवाल उठाया गया था, ने बड़े पैमाने पर हंगामा खड़ा कर दिया है और कई लोगों ने इसे ‘झूठ’ का पुलिंदा बताते हुए ब्रिटेन के ब्रॉडकास्टर को कड़ी फटकार लगाई है.
जेठमलानी ने spectator.co.uk की एक रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए कहा, ‘बीबीसी इतना भारत विरोधी क्यों है? क्योंकि इसे अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए चीन से जुड़ी कंपनी हुआवेई से पैसे की सख्त जरूरत है. (बीबीसी एक फेलो ट्रैवलर, कॉमरेड? जयराम?) यह एक साधारण नकद-प्रचार सौदा है. बीबीसी बिकाऊ है.’ फेलो ट्रैवलर का मतलब एक ऐसे व्यक्ति या संस्थान से है जो किसी विशेष समूह या राजनीतिक दल (विशेष रूप से कम्युनिस्ट पार्टी) का सदस्य नहीं है, लेकिन जो समूह के उद्देश्यों और नीतियों के प्रति सहानुभूति रखता है.
महेश जेठमलानी द्वारा पोस्ट की गई ‘द स्पेक्टेटर रिपोर्ट’ – शीर्षक: बीबीसी अभी भी प्रतिबंधित हुआवेई से पैसा ले रही है – बीबीसी की संदिग्ध नई कॉर्पोरेट साझेदारी के बारे में बात करती है, उनमें से एक हुआवेई के साथ है, जो चीन की दिग्गज टेक कंपनी है और जिसे 2019 में अमेरिका और 2020 में ब्रिटेन द्वारा 5जी नेटवर्क के लिए सुरक्षा चिंताओं को लेकर प्रतिबंधित कर दिया गया था.
#BreakingNews: BBC series big twist; Mahesh Jethmalani linked it to Chinese sponsor Huawei
BJP’s @TomVadakkan2 shares his views@maryashakil with more details
Join the broadcast with @AnushaSoni23#BBCDocumentary #PMModi pic.twitter.com/65Nfs7za7k
— News18 (@CNNnews18) January 31, 2023
गौरतलब है कि ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) का वृत्तचित्र ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ दो भाग में है, जिसमें दावा किया गया है कि यह 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की पड़ताल पर आधारित है. साल 2002 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे. विदेश मंत्रालय ने वृत्तचित्र को ‘दुष्प्रचार का हिस्सा’ बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है तथा यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है.
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Tags: Gujarat Riots
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