बंगाल चुनावः दूसरी पार्टियों से बीजेपी में आए ज्यादातर नेताओं को मिली केंद्रीय वीआईपी सुरक्षा

पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए अप्रैल-मई में चुनाव होना है. (सांकेतिक तस्वीर)
Bengal Assembly Election 2021: सूत्रों ने बताया कि भाजपा के लोकसभा सदस्य कुनार हेम्ब्राम (झाड़ग्राम), सुभास सरकार (बांकुड़ा) और जगन्नाथ सरकार (राणाघाट) और पार्टी नेता एवं प्रदेश समिति के सदस्य कृष्णेन्दु मुखर्जी को भी केंद्रीय सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है.
- भाषा
- Last Updated: February 20, 2021, 9:39 PM IST
नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में एक दर्जन से अधिक विधायकों और सांसदों को केंद्र की ओर से वीआईपी सुरक्षा (VIP Security) उपलब्ध कराई गई है. इनमें वे नेता भी शामिल हैं, जो हाल ही में तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) और अन्य दलों से भाजपा (BJP) में शामिल हुए हैं. अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ‘‘खतरा आकलन’’ रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की सिफारिश पर यह सुरक्षा उपलब्ध कराई है. उन्होंने कहा कि संबंधित सभी नेताओं को बंगाल के भीतर आवागमन के दौरान केंद्र की ओर से ‘एक्स’ और ‘वाई’ श्रेणी की वीआईपी सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है. अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को सौंपा गया है.
सीआईएसएफ के पास अति विशिष्ट लोगों (वीआईपी) को सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए विशेष सुरक्षा समूह (एसएसजी) है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जैसी हस्तियों को सुरक्षा उपलब्ध कराता है. सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नेताओं को उपलब्ध कराए गए सुरक्षा प्रबंध अस्थायी हैं और चुनावी गतिविधियां पूरी हो जाने पर सुरक्षा कवर की समीक्षा की जाएगी. पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए अप्रैल-मई में चुनाव होना है.
बंगाल में जिन नेताओं को सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है, उनमें माकपा विधायक अशोक डिंडा, तृणमूल कांग्रेस विधायक बांसरी मैती, कांग्रेस विधायक सुदीप मुखर्जी, तृणमूल विधायक दीपाली बिस्वास, तृणमूल विधायक बैशाली डालमिया, तृणमूल विधायक सैकत पांजा, माकपा विधायक तापसी मंडल, तृणमूल विधायक बिस्वजीत कुंडू और तृणमूल विधायक शैलभद्र दत्ता शामिल हैं.
बिस्वास ने 2016 में माकपा के टिकट पर गजोले सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन 2018 में वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गईं. हालांकि, उन्होंने माकपा विधायक के रूप में इस्तीफा नहीं दिया है. ये सभी विधायक हाल में तृणमूल कांग्रेस या माकपा या कांग्रेस छोड़ चुके हैं और इनमें से अधिकतर भाजपा में शामिल हो गए हैं.सूत्रों ने बताया कि भाजपा के लोकसभा सदस्य कुनार हेम्ब्राम (झाड़ग्राम), सुभास सरकार (बांकुड़ा) और जगन्नाथ सरकार (राणाघाट) और पार्टी नेता एवं प्रदेश समिति के सदस्य कृष्णेन्दु मुखर्जी को भी केंद्रीय सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है. उन्होंने कहा कि सांसदों और मुखर्जी को खतरे का आकलन करने के बाद केंद्रीय वीआईपी सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है.

(Disclaimer: यह खबर सीधे सिंडीकेट फीड से पब्लिश हुई है. इसे News18Hindi टीम ने संपादित नहीं किया है.)
सीआईएसएफ के पास अति विशिष्ट लोगों (वीआईपी) को सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए विशेष सुरक्षा समूह (एसएसजी) है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जैसी हस्तियों को सुरक्षा उपलब्ध कराता है. सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नेताओं को उपलब्ध कराए गए सुरक्षा प्रबंध अस्थायी हैं और चुनावी गतिविधियां पूरी हो जाने पर सुरक्षा कवर की समीक्षा की जाएगी. पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए अप्रैल-मई में चुनाव होना है.
बंगाल में जिन नेताओं को सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है, उनमें माकपा विधायक अशोक डिंडा, तृणमूल कांग्रेस विधायक बांसरी मैती, कांग्रेस विधायक सुदीप मुखर्जी, तृणमूल विधायक दीपाली बिस्वास, तृणमूल विधायक बैशाली डालमिया, तृणमूल विधायक सैकत पांजा, माकपा विधायक तापसी मंडल, तृणमूल विधायक बिस्वजीत कुंडू और तृणमूल विधायक शैलभद्र दत्ता शामिल हैं.
बिस्वास ने 2016 में माकपा के टिकट पर गजोले सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन 2018 में वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गईं. हालांकि, उन्होंने माकपा विधायक के रूप में इस्तीफा नहीं दिया है. ये सभी विधायक हाल में तृणमूल कांग्रेस या माकपा या कांग्रेस छोड़ चुके हैं और इनमें से अधिकतर भाजपा में शामिल हो गए हैं.सूत्रों ने बताया कि भाजपा के लोकसभा सदस्य कुनार हेम्ब्राम (झाड़ग्राम), सुभास सरकार (बांकुड़ा) और जगन्नाथ सरकार (राणाघाट) और पार्टी नेता एवं प्रदेश समिति के सदस्य कृष्णेन्दु मुखर्जी को भी केंद्रीय सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है. उन्होंने कहा कि सांसदों और मुखर्जी को खतरे का आकलन करने के बाद केंद्रीय वीआईपी सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है.
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