कोलकाताः पश्चिम बंगाल में स्कूल शिक्षा विभाग में ग्रुप सी और डी की भर्तियों में हुए कथित घोटाले पर रिटायर्ड जस्टिस रंजीत बेग कमिटी ने रिपोर्ट सौंप दी है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इसमें पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (WBSSC) के चार पूर्व और वर्तमान अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है. शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी पर भी आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया है. रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि किस तरह अयोग्य उम्मीदवारों की भर्ती के लिए लंबी चौड़ी साजिश रची गई. इसके आधार पर सीबीआई ने शनिवार को पांच लोगों के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज कर ली.
कोलकाता हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित बेग कमीशन ने 12 मई को अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी. एक्सप्रेस के मुताबिक, इस रिपोर्ट में संभवतः WBSSC के दो पूर्व अध्यक्ष प्रो. सौमित्र सरकार और अशोक कुमार साहा, संस्थान के पूर्व एडवाइजर डॉ. शांति प्रसाद सिन्हा, प्रोग्राम ऑफिसर सौमित्र आचार्य और बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. कल्याणमय गांगुली के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 में शुरू हुई इस भर्ती प्रक्रिया के लिए उम्मीदवारों का पैनल बनाने, उन्हें WBSSC की बेवसाइट पर अपलोड करने में पारदर्शिता नहीं बरती गई. पैनल को क्षेत्रीय आयोगों के अध्यक्षों से भी छिपाकर रखा गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि WBSSC के तत्कालीन सचिव सौमित्र सरकार व साहा और सिन्हा ने 18 मई 2019 को पैनल की समाप्ति से पहले और बाद में ग्रुप सी के पदों पर असफल उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश की. इसके लिए ओएमआर शीट के पुनर्मूल्यांकन के लिए दाखिल आरटीआई की आड़ लेकर उम्मीदवारों के अंक बढ़ाए गए. नंबरों में हेराफेरी के बाद आंसर शीट को नष्ट कर दिया गया. इन तीनों ने कथित तौर पर आचार्य और एक अन्य प्रोग्राम ऑफिसर को 14 मई, 18 जून और 20 जून 2019 की WBSSC की नोट शीट में फर्जीवाड़ा करने पर मजबूर किया ताकि पूरी प्रक्रिया को वैध दिखाया जा सके. सरकार और सिन्हा ने भर्ती परीक्षा होने के बाद जारी की गई भर्तियों पर भी असफल उम्मीदवारों की सिफारिश कर दी.
एक्सप्रेस के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि WBSSC के पूर्व सलाहकार द्वारा दिए गए नामों का इस्तेमाल करके आचार्य ने ग्रुप सी के असफल उम्मीदवारों के लिए 381 अनुशंसा पत्र तैयार किए. इनमें से लगभग 250 तो मेरिट लिस्ट में भी नहीं थे. इसी तरह ग्रुप डी में 609 असफल उम्मीदवारों के पक्ष में नियमों को ताक पर रखा गया. सिन्हा ने पैनल के खत्म होने के बाद चार-पांच बार में फर्जी रिकमंडेशन लेटर WBBSE अध्यक्ष गांगुली को दिए. गांगुली ने इस लेटर्स के आधार पर अपॉइंटमेंट लेटर तैयार करने के निर्देश दिए. उन्होंने प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए ये लेटर बोर्ड के नियुक्ति सेक्शन को भी नहीं भेजे. इससे लगता है कि वह खुद भी इस घोटाले का हिस्सा थे.
बता दें कि बंगाल में इन भर्तियों में घोटाले को लेकर इन दिनों हंगामा मचा हुआ है. इनमें ममता सरकार के कई मंत्रियों पर सवाल उठ रहे हैं. उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी से सीबीआई पूछताछ कर रही है. जब ये कथित अवैध भर्तियां हुई थीं, तब चटर्जी ही शिक्षा मंत्री थे. शिक्षा राज्यमंत्री परेश चंद्र अधिकारी और उनकी बेटी के खिलाफ CBI केस दर्ज कर चुकी है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने परेश चन्द्र अधिकारी की बेटी की सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में बतौर शिक्षक नियुक्ति रद्द कर दी थी और उन्हें 41 महीने की नौकरी के दौरान मिला वेतन लौटाने का निर्देश दिया है.
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