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ब्लैक फंगस छूत की बीमारी नहीं, किस जगह है इंफेक्शन, इससे तय होता है रंगः एम्स डायरेक्टर

एम्स के डायरेक्ट रणदीप गुलेरिया. (ANI)

एम्स के डायरेक्ट रणदीप गुलेरिया. (ANI)

AIIMS Director Randeep Guleria on Black Fungus: ब्लैक फंगस एक अलग फैमिली है. इसका नाम म्यूकर माइकोसिस के साथ इसलिए जुड़ ...अधिक पढ़ें

    नई दिल्ली. कोरोना वायरस संक्रमण के बाद देश ब्लैक फंगस इंफेक्शन से जूझ रहा है. ये ब्लैक फंगस इंफेक्शन अब अलग-अलग रंग में दिख रहा है. किसी मरीज में सफेद तो किसी मरीज में पीला… इस मामले पर सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जानकारी देते हुए एम्स डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि फंगल इंफेक्शन को उसके रंग के नाम से न बुलाएं तो ज्यादा ठीक रहेगा, क्योंकि इससे कंन्फ्यूजन होता है. एम्स निदेशक ने कहा कि इंफेक्शन किस जगह पर हो उस हिसाब से रंग बदलता है.

    उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस एक अलग फैमिली है. इसका नाम म्यूकर माइकोसिस के साथ इसलिए जुड़ा क्योंकि इसमें सफेद रंग की फंगल कॉलोनी के साथ ब्लैक कलर की डॉट दिखती है. इसलिए आम तौर पर इसे ब्लैक फंगस कह देते हैं. गुलेरिया ने कहा कि फिलहाल मरीजों में जो फंगल इंफेक्शन मिल रहे हैं, वो म्यूकर माइकोसिस, कैंडिडा और एस्परजिलस हैं. इसमें भी म्यूकर माइकोसिस ज्यादा है, जिन लोगों की इम्युनिटी कम होती है, उनमें ज्यादा कैंडिडा, एस्परजिलस या म्यूकर माइकोसिस होता है.

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    डायबिटिक या स्टेरॉयड लेने वाले खतरे की जद में
    एम्स निदेशक ने कहा कि ये फंगल इंफेक्शन 92 से 95 फीसदी उन मरीजों में देखा गया है, जो या तो डायबिटिक हैं या स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. बाकियों में यह काफी रेयर है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर मरीज को म्यूकर माइकोसिस कोरोना के अर्ली स्टेज में हो रहा है. यह एक बड़ा चैलेंज है. क्योंकि म्यूकर माइकोसिस मरीज का ट्रीटमेंट लंबे वक्त तक चलता है. हॉस्पिटल के लिए चैलेंज है कि म्यूकर माइकोसिस के मरीज के लिए दो अलग अलग वार्ड बनाएं, एक कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए और एक नेगेटिव मरीजों के लिए.

    करनी होगी पोस्ट कोविड की चुनौतियों से निपटने की तैयारी
    इसके अलावा रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना की रिकवरी रेट बढ़ने पर पोस्ट कोविड की चुनौतियों से निपटने की तैयारी करनी होगी. उन्होंने कहा कि देश में कोरोना से रिकवरी रेट बढ़ा है, यानी ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है. 3 मई को रिकवरी 81.8 पर्सेंट थी, वही अब 88.7 पर्सेंट हो गई है. एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि जैसे-जैसे रिकवरी रेट बढ़ेगा, वैसे ही पोस्ट-कोविड मरीज भी बढ़ेंगे और हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए.

    कई हफ्तों तक रहते हैं कई पोस्ट कोविड लक्षण
    गुलेरिया ने कहा कि कोरोना की पहली लहर में ये समझ नहीं पाए थे कि कोविड ठीक होने के बाद भी लक्षण रहते थे. किसी में ये लक्षण चार से 12 हफ्तों तक रहते हैं और किसी में इससे भी ज्यादा. उन्होंने कहा कि कोविड ठीक होने के बाद भी सांस लेने में तकलीफ, खांसी, छाती में दर्द या पल्स ज्यादा रहने के लक्षण हो सकते हैं. थकान, जोड़ों में दर्द, सिर में दर्द जैसे लक्षण भी कई हफ्तों तक रहते हैं, जिनका लक्षण के आधार पर इलाज जरूरी है.

    गुलेरिया के मुताबिक कई बार कोरोना ठीक होने के बाद भी मरीज सही से कॉन्संट्रेट नहीं कर पाते, नींद नहीं आती है या डिप्रेशन रहता है. इसके लिए मेडिकल कम्युनिटी को तैयारी करनी होगी. पोस्ट कोविड सेंटर बनाने होंगे. रिकवरी रेट बढ़ेगा तो पोस्ट कोविड मरीज बढ़ेंगे और हमें उसके लिए तैयार रहना चाहिए.

    Tags: AIIMS director, Black Fungal, Black Fungs, Dr Randeep Guleria

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