प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने कहा कि न्यायपालिका ने खुद को सुधारने में कुछ अधिक नहीं किया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों की लंबी छुट्टियों पर भी सवाल उठाया.
उन्होंने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘न्यायपालिका में करीब 25 प्रतिशत रिक्तियां हैं और सरकारी तंत्र में 25 प्रतिशत रिक्तियां बहुत अधिक नहीं होती हैं.’
न्यायपालिका में कुछ खास सुधार नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर देबरॉय ने हैरानी जताते हुए पूछा कि क्या देश को ऐसे में अधिक न्यायाधीशों की जरूरत है जब इसमें करदाताओं की भारी राशि का खर्चा है?
उन्होंने कहा, ‘जज के हर एक पद पर चालू खर्च पांच करोड़ रुपये और पूंजीगत खर्च 10 करोड़ रुपये सालाना होता है. यह पैसा कहीं न कहीं से तो आएगा. क्या हम नागरिक इसके लिए यह भारी राशि का वहन करने को तैयार हैं?’
सुप्रीम कोर्ट में इस समय 22 न्यायधीश हैं जबकि उसमें लिये 31 जजों के पद की मंजूरी है.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियों पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘जैसे-जैसे निचली अदालतों की ओर जाएंगे, न्यायाधीशों की छुट्टियां कम होते जाएंगी. सुप्रीम कोर्ट के जज निचली अदालतों के न्यायाधीशों की तुलना में अधिक छुट्टियों का लुत्फ उठाते हैं.’
उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग और विश्वविद्यालय जैसा कोई भी महत्वपूर्ण विभाग छुट्टियों में बंद नहीं होते.
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FIRST PUBLISHED : July 13, 2018, 22:59 IST