मौलाना अरशद मदनी ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर उठाए सवाल
जमीयत-उलेमा-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि देश में लगातार मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं. खासतौर से अल्पसंख्यकों और दलितों पर हमले हो रहे हैं. ये संविधान को चुनौती और देश की न्याय व्यवस्था पर सवालिया निशान है. झारखण्ड मॉब लिंचिंग की प्रयोगशाला बन चुका है. सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद मॉब लिंचिंग की घटनाएं नहीं रुक रही हैं. देश के मौजूदा हालात 1947 (बंटवारे) से भी ज्यादा खराब और खतरनाक हो चुके हैं.
यह बात उन्होंने 4 जुलाई को जमीयत-उलेमा-हिंद की वर्किंग कमेटी की बैठक में कही. जमीयत के प्रेस सचिव फजलुर्रहमान कासमी ने बताया, “बैठक में बाबरी मस्जिद, तीन तलाक, असम नागरिकता और मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर चर्चा की गई. मौलाना मदनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के साफ आदेश के बाद भी यह दरिंदगी रुकने का नाम नही ले रही है.
जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई 2018 के आदेश में साफ कहा है कि कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में नही ले सकता. केंद्र सरकार ऐसी घटनाएं रोकने के लिए संसद में कड़े कानून बनाए. लेकिन अभी तक इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं. ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब तक लगभग 56 लोग मॉब लिंचिंग का शिकार हो चुके हैं.
मॉब लिंचिंग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी जमीयत (सांकेतिक फोटो)
गृहमंत्री भी राज्यों को इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए आदेश दे चुके हैं. लेकिन इस सब के बाद भी घटनाएं नहीं रुक रही हैं. इसे लेकर जमीयत सुप्रीम कोर्ट जाएगी. झारखंड हाईकोर्ट में याचिका पहले ही दाखिल कर चुके हैं.”
वहीं दूसरी बाबरी मस्जिद मामले पर मौलाना अरशद मदनी ने कहा “कानून और सबूत के अनुसार सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्णय देगी हम उसको मानेंगे और कोर्ट के निर्णय का सम्मान करेंगे. लेकिन भारत के संविधान में दिए गए अधिकारों के तहत मुसलमानों के धार्मिक एवं परिवारिक मामलों में सरकार या संसद को दखल देने का अधिकार नही हैं. क्योंकि मजहबी आज़ादी हमारा बुनियादी हक हैं.
हिंदू भी हुए मॉब लिंचिंग के शिकार (फाइल फोटो)
इसलिए ऐसा कोई भी कानून जिससे शरीयत में दखल होता है स्वीकार नही किया जाएगा. मुस्लिम समुदाय के अलावा 68 प्रतिशत तलाक गैर मुस्लिम में होता हैं और 32 प्रतिशत अन्य समुदायों में. बावजूद इसके सरकार का ये दोहरा रवैया समझ से परे है.”
हालांकि, बीजेपी प्रवक्ता राजीव जेटली का कहना है कि पहले देश भर में कहीं न कहीं सांप्रदायिक दंगे होते रहते थे, जिससे कुछ राजनीतिक पार्टियों का गुजारा चलता था. अब वो दंगे बंद हो गए हैं. दंगा भड़काने वाली पार्टियां खत्म होने की कगार पर आ गईं हैं. दो लोगों के बीच की लड़ाई को मॉब लिंचिंग बताने वाले लोग वही हैं जाे फिर से कांग्रेस के जमाने वाले हालात पैदा करना चाहते हैं.
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