नई दिल्ली. बिहार चुनाव (Bihar Assembly Election Results 2020) में महागठबंधन (Mahagathbandhan) की हार की कई वजहें गिनाई जा रही हैं. कहीं कांग्रेस को दोष दिया जा रहा है तो कहीं खुद राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी राज्य सरकार और प्रशासनिक मशीनरी के 'गलत इस्तेमाल' का दावा कर रहा है. मंगलवार को आए नतीजों में जनता दल युनाइटेड की अगुवाई वाले NDA को 125, राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन को 110 सीटें मिली हैं. पूरे दिन कांटे की टक्कर चलने के बाद देर रात परिणाम घोषित किए गए.
इस चुनाव में राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन ने नौकरी, गरीबी, राशन और अशिक्षा जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ा. तेजस्वी यादव लगभग हर रैली में जाकर कहते रहे- 'गरीब परेशान हो गया है.' लॉकडाउन के दौरान गरीबों को हुई दिक्कतों और अन्य परेशानियों के मुद्दे भी उठे.
लोग राजद की रैलियों में आए, उन्हें सुना और उनसे सहमत भी हुए लेकिन 15 साल के राजद शासनकाल की यादें अब भी लोगों के जहन में थीं जिस पर तेजस्वी जनता को उस तरह नहीं समझा लाए थे जैसे साल 2012 के चुनाव में अखिलेश यादव ने यूपी में जनता की नब्ज पकड़ी थी.
अखिलेश ने दिखाई थी राह?
साल 2012 के चुनाव के दौरान मुलायम सिंह यादव के करीबी सहयोगी और देवरिया के सांसद मोहन सिंह ने रामपुर के नेता आजम खान से मुलाकात की और पश्चिमी यूपी के खूंखार डॉन डीपी यादव को सपा में शामिल कराने के लिए समर्थन का ऐलान कर दिया. लेकिन अखिलेश इस फैसले के खिलाफ हो गए. कहा जाता है कि अखिलेश यादव ने अपने पिता से इस पर बात की. मोहन सिंह को पार्टी प्रवक्ता पद से हटा दिया गया और डीपी यादव पार्टी में शामिल नहीं हो पाए. अखिलेश ने यूपी की जनता को एक स्पष्ट संदेश दिया और उस साल सपा ने 224 सीटें जीती थीं.
क्या है महागठबंधन के खिलाफ गया WOW फैक्टर?
बिहार में तेजस्वी ऐसा ही कुछ संदेश नहीं दे पाए. कई बाहुबलियों को टिकट देकर राजद ने असुरक्षा की भावना को और मजबूत कर दिया. इस बीच जनता में जिस फैक्टर ने काम किया वह है - WOW. पहले W का रिश्ता विमेन्स यानी महिलाओं से है. महागठबंधन इस बात को नजरअंदाज कर गया कि बिना सुरक्षा की गारंटी पाए महिलाएं उनके पक्ष में मतदान नहीं करेंगी.
महिलाओं ने और किसी भी वादे और दावे को किनारे रखकर सुरक्षा के लिए वोट किया. वहीं OW का रिश्ता ओवैसी से है. सीमांचल क्षेत्र में महागठबंधन के लिए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी नुकसान पहुंचाने की खास वजह मानी जा रही है. AIMIM ने इस बार पांच सीटों पर जीत दर्ज की है. इन दो महत्वपूर्ण फैक्टर्स ने महागठबंधन का रास्ता रोक दिया.
राजद वोटों और सीटों के मामले में अकेली सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. लेकिन इस चुनाव को जीतने के लिए, MGB में सबसे बड़े साझेदार के रूप में RJD को 85 सीटे ही मिलीं. (सुमित पांडे के इनपुट के साथ)