जेडीयू और बीजेपी के बीच सीट शेयरिंग के लिए काफी माथापच्ची हुई है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. बिहार (Bihar) में चुनाव (Election) का स्टेज तैयार हो चुका है. चुनाव आयोग (Election Commission) ने शुक्रवार को तारीखों की घोषणा कर दी है. तीन चरणों में होने वाले इस चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे. बिहार में सत्ताधारी गठबंधन (Ruling Alliance-NDA) और विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस (Congress) भी अपनी तैयारियों को लेकर आशांवित हैं. इस बार के चुनाव पिछले विधानसभा चुनाव से अलग हैं. 2015 में जेडीयू-आरजेडी और कांग्रेस ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और बीजेपी को बुरी हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि महज दो सालों के भीतर नीतीश कुमार ने अपनी राह आरजेडी से अलग कर ली. अब एक बार फिर जेडीयू और बीजेपी साथ में चुनाव मैदान में हैं. लेकिन जानकारों का ये भी कहना है कि दोनों के बीच सीट का बंटवारा आसान नहीं है.
लोकजनशक्ति पार्टी का विरोध और 2019 का लोकसभा चुनाव
2019 के लोकसभा चुनाव में भी जेडीयू और बीजेपी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. लेकिन सीट शेयरिंग का श्रेय बीजेपी को दिया गया. इसका कारण ये था कि लोकसभा में छोटी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी ने अपनी सीटें राज्य में कम कर दी थीं. हालांकि गठबंधन ने कमाल का प्रदर्शन किया और राज्य की चालीस में से 39 सीटें जीतीं. इस जीत में लोकजनशक्ति पार्टी भी शामिल थी. लेकिन अब ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या लोकसभा चुनाव की सफलता को गठबंधन विधानसभा में दोहरा पाएगा. वहीं गठबंधन में लोकजनशक्ति पार्टी और जेडीयू के बीच मतभेद सार्वजनिक हो चुके हैं. चिराग पासवान बीजेपी से आग्रह कर चुके हैं कि उसे जेडीयू से कम से कम एक सीट तो ज्यादा लेनी ही चाहिए.
50:50 के फॉर्मूले में क्या आ सकती हैं समस्याएं
अब विधानसभा के चुनाव में भी बीजेपी के कई नेता चाहते हैं कि 50:50 के फॉर्मूले पर अमल किया जाए राज्य में जेडीयू की 'बडे़ भाई' की इमेज को तोड़ा जाए. लेकिन कहा जा रहा है कि दोनों ही पार्टियों के लिए सीट शेयरिंग आसान नहीं होने जा रही है. दोनों ही पार्टियां चाहेंगी कि वो ज्यादा सीटें अपने खाते में लें और चुनाव में सिंगल लारजेस्ट पार्टी बनने की कोशिश करें.
51 सीटों का गणित
अब अगर सीट के आधार पर देखा जाए तो 2015 के चुनाव में कम से कम ऐसी 51 सीटें थीं जहां पर बीजेपी और जेडीयू में टक्कर का मुकाबला हुआ था. यानी इन सीटों पर या तो बीजेपी जीती थी या फिर जेडीयू. अगर सीटों के आधार पर मुकाबला देखें तो 28 सीटें जेडीयू ने जीती थीं और 23 बीजेपी ने. अब दोनों ही पार्टियां इन 51 सीटों पर दावेदारी की कोशिश करेंगी.
वोट मार्जिन को लेकर कैसे पड़ा अंतर
वहीं अगर वोट के मार्जिन के आधार पर भी देखा जाए तो जीत हार का मार्जिन बेहद कम था लिहाजा दोनों पार्टियां इन सीटों पर दावेदारी पेश करना चाहेंगी. वहीं जेडीयू के सामने एक दिक्कत ये भी है कि बीजेपी खुद को छोटी पार्टी के तौर पर प्रदर्शित नहीं करना चाहेगी. लोकसभा चुनाव में वो अपना बड़ा दिल दिखा चुकी है. वहीं चिराग पासवान का विरोध भी अपने चरम पर है.
वोट शेयरिंग के आधार पर भी देखा जाए तो भले ही 2015 के चुनाव में बीजेपी ने 53 सीटें ही जीती हों लेकिन उसका वोट प्रतिशत सबसे ज्यादा था. उसे 24.42 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं जेडीयू को महज 16.83 प्रतिशत वोट मिले थे. साथ ही अगर 2010 के वोट प्रतिशत से तुलना करें तो जेडीयू का वोट प्रतिशत घटा है जबकि बीजेपी का बढ़ा है. ऐसे में दोनों ही पार्टियों के नेताओं के लिए सीट शेयरिंग का फॉर्मूला भी काफी माथापच्ची वाला होगा.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Bihar assembly election 2020, Chirag Paswan, CM Nitish Kumar, Jp nadda
6 धनी बाबा, करोड़ों की संपत्ति के हैं मालिक, नेट वर्थ में बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर से बहुत आगे है यह साधु
दुनिया की सबसे खूबसूरत क्रिकेटर ने जब सरेआम कबूला- 'हां! मैं लेस्बियन हूं', धोनी का तोड़ चुकी हैं रिकॉर्ड
WTC Final 2023: वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल विजडन टीम की घोषणा, ऋषभ पंत को मिली जगह, जसप्रीत बुमराह भी शामिल