ममता सरकार से नाराज बीजेपी नेता पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, पश्चिम बंगाल सरकार को मिला नोटिस

ममता सरकार से नाराज बीजेपी नेता पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
मामले की सुनवाई करते हुए अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) सरकार को नोटिस जारी किया है और अगले आदेश तक बीजेपी (BJP)नेताओं के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 18, 2020, 1:50 PM IST
नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) से पहले बीजेपी (BJP) और तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. बीजेपी और टीएमसी के बीच जारी विवाद अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दरवाजे तक पहुंच गया है. बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और कहा है ममता बनर्जी सरकार जानबूझकर उनके खिलाफ नए-नए मामले दर्ज कर रही है. मामले की सुनवाई करते हुए अब सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है और अगले आदेश तक बीजेपी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी है.
पश्चिम बंगाल में कुछ ही महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरगर्मी तेज हो गई है. बीजेपी जहां पश्चिम बंगाल में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है तो वहीं राज्य की ममता सरकार किसी भी कीमत पर अपनी पकड़ ढीली नहीं करना चाहती. यही कारण है कि दोनों पार्टियों के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. बीजेपी के बड़े नेताओं में अपने खिलाफ पश्चिम बंगाल में दर्ज मामलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद अर्जुन सिंह, पवन कुमार सिंह, कबीर शंकर बोस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है.

इसे भी पढ़ें :- केंद्र और ममता के बीच बढ़ी तकरार, अफसरों को भेजने को तैयार नहीं राज्य सरकारकोर्ट ने सांसद अर्जुन सिंह से पूछा है कि आपके खिलाफ कब से 64 केस फाइल किए गए हैं. इस पर अर्जुन सिंह के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा है कि जब से अर्जुन सिंह ने टीएमसी छोड़ी है तब से नवंबर 2020 के बीच ये सभी मामले दर्ज किए गए हैं. अर्जुन सिंह ने कहा, मैं सांसद हूं और मेरे खिलाफ दंगा भड़काने के मुकदमें दर्ज कराए गए, जो राजनीति से प्रेरित हैं. कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि मैं एमपी से सांसद हूं और पार्टी पदाधिकारी हूं. जबसे पश्चिम बंगाल प्रचार के लिए जाने लगा, उसके बाद से मेरे खिलाफ मुकदमें दर्ज किए जाने लगे.
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बीजेपी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पश्चिम बंगाल में उनके खिलाफ दर्ज मामले को स्वतंत्र जांच एजेंसी को ट्रांसफर करने और राज्य से बाहर सुनवाई की मांग की है.
पश्चिम बंगाल में कुछ ही महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरगर्मी तेज हो गई है. बीजेपी जहां पश्चिम बंगाल में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है तो वहीं राज्य की ममता सरकार किसी भी कीमत पर अपनी पकड़ ढीली नहीं करना चाहती. यही कारण है कि दोनों पार्टियों के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. बीजेपी के बड़े नेताओं में अपने खिलाफ पश्चिम बंगाल में दर्ज मामलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद अर्जुन सिंह, पवन कुमार सिंह, कबीर शंकर बोस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है.
इसे भी पढ़ें :- केंद्र और ममता के बीच बढ़ी तकरार, अफसरों को भेजने को तैयार नहीं राज्य सरकारकोर्ट ने सांसद अर्जुन सिंह से पूछा है कि आपके खिलाफ कब से 64 केस फाइल किए गए हैं. इस पर अर्जुन सिंह के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा है कि जब से अर्जुन सिंह ने टीएमसी छोड़ी है तब से नवंबर 2020 के बीच ये सभी मामले दर्ज किए गए हैं. अर्जुन सिंह ने कहा, मैं सांसद हूं और मेरे खिलाफ दंगा भड़काने के मुकदमें दर्ज कराए गए, जो राजनीति से प्रेरित हैं. कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि मैं एमपी से सांसद हूं और पार्टी पदाधिकारी हूं. जबसे पश्चिम बंगाल प्रचार के लिए जाने लगा, उसके बाद से मेरे खिलाफ मुकदमें दर्ज किए जाने लगे.
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बीजेपी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पश्चिम बंगाल में उनके खिलाफ दर्ज मामले को स्वतंत्र जांच एजेंसी को ट्रांसफर करने और राज्य से बाहर सुनवाई की मांग की है.