धर्मेंद्र प्रधान: पीएम मोदी के ‘नवरत्नों’ में से एक, खास प्रोजेक्ट के 'प्रधान'

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2014 की मोदी सरकार में पेट्रोलियम मंत्रालय का प्रभार संभालते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना को कामयाब बनाया था. जिसके तहत देश के गरीब परिवारों को मुफ्त में गैस कनेक्शन दिए गए.
- News18Hindi
- Last Updated: May 30, 2019, 8:10 PM IST
बीजेपी के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र प्रधान को मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया है. धर्मेंद्र प्रधान मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन मंत्रियों में शामिल रहे हैं, जिनके मंत्रालय के काम-काज को सरकार ने अपनी उपलब्धियों में गिना. पेट्रोलियम मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिलने के बाद धर्मेंद्र प्रधान ने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना को कामयाब बनाया. उज्ज्वला योजना के तहत देश के गरीब परिवारों को मुफ्त में गैस कनेक्शन दिए गए. बीजेपी इस योजना की कामयाबी को जनता के बीच ले जाकर चुनावों में उतरी. मोदी सरकार की वापसी में इस योजना की अहम भूमिका रही है. धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा का प्रभारी रहते हुए पार्टी को राज्य में बढ़त दिलाई. ओडिशा में पार्टी के विस्तार में मदद की वजह से धर्मेंद्र प्रधान का कद बढ़ा है.
कम वक्त में ही बीजेपी के शीर्ष नेताओं में हुए शामिल
धर्मेंद्र प्रधान चुनावी राजनीति में भले ज्यादा कामयाब नहीं रहे, लेकिन बीजेपी के भीतर वो लगातार मजबूत होते रहे. उन्हें ओडिशा, बिहार और कर्नाटक का प्रभारी बनाया गया. 2010 में उन्हें बीजेपी का महासचिव बनाया गया. इसके दो साल बाद ही उन्हें बिहार से राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया. पार्टी संगठन के कामों में धर्मेंद्र प्रधान ने हर बार अपनी उपयोगिता साबित की. 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार में मिली कामयाबी का श्रेय धर्मेंद्र प्रधान की कुशल रणनीति को मिला. इसके साथ ही उनकी मोदी सरकार में एंट्री हो गई.
मोदी सरकार के मिशन के खास सिपहसलार
मोदी सरकार में धर्मेंद्र प्रधान को पेट्रोलियम मंत्रालय में राज्यमंत्री का पद मिला. राज्यमंत्री रहते हुए प्रधान ने प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के प्रचार प्रसार के लिए खूब काम किया. बीपीएल परिवार की महिलाओं को गैस कनेक्शन उपलब्ध करवाने वाली इस योजना को मिशन की तरह लिया गया. ग्रामीण इलाकों की महिलाओं की जिंदगी में बदलाव लाने वाली इस योजना की कामयाबी ने धर्मेंद्र प्रधान का कद बढ़ा दिया. उनके राज्यमंत्री रहते उज्ज्वला योजना का टारगेट तय वक्त से पहले पूरा हुआ. उत्साहित मोदी सरकार ने टारगेट रिवाइज्ड किए. उज्ज्वला योजना मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक रही.
सितंबर 2017 में मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ. धर्मेंद्र प्रधान पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बनाए गए. इसके साथ ही उन्हें स्किल डेवलेपमेंट मिनिस्ट्री का अतिरिक्त प्रभार भी मिला. युवाओं के स्किल डेवलेपमेंट के जरिये रोजगार के अवसर मुहैया करवाने पर मोदी सरकार का जोर रहा. प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए धर्मेंद्र प्रधान को चुना. धर्मेंद्र प्रधान अपनी काबिलियत की वजह से मोदी सरकार के ताकतवर मंत्रियों में से एक बने.
धर्मेंद्र प्रधान का राजनीतिक सफर
धर्मेंद्र प्रधान ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1983 में एबीवीपी से जुड़कर की थी. 2000 में वो पहली बार चुनावी राजनीति में उतरे. ओडिशा के पल्लहारा विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए. विधानसभा चुनाव में धर्मेंद्र प्रधान की ये पहली और आखिरी जीत थी. इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने पिता की सीट से किस्मत आजमाई. ओडिशा के देवगढ़ संसदीय सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते.

1998 और 1999 के चुनाव में इस सीट से धर्मेंद्र प्रधान के पिता देबेंद्र प्रधान सांसद चुने गए थे. वो अटल की सरकार में राज्यमंत्री का पद संभाल चुके थे. देबेंद्र प्रधान ने अपने बेटे के लिए सीट खाली कर दी थी. 2009 के विधानसभा चुनाव में धर्मेंद्र प्रधान पल्लहारा सीट से एक बार फिर खड़े हुए. लेकिन इस बार उन्हें हार मिली. इसके बाद धर्मेंद्र प्रधान चुनावी राजनीति में नहीं उतरे. 2012 में बीजेपी ने उन्हें बिहार से राज्यसभा भेजा. 2018 में उन्हें मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजा गया.
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कम वक्त में ही बीजेपी के शीर्ष नेताओं में हुए शामिल
धर्मेंद्र प्रधान चुनावी राजनीति में भले ज्यादा कामयाब नहीं रहे, लेकिन बीजेपी के भीतर वो लगातार मजबूत होते रहे. उन्हें ओडिशा, बिहार और कर्नाटक का प्रभारी बनाया गया. 2010 में उन्हें बीजेपी का महासचिव बनाया गया. इसके दो साल बाद ही उन्हें बिहार से राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया. पार्टी संगठन के कामों में धर्मेंद्र प्रधान ने हर बार अपनी उपयोगिता साबित की. 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार में मिली कामयाबी का श्रेय धर्मेंद्र प्रधान की कुशल रणनीति को मिला. इसके साथ ही उनकी मोदी सरकार में एंट्री हो गई.

मोदी सरकार में धर्मेंद्र प्रधान को पेट्रोलियम मंत्रालय में राज्यमंत्री का पद मिला. राज्यमंत्री रहते हुए प्रधान ने प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के प्रचार प्रसार के लिए खूब काम किया. बीपीएल परिवार की महिलाओं को गैस कनेक्शन उपलब्ध करवाने वाली इस योजना को मिशन की तरह लिया गया. ग्रामीण इलाकों की महिलाओं की जिंदगी में बदलाव लाने वाली इस योजना की कामयाबी ने धर्मेंद्र प्रधान का कद बढ़ा दिया. उनके राज्यमंत्री रहते उज्ज्वला योजना का टारगेट तय वक्त से पहले पूरा हुआ. उत्साहित मोदी सरकार ने टारगेट रिवाइज्ड किए. उज्ज्वला योजना मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक रही.
सितंबर 2017 में मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ. धर्मेंद्र प्रधान पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बनाए गए. इसके साथ ही उन्हें स्किल डेवलेपमेंट मिनिस्ट्री का अतिरिक्त प्रभार भी मिला. युवाओं के स्किल डेवलेपमेंट के जरिये रोजगार के अवसर मुहैया करवाने पर मोदी सरकार का जोर रहा. प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए धर्मेंद्र प्रधान को चुना. धर्मेंद्र प्रधान अपनी काबिलियत की वजह से मोदी सरकार के ताकतवर मंत्रियों में से एक बने.
धर्मेंद्र प्रधान का राजनीतिक सफर
धर्मेंद्र प्रधान ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1983 में एबीवीपी से जुड़कर की थी. 2000 में वो पहली बार चुनावी राजनीति में उतरे. ओडिशा के पल्लहारा विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए. विधानसभा चुनाव में धर्मेंद्र प्रधान की ये पहली और आखिरी जीत थी. इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने पिता की सीट से किस्मत आजमाई. ओडिशा के देवगढ़ संसदीय सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते.

1998 और 1999 के चुनाव में इस सीट से धर्मेंद्र प्रधान के पिता देबेंद्र प्रधान सांसद चुने गए थे. वो अटल की सरकार में राज्यमंत्री का पद संभाल चुके थे. देबेंद्र प्रधान ने अपने बेटे के लिए सीट खाली कर दी थी. 2009 के विधानसभा चुनाव में धर्मेंद्र प्रधान पल्लहारा सीट से एक बार फिर खड़े हुए. लेकिन इस बार उन्हें हार मिली. इसके बाद धर्मेंद्र प्रधान चुनावी राजनीति में नहीं उतरे. 2012 में बीजेपी ने उन्हें बिहार से राज्यसभा भेजा. 2018 में उन्हें मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजा गया.
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