वैज्ञानिकों के मुताबिक सूरज 11 साल तक शांत रहता है और इसके बाद इसमें विस्फोट होने लगता है. फाइल फोटो
नई दिल्ली. सूरज (Sun) इन दिनों गुस्से में है और लगातार उसमें विस्फोट हो रहा है. सूरज में होने वाले विस्फोट से निकलने वाली आग की लपटें धरती (Earth) ही ओर आ रही हैं. सूरज में हो रहे इस तरह के बदलाव का असर इस महीने के शुरुआत में ही देखने को मिल गया था जब अमेरिका (America) समेत धरती के उत्तरी गोलार्द्ध में नॉर्दन लाइट्स देखने को मिली थीं. बता दें कि सूरज का गुस्सा इसी तरह से बढ़ता रहा तो यह कभी भी सैटेलाइट्स, पावर ग्रिड्स और इंटरनेट पर असर डाल सकता है. अब लोगों के मन में भी सवाल उठने लगा है कि आखिर सूरज में लगातार स्पॉट क्यों बन रहे हैं, जिसके कारण उसमें विस्फोट हो रहा है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक सूरज के सक्रिय होने का एक साइकिल है. इसे सोलर साइकिल कहा जाता है. सूरज का सोलर साइकिल 11 साल का होता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक सूरज 11 साल तक शांत रहता है और इसके बाद इसमें विस्फोट होने लगता है. इस दौरान सूरज में सनस्पॉट बनते हैं, जिससे इसमें विस्फोट होता है. सूरज में होने वाला विस्फोट इतना भयानक होता है कि इसकी लपटें धरती ओर आती हैं. नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) में स्पेस वेदर प्रीडिक्शन सेंटर के प्रोग्राम कॉर्डिनेटर बिल मुर्ताघ ने बताया कि सूरज पिछले 11 सालों से पूरी तरह से शांत दिखाई पड़ रहा था, लेकिन अब ऐसा नहीं है.
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बिल मुर्ताघ ने बताया कि सूरज में जो बदलाव देखने को मिल रहा है वह अभी शुरुआती है. साल 2025 में सूरज में सबसे ज्यादा गतिविधि देखने को मिलेगी. ये गतिविधि दो साल पहले साल 2019 से धीरे-धीरे शुरू हुई है. साल 2025 तक यह तीव्र स्तर पर होगी. सूरज में जिस तरह के बदलाव अभी से देखने को मिल रहे हैं उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि साल 2025 में स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो सकती है. इसकी वजह से सैटेलाइट्स और इलेक्ट्रिक ग्रिड्स को नुकसान पहुंच सकता है. पिछले हफ्ते भी सूरज में कई विस्फोट होने की जानकारी मिली थी. ये एक बार में अरबों टन वजनी प्लाज्मा गैस और चुंबकीय फील्ड पैदा करता है. ये तेजी से सौर मंडल में फैलने लगता है. इससे धरती पर गर्मी बढ़ जाती है.
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बिल मुर्ताघ ने बताया कि धरती का अपना चुंबकीय क्षेत्र है. सूरज से आने वाली सौर लहरें जब धरती की चुंबकीय क्षेत्र से आपस में टकराती हैं तो आसमान में जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म की स्थिति पैदा होती है. यानी नॉर्दन लाइट्स देखने को मिलती हैं. ऐसे समय में अब तूफान की तीव्रता तेज होती है तो इसका नुकसान सैटेलाइट्स और पावर ग्रिड्स को होता है.
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Tags: Earth, Internet, Internet Speed, ISRO satellite launch, Sun
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