नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) की ओर से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से सजा का डेटा दाखिल करने के मामले में अब सीबीआई के निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल (CBI Director Subodh Kumar Jaiswal) ने बताया कि पिछले 10 सालों में एजेंसी दोषियों को सजा दिलाने में 65 से 70 प्रतिशत तक सफल रही है. सीबीआई निदेशक ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हम लगातार इसमें सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं.
अगस्त 2022 तक इस औसत को 75 प्रतिशत करने का लक्ष्य है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के जरिए सीबीआई निदेशक ने जस्टिस एसके कौल की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि सीबीआई ने 2020 और 2019 में 69.83 प्रतिशत और 69.19 प्रतिशत मामलों में आरोपियों को दोषी ठहराया है. जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में कहा कि हमारी कोशिश है कि अगस्त 2022 तक वर्तमान दोषसिद्धि दर को 75 प्रतिशत तक लाया जाए.
बता दें कि सीबीआई की ओर से जो हलफनामा पेश किया गया है वह 3 सितंबर को अदालत द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में दायर किया गया है. बता दें कि जस्टिस एमएम सुंदरेश ने सीबीआई से पूरे देश में एजेंसी द्वारा मुकदमा चलाए जा रहे मामलों और उनकी सफलता दर पर डेटा जमा करने के लिए कहा था. हालांकि विशेषज्ञों ने जायसवाल के हलफनामे में दोषसिद्धि के आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं. पूर्व सीबीआई संयुक्त निदेशक ने पूछा कि सीबीआई की ओर से जो आंकड़े दिए गए हैं उसमें हाईकोर्ट में अंतिम परिणाम को शामिल किया गया है या फिर प्रथम चरण की सजा को ही शामिल किया गया है.
साल 2020 तक सीबीआई के 9,757 मामले लंबित
सीबीआई के निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया गया है उसके मुताबिक 31 दिसंबर, 2020 तक सीबीआई के 9,757 मामले लंबित थे. इन मामलों में से 3,249 मामले 10 से अधिक समय से लंबित हैं जबकि 500 के करीब मामले पिछले 20 सालों से चल रहे हैं. जायसवाल ने बताया कि जो मामले पिछले 20 साल से चल रहे हैं ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट या फिर हाईकोर्ट की ओर से स्थगन आदेश दिया गया है.
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