पंजाब में ड्रग्स के शिकार युवा एक दिन में 17 करोड़ खर्च करते हैं. फाइल फोटो
चंडीगढ़. पंजाब में नई सत्ता के शोर में कई वादे पूरे होने की गूंज पंजाब (Punjab) के लोगों के कानों में गूंज रही है. एक करोड़ महिलाओं को 1 हजार रुपये की वित्तीय सहायता, 16 हजार मोहल्ला क्लीनिक स्थापित करना और बिजली मुफ्त करना आदि जैसे वादों के दम पर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने सत्ता संभाल ली है. पंजाब में जिस वजह से कांग्रेस की कैप्टन सरकार सत्ता (Captain Government) में काबिज हुई थी, उनमें नशाखोरी (drug addiction) ऐसा अजगर है, जो कई नौजवानों को निगलते हुए कैप्टन की कुर्सी को भी निगल गई. ये सिलसिला कांग्रेस के सफाए के साथ थोड़ा थमा सा दिख रहा है, जबकि नशाखारी और ड्रग्स माफिया को खत्म करना AAP के सामने एक बड़ा चैलेंज है. चूंकि नशे की गिरफ्त में फंसे पंजाब के युवा करीब एक दिन में ड्रग्स पर करीब 17 करोड़ रुपए खर्च करते हैं. यानी युवा एक महीने में करीब 6500 करोड़ रुपए ड्रग्स पर लुटा रहे हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंजाब में नशे के व्यापार का आकार कितना बड़ा होगा.
हालांकि पंजाब में ड्रग्स का अरबों-खरबों का कारोबार थमा नहीं है. इसे चार सप्ताह में खत्म करने के चक्कर में पंजाब में कांग्रेस हाशिए पर चली गई. साल 2015 और 2016 तक हुए सर्वेक्षणों के मुताबिक नशा करने वालों में 99 फीसदी पुरुष ही शामिल थे, लेकिन अब नशे की गिरफ्त में महिलाएं भी आ चुकी हैं. भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में ड्रग्स का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 2,32,856 है. सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि सर्वाधिक 53 फीसदी (123413) लोग हेरोइन और चिट्टे का नशा करते हैं. हेरोइन और चिट्टे का नशा करने के लिए औसतन एक युवक को 1400 रुपए प्रतिदिन की आवश्यकता पड़ती है. इस हिसाब से पंजाब में नशे की गिरफ्त में फंसे युवक एक दिन में करीब 17 करोड़ रुपए चिट्टे और हेरोइन पर खर्च करते हैं. साल में यह राशि 6300 करोड़ रुपए के करीब बनती है.
2015 में पंजाब के ऑपियॉइड (फार्मा प्रोडक्ट्स) ड्रग्स आश्रित व्यक्तियों की संख्या जानने के लिए भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (एमओएसजेई) ने एक अध्ययन शुरू किया था. यह सर्वेक्षण सोसायटी फॉर प्रमोशन ऑफ यूथ एंड मास (SPYM) और नेशनल ड्रग्स डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (NDDTC), एम्स, नई दिल्ली से शोधकर्ताओं की एक टीम ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सहयोग से पंजाब सरकार द्वारा आयोजित किया था.
इस सर्वेक्षण में भटिंडा, फिरोजपुर, जालंधर, कपूरथला, गुरदासपुर, होशियारपुर, पटियाला, संगरिया, मोगा और तरनतारन जिलों को शामिल किया गया था. जानकारों का कहना है कि पंजाब में नशा बढ़ा है, कम नहीं हुआ है. कैप्टन सरकार ने जेलों में जिन्हें बंद किया, उनमें सबसे ज्यादा संख्या छोटे-छोटे नशेड़ियों और नशा बेचने वालों की थी, जबकि बड़े मगरमच्छ अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.
80 में से 30 फीसदी ही हो पाते हैं नशामुक्त
पंजाब में ड्रग्स के आदी लोगों में से 76 फीसदी 18 से 35 की उम्र के हैं. सर्वेक्षण में यह भी सामने आया था कि ड्रग्स का सेवन करने वाले 89 फीसदी पढ़े लिखे हैं. 83 फीसदी नशे के साथ-साथ नौकरियां भी कर रहे हैं. नशा करने वालों की 56 फीसदी तादाद गांव से संबंध रखती है. हेरोइन और चिट्टे के अलावा जो अफीम और फार्मास्युटिकल ऑपियॉइड का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनका प्रतिदिन औसतन खर्च 300 रुपए के करीब है. सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि 80% अधिक ने ड्रग्स को छोड़ने का प्रयास करते हैं, लेकिन वास्तव में लगभग 30% लोग ही सहायता या उपचार प्राप्त कर पाते हैं.
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