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श्रवणबेलगोला जैन मठ के जगद्गुरु भट्टारक चारुकीर्ति स्वामीजी का निधन, अनुयायियों में शोक की लहर

श्रवणबेलगोला जैन मठ के जगद्गुरु भट्टारक चारुकीर्ति स्वामीजी का आज निधन हो गया. (Photo-
NEWS18 KANNADA)

श्रवणबेलगोला जैन मठ के जगद्गुरु भट्टारक चारुकीर्ति स्वामीजी का आज निधन हो गया. (Photo- NEWS18 KANNADA)

Charukeerthi Bhattaraka Swamiji Jain Math: कर्नाटक के हासन जिले में स्थित श्रवणबेलगोला जैन मठ के जगद्गुरु भट्टारक चारुक ...अधिक पढ़ें

बेंगलुरु. कर्नाटक के हासन जिले में स्थित श्रवणबेलगोला जैन मठ के जगद्गुरु भट्टारक चारुकीर्ति स्वामीजी का आज निधन हो गया. वह सबसे वरिष्ठ और सम्मानित जैन मुनि थे. इसके बाद उनके अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ गई है. चारुकीर्ति भट्टारक श्री बीमारी से पीड़ित थे, उन्हें बेलूर के आदिचुनचनागिरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन इलाज के दौरान आज तड़के उनकी मौत हो गई. स्वामी जी के निधन की खबर सुनने के बाद आदिचुनचनगिरी मठ के अध्यक्ष श्री निर्मलानंदनाथ अस्पताल पहुंचे.

3 मई, 1949 को जन्मे श्री को 1970 में मठ के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था. मूल रूप से करकला के वरंगा गांव के रहने वाले उनके पिछले आश्रम का नाम रत्नवर्मा था. बैंगलोर विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से इतिहास में मास्टर डिग्री प्राप्त की थी. इसके अलावा, श्री चारुकीर्ति भट्टारक को प्राकृत, संस्कृत और कन्नड़ भाषाओं में विशेषज्ञता प्राप्त थी. जैन भट्टारक के देश भर में बहुत बड़े प्रशंसक रहे हैं ज‍िनको स्वस्तिश्री चारुकीर्ति के नाम से भी जाना जाता है.

बताते चलें क‍ि श्रवणबेलगोला (Shravanabelagola) भारत के कर्नाटक राज्य के हासन जिले में स्थित एक नगर है. यह नगर एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ के रूप में प्रस‍िद्ध है. कन्नड़ में ‘बेल’ का अर्थ होता है श्वेत, ‘गोल’ का अर्थ होता है सरोवर. शहर के मध्य में एक सुंदर श्वेत सरोवर के कारण यहां का नाम बेलगोला और फ‍िर श्रवणबेलगोला पड़ा. इस जगह स्‍थ‍ित जैन मठ के जगद्गुरु भट्टारक चारुकीर्ति स्‍वामीजी का आज बीमारी के चलते न‍िधन हो गया.

जानकारी के मुताब‍िक जैन धर्म में मठों के स्वामी भट्टारक कहलाते हैं. अधिकांश भट्टारक दिगम्बर होते हैं. प्राचीन काल में बौद्धों और सनातनी हिन्दुओं में भी भट्टारक होने के प्रमाण हैं किन्तु आजकल केवल जैन धर्म में ही भट्टारक मिलते हैं. पूर्व समय में संपूर्ण भारत में ही भट्टारक विराजित रहते थे. परंतु कालक्रम और विषम परिस्थितियों के कारण वे दक्षिण भारत तक ही सीमित रह गये हैं.

Tags: Karnataka News

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